मै आप सब का हार्दिक अभिनंदन करता हु अपने बूर फाड् चुदाई की स्टोरी में,गुड मार्निग मेरे मित्रगणों आप सब कैसे है,क्या हाल चाल मेरे मित्रगणों कैसे है आप सब आशा है अच्छे होंगे और चुदाई के जुगाड़ में होंगे , प्रीति मेरे मामा की बेटी है और प्रीति का मेरे घर में आना मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा था. वो अभी 22 साल की हुई है और सेकेंड ईयर की परीक्षा दे रही है, लेकिन वो दिखने में 16-18 साल की लगती है. मेरी मम्मी का कहना था कि सुप्रिया प्रेग्नेंट है और 2 महीने में उसकी डिलेवरी हो जाएगी, तो प्रीति भी चली जाएगी. हमारे दो बेडरूम के फ्लेट में अब तक में, मेरी वाईफ सुप्रिया और मम्मी, पापा रहते थे. लड़किया क्युआ गजब चुदकड़ होती है दोस्तों.
मेरे मित्रगणों क्या मॉल थी उसकी चुची पीकर मजा आ गया एक बेडरूम में मम्मी, पापा और एक में सुप्रिया और में रहते थे और प्रीति हॉल में सोफे पर ही सोती थी. मुझे रात को देर तक टी.वी देखने की आदत है और में जमीन पर सोफे के पास लेटकर ही हॉल में टी.वी देखता था, सोफा मेरे ठीक पीछे होता था. अब सुप्रिया परेशान नहीं होने के लिए बेडरूम का दरवाज़ा बंद कर लेती थी और मम्मी, पापा रात के करीब 11 बजे सो जाते थे. मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है.
मेरे प्यारे दोस्तो चुची पिने का मजा ही कुछ और है उस रात जब में टी.वी देख रहा था, तो प्रीति अपना एक हाथ मेरी आँखों के सामने रखकर मुझे परेशान करने लगी. तो पहले तो मैंने कई बार उसका हाथ हटाया, फिर मैंने उसके हाथों को हटाने की बजाए उन पर अपना हाथ फैरना शुरू कर दिया. पहले तो उसने एक बार अपना हाथ एकदम से पीछे खींच लिया और फिर काफ़ी देर के बाद वापस से अपना हाथ मेरी आँखों के आगे रख दिया. फिर इस बार में फिर से उसके हाथ पर प्यार से अपना हाथ फैरने लगा, तो उसने अपना हाथ नहीं हटाया. ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना लड खड़ा ही हो जायेगा .
मेरे मित्रगणों चुत छोड़ने के बाद सुस्ती सी आ जाती है फिर में उसकी हथेलियों से होता हुआ उसकी बाँह तक पहुँच गया. अब मुझे भी अच्छा लग रहा था और वो कुछ बोल नहीं रही थी. अब कमरे में सिर्फ़ टी.वी की रोशनी थी. अब इस बार में अपना हाथ उसकी हथेलियों से लेकर उसके कंधों तक ले जाने लगा था. क्या बताऊ मेरे मित्रगणों उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये.
मेरे मित्रगणों मने बहुत सी भाभियाँ चोद राखी है में काफ़ी देर तक उसके हाथों को अपनी उंगलियों से सहलाता रहा. फिर उस दिन उतना ही हुआ, अब अगले दिन सब नॉर्मल था. फिर दूसरी रात को में फिर से उसके हाथ का इंतज़ार कर रहा था, तो मुझे ज़्यादा देर तक नहीं रुकना पड़ा. फिर इस बार मैंने थोड़ी देर तक उसका हाथ सहलाया और फिर अपने दाएँ हाथ को पीछे ले जाकर उसके पैरो को सहलाने लगा. मेरे मित्रगणों क्या मलाई वाला माल लग रहा था.
चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए यह सुरक्षित भी था, क्योंकि किसी को भी यही लगता कि में सोफे का सहारा लेकर टी.वी देख रहा हूँ और वो चादर ओढ़कर लेटी है. अब चादर के अंदर मेरा हाथ क्या कर रहा है? बाहर से अंदाज़ा लगाना मुश्किल था. हमने अभी तक एक दूसरे की तरफ देखा भी नहीं था. फिर में टी.वी देखता रहता और यह सब भी चलता रहा था और अब मेरा ध्यान टी.वी पर बिल्कुल भी नहीं था. उसने गाउन के नीचे सलवार पहन रखी थी और में उसकी सलवार के ऊपर से ही उसे सहलाने लगा था. साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और है
अब सुनिए चुदाई की असली कहानी फिर कुछ देर तक उसके घुटनों के नीचे सहलाने के बाद मैंने अपना हाथ उसके घुटनों के ऊपर लिया, तो उसने अपनी दोनों जांघें चिपका ली और अपने दोनों हाथों से मेरा हाथ पकड़ लिया, तो तब मैंने पहली बार उसका चेहरा देखा और उसने मुझे देखा. फिर मैंने उससे कहा कि क्या हुआ? हाथ हटा लूँ. फिर उसने कहा कि नहीं प्लीज. मेरे मित्रगणों एक बार चोदते चोदते मेरा लंड घिस गया.
वहा का माहौल बहुत अच्छा था मेरे मित्रगणों मैंने अपना हाथ नहीं हटाया और वही पर सहलाने लगा. फिर कुछ देर के बाद उसने अपना हाथ हटा लिया, तो मुझे ऊपर जाने की इजाजत मिल गई. फिर में उसकी जांघों पर काफ़ी देर तक अपना एक हाथ फैरता रहा और उसकी चूत तक पहुँचकर लौट आता था. फिर मैंने उसकी चूत पर अपना एक हाथ लगाया. अब वो अपने दोनों पैरो को फैलाकर मेरा पूरा साथ दे रही थी. फिर मैंने उसकी चूत की दरार तक पहुँचकर वहाँ पर अपनी उंगली से घर्षण शुरू कर दिया और उसके चेहरे को देखा, तो वो अपनी आँखें बंद किए पूरा आनंद ले रही थी. मेरे मित्रगणों उस लड़की मैंने चुत का खून निकल दिया.
वहा जबरजस्त माल भी थी मेरे मित्रगणों फिर तीसरी रात मैंने उससे रिक्वेस्ट की वो सलवार नहीं पहने और वैसे भी रात के वक़्त किसी को पता नहीं चलेगा. फिर उसने सलवार पहनी, लेकिन सबके सोने के बाद उसने अपनी सलवार उतार दी और सोफे पर लेट गई. फिर इस बार मैंने मुड़कर उसके चेहरे पर किस किया, उसकी सुगंध मुझे बहुत अच्छी लग रही थी. फिर मैंने उसकी छाती की गोलाईयों को अच्छी तरह से दबाया और उसके होंठो को और जीभ को जी भरकर चूसा. मेरे मित्रगणों चोदते चोदते चुत का भोसड़ा बन गया.
ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा मेरे मित्रगणों उसने कहा कि कोई आ जाएगा, जैसा रोज करते हो वैसा ही करो, प्लीज. तो में मुड़कर टी.वी की तरफ अपना मुँह करके बैठ गया और धीरे से उसकी चादर के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया और उसके पैरो को थोड़ी देर तक सहलाने के बाद उसकी जांघों तक पहुँच गया. अब मुझे उसके मुलायम जिस्म पर अपना हाथ फैरना बहुत अच्छा लग रहा था और अब में उसकी चड्डी के ऊपर से उसकी चूत की दरार पर अपना एक हाथ फैर रहा था. मेरे मित्रगणों एक बार मैंने अपने गांव के लड़की जबरजस्ती चोद दिया.
उह क्या मॉल था मेरे मित्रगणों गजब फिर मैंने महसूस किया कि उसकी चड्डी गीली हो चुकी है. अब में उसकी दरार और उसके बालों को महसूस कर रहा था. फिर मैंने उसकी चड्डी को ऊपर से खींचना शुरू किया, तो उसने अपनी कमर ऊँची कर दी और अपना मुँह तकिये में दबा लिया, तो मैंने उसकी चड्डी निकाल दी. अब में उसकी चूत को सीधा स्पर्श कर पा रहा था और उसके छोटे-छोटे बालों को धीरे-धीरे खींच रहा था. फिर मैंने धीरे से अपनी उंगली उसकी चूत में धकेलनी शुरू कर दी, तो कुछ ही देर में मेरी पूरी उंगली उसकी एकदम टाईट चूत में पहुँच गई थी. अब उसके मुँह से ....सस्स्स्स्स, सस्स्स्स, हाईईईई की आवाज़ आ रही थी और उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी. मेरा तो मन ही ख़राब हो जाता था मेरे मित्रगणों .
क्या बताऊ मेरे मित्रगणों मैंने चुदाई हर लिमिट पार कर दिया मैंने उसका एक हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखा, तो उसने झट से अपना हाथ हटा लिया. फिर में अपनी उंगलियों को तेज़ रफ़्तार से उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा, तो उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरे कान में कहा कि और तेज़, बस होने वाला है, बस सस्स्स्स. फिर मैंने टी.वी बंद की और उठकर बाथरूम में चला गया. अब मेरे हाथ को मुझे भी तो संतुस्ट करना था. कुछ भी हो माल एक जबरजस्त था .
उसको देखकर किसी का मन बिगड़ जाये अब अगले दिन रविवार था और उस दिन तेज बारिश हो रही थी, में घर पर ही था. फिर मैंने सुप्रिया से कहा कि में छत पर भीगने जा रहा हूँ. फिर तभी प्रीति ने कहा कि वो भी चलेगी, तो सुप्रिया ने कहा कि जल्दी आ जाना. फिर में और प्रीति लिफ्ट से ऊपर गये और हमारी बिल्डिंग में एक फ्लोर पर दो फ्लेट थे और संयोग से टॉप फ्लोर पूरा खाली था और छत बंद थी. फिर तभी प्रीति ने कहा कि चलो चलते है, छत तो बंद है. मेरे मित्रगणों मैंने किसी भाभी को छोड़ा नहीं है.
उह भाई साहब की माल है उसकी चुत की बात ही कुछ और है मैंने कहा कि छत का बंद दरवाज़ा तो मुझे नीचे से दिख गया था, अब ऊपर आए है तो कुछ कर ही लेते है. फिर इस पर प्रीति ने कहा कि क्या? तो तभी मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और जब उसने स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था. अब उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया था और फिर मैंने उसकी टी-शर्ट उठाकर उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और उसके छोटे-छोटे बूब्स और उन पर रखी गुलाबी चूचीयों चूसने लगा था. अब वो मेरे बालों पर अपना हाथ फैर रही थी. मेरे मित्रगणों एक बार स्कूल में चुदाई कर दिया बड़ा मजा आया.
मेरे मित्रगणों चोदते चोदते कंडोम के चीथड़े मच गए में उसकी स्कर्ट को उठाकर उसके कूल्हों को दबाते हुए उसकी जाँघ और चूत को मसलने लगा, तो उसने कहा कि कोई आ जाएगा. फिर तभी मैंने उसका एक हाथ अपने लंड पर रखा, तो उसने फिर से अपना हाथ हटा लिया. ओह्ह उसके यह का चुम्बन की तो बात अलग है.
एक बार मैंने अपने मौसी की लड़की को जबरजस्ती चोद दिया फिर मैंने उससे कहा कि तुम दीवार से नीचे देखो, कोई आ रहा है क्या? और उसी पोज़िशन में खड़ी रहो. फिर मैंने उसकी चड्डी उतार दी और नीचे बैठ गया. फिर पहले तो मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाली और फिर उसकी चूत को चूमना शुरू कर दिया. अब वो इतनी गर्म हो गई थी कि वो मेरे मुँह पर ही अपनी चूत को रगड़ने लगी थी. है उसके गांड मेरा मतलब तरबूज क्या गजब भाई.
मेरे मित्रो मामा की लड़की की चुदाई में बड़ा मजा आया उसने अपने दोनों पैरो को एकदम फैला दिया. अब उसके दोनों पैरो के बीच चार सीढ़ियों का ही फासला था और में उसकी दोनों टाँगों के बीच उसकी चूत को अपने दोनों हाथों में पकड़कर अपनी उंगली डाल-डालकर चूस रहा था, ऐसे जैसे भँवरा फूलों का रस पीता हो. फिर थोड़ी देर के बाद ही वो मेरे मुँह में ही झड़ गई. मेरे मित्रगणों कई बार जबरजस्ती शॉट मरने में चुत से खून निकल गया.
उसका भोसड़ा का छेड़ गजब का था मेरे मित्रगणों फिर मैंने उससे कहा कि अब तुम बैठ जाओ, में नीचे देखता हूँ. फिर उसने अपनी चड्डी पहनी और मेरे लंड को चाटने लगी, लेकिन इस बार जब मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा, तो उसने अपना हाथ नहीं हटाया, अब उसे अंदाज़ा था कि मैंने उसे बैठने को क्यों कहा है? तो वो बैठ गई और मेरी हाफ पेंट में पहले तो अपना एक हाथ डालकर मेरे लंड को धीरे-धीरे सहलाने लगी. अब मुझे गुदगुदी सी हो रही थी, अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. उसकी बूब्स देखते ही उसको पिने की इच्छा हो गयी .
मेरे मित्रगणों मै सबसे पहले उसकी गांड मरना चाहता हु उसने मेरी पेंट नीचे की और मेरे लंड को अपने हाथों से ऊपर नीचे हिलाने लगी. फिर उसने अपना मुँह खोला और धीरे-धीरे मेरे लंड को चाटने लगी और फिर धीरे-धीरे मेरे लंड को अपने मुँह में लेने लगी. अब में उसके बूब्स पर अपने हाथ फैर रहा था और उसे नीचे धकेल रहा था, ताकि मेरा पूरा लंड अंदर जा सके. अब वो मेरा पूरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी और अब वो उसे एक आइसक्रीम की तरह एक लॉलीपोप की तरह चूसे जा रही थी. तभी मैंने उससे कहा कि मेरा निकलने वाला है प्रीति . उसको पेलने की इच्छा दिनों से है मेरे मित्रगणों .
अच्छा चुदाई चाहे जितनी कर साला फिर भी लैंड नहीं मनता मेरे मित्रगणों उसने मेरे लंड को अपने मुँह से नहीं निकाला और में उसके मुँह में ही झड़ गया. फिर उसने मेरा पूरा वीर्य थूका और फिर मेरा पूरा लंड चाटकर साफ कर दिया. फिर थोड़ी देर तक हम वहाँ बैठे. अब में उसकी कुँवारी चूत को अपने लंड से चोदना चाहता था तो मैंने उससे कहा कि अभी पूरा काम नहीं हुआ है और मुझे करना है. फिर उसने कहा कि मुझे भी करना है और हम मौका देखकर करेंगे, मेरी कुँवारी चूत भी सबसे पहले आपका लंड ही खाना चाहती है. फिर मौका मिलने पर मैंने उसे चोदा और और उसके बाद कभी दोबारा मौका ही नहीं मिला. मेरे मित्रगणों मेरा तो मानना है जब भी चुत मारनी हो बिना कंडोम के ही मारो तभी ठीक नहीं सब बेकार उसके बूर की गहराई में जाने के बाद क्या मजा आया मेरे मित्रगणों जैसे उसके चुत में माखन भरा हो एक बात और मेरे मित्रगणों चुत को चोदते समय साला पता नहीं क्यों नशा सा हो जाता बस चुदाई ही दिखती है.