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दीदी की चूत अंकल का लंड

Posted on:- 2024-02-02


क्या हाल चाल मेरे मित्रगणों  कैसे है आप सब आशा है अच्छे होंगे और चुदाई के जुगाड़ में होंगे , देसी स्टोरी पढ़ने वाले सभी लोगो का मेरी तरफ से स्वागत है. मैंने इस साईट की लगभग सारी स्टोरी को पढ़ा है, इससे अनुभव लेकर आज में आपके लिए एक ऐसी कहानी लिखने जा रहा हूँ जिसे पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा कि किस तरह से एक लड़की इतनी मजबूर हो जाती है कि उसे अपने शरीर की भूख को शांत करने के लिए किसी दूसरे मर्द के साथ सोना पड़ता है. लड़किया क्युआ गजब चुदकड़ होती है दोस्तों.


 मेरे मित्रगणों  क्या मॉल थी उसकी चुची पीकर मजा आ गया अब इससे पहले कि में अपनी ये कहानी शुरू करूँ में सबसे पहले आपका परिचय अपने परिवार के लोंगो से करा दूँ. मेरे परिवार में चार लोग है पापा, मम्मी, में और मेरी दीदी. मेरे पापा अमेरिका में रहते है, वो साल में एक या दो बार ही घर आते है. मेरी दीदी दिल्ली  में रहती है और में भी उनके साथ ही दिल्ली  में रहता हूँ. मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला  लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है.


 मेरे प्यारे दोस्तो चुची पिने का मजा ही कुछ और है अब में आपको उस दिन की कहानी के बारे में बताने जा रहा हूँ. में आज जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरी दीदी की मेरे एक पड़ोस के अंकल के साथ किए गये सेक्स की है, जिसे मैंने अपनी आँखों के सामने देखा था. ये कहानी आज से 4 साल पहले की है. ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना  लड खड़ा ही हो जायेगा .


 मेरे मित्रगणों  चुत छोड़ने के बाद सुस्ती सी आ जाती है     उन दिनों में अपनी दीदी के साथ एक छोटे शहर में 4 रूम के एक सेपरेट फ्लेट में रहता था. अंकल उस्मान ख़ान हमारे पड़ोस में रहते है. हमारे फ्लेट के पीछे झाड़ी है तो लोग अक्सर वहाँ कूड़ा डालते है. अब उस्मान अंकल वहाँ पेशाब कर रहे थे और दीदी बालकनी से उनके मोटे लंड को देख रही .थी. अब अंकल की नजर दीदी की चूचीयों पर थी. अब दीदी धीरे-धीरे मुस्कुरा रही थी. फिर उस्मान अंकल ने अपने लंड को हिलाया और दीदी की तरफ देखा तो दीदी शर्मा गयी. फिर में जॉब पर चला गया और फिर शाम को जब में वापस आया तो वो अंकल दीदी से बात कर रहे थे. क्या बताऊ मेरे मित्रगणों   उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये.


 मेरे मित्रगणों  मने बहुत सी भाभियाँ चोद राखी है फिर मैंने दीदी से कहा कि में बहुत थक गया हूँ और टी.वी देखने जा रहा हूँ. फिर दीदी ने कहा कि ठीक है, तुम जाओ मुझे अंकल से कुछ बातें करनी है. मेरे मित्रगणों  क्या मलाई वाला माल लग रहा था.    


 चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए में अंदर चला गया और टी.वी ऑन किया. फिर में वापस से शाम को पढ़ने के लिए बैठा तो आधे घंटे के बाद मैंने अपने सामने वाले कमरे से जिसमें दीदी थी किसी को जाते हुए देखा. तो तभी में समझ गया कि अब जो कुछ भी होने जा रहा था, वो कुछ अलग था. फिर में बिना देर किए अपनी टेबल पर खड़ा हो गया और रोशनदान में लगे हुए कांच से जब मैंने दीदी के रूम में देखा साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और है.
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 अब सुनिए चुदाई की असली कहानी मैंने पाया कि जैसे ही अंकल दीदी के रूम में अंदर गये तो उनको देखकर दीदी अपने बेड से उठकर अपने सिर पर अपने पल्लू को रखते हुए उनकी तरफ अपनी पीठ को करते हुए खड़ी हो गयी. अब अंकल दीदी के पास आ गये थे और दीदी से सटकर खड़े हो गये थे. मेरे मित्रगणों  एक बार चोदते  चोदते  मेरा लंड घिस गया.


 वहा का माहौल बहुत अच्छा था  मेरे मित्रगणों   अब दीदी एक कदम आगे बढ़ गय तो अंकल ने दीदी की कमर के ऊपर अपना एक हाथ रखते हुए दीदी को अपनी तरफ खींच लिया. फिर अंकल ने दीदी के सिर से आँचल को हटाकर उसे जमीन पर गिरा दिया. अब दीदी लो-कट ब्लाउज पहने थी. अब मुझे उनकी नंगी गोरी कमर दिख रही थी. फिर अंकल ने दीदी की पीठ पर चुंबन लिया और दीदी के दाहिनी चूची को धीरे-धीरे दबाने लगे. अब पीछे से चूची दबाने के बाद अंकल ने दीदी के ब्लाउज के हुक को खोलना शुरू कर दिया था मेरे मित्रगणों  उस लड़की मैंने चुत का खून निकल दिया.


 वहा जबरजस्त माल भी थी मेरे मित्रगणों    ब्लाउज के सारे बटन को खोलने के बाद ब्लाउज को उतारकर जमीन पर गिरा दिया और इसके बाद अंकल ने दीदी की साड़ी को भी धीरे-धीरे उतार दिया. अब दीदी के दोनों हाथों को अंकल ने अपने दोनों हाथों से दबा रखा था. फिर इसके बाद अंकल ने दीदी के पेटीकोट के नाड़े को एक ही झटके में खोल दिया. फिर दीदी का पेटीकोट सरककर जमीन पर जा गिरा. अब दीदी बिल्कुल ही नंगी खड़ी थी. मेरे मित्रगणों  चोदते चोदते चुत का भोसड़ा बन गया.


 ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा मेरे मित्रगणों   फिर इसके बाद मैंने देखा कि अंकल ने दीदी के कंधे के पास से बाल को हटाते हुए अपने होंठो को दीदी के कंधे और गर्दन के बीच में धीरे-धीरे रगड़ने लगे थे और दीदी की चूची को धीरे-धीरे दबाने के साथ ही अपने दूसरे हाथ से दीदी की चूत को सहलाने लगे थे. मेरे मित्रगणों  एक बार मैंने अपने गांव के लड़की जबरजस्ती चोद दिया.


 उह क्या मॉल था मेरे मित्रगणों  गजब  जैसे ही अंकल ने दीदी की चूत को सहलाना शुरू किया, तो दीदी अपने आपको रोक नहीं पाई और घूमकर अंकल से लिपट गयी. अब अंकल ने दीदी को अपनी बाँहों में उठा लिया था और दीदी को ले जाकर बेड पर लेटा दिया था. मेरा तो मन ही ख़राब हो जाता था मेरे मित्रगणों  .


 क्या बताऊ मेरे मित्रगणों  मैंने चुदाई हर लिमिट पार कर दिया इसके बाद अंकल ने रूम के दरवाजे को धीरे से बंद कर दिया. फिर दरवाजा बंद करने के बाद जब अंकल दीदी के पास आए तो साथ में उन्होंने तेल के एक डिब्बे को भी ले लिया और उसे लेकर टेबल पर रख दिया. फिर अंकल ने दीदी की जाँघों को थोड़ा सा फैलाया, क्योंकि उस वक़्त तक दीदी की दोनों जाँघे बिल्कुल ही सटी हुई थी. अब मुझे दीदी की चूत पूरी तरह से दिख रही थी. कुछ भी  हो माल एक जबरजस्त था .


 उसको देखकर  किसी का मन बिगड़ जाये  फिर अंकल ने डिब्बे से सरसों के तेल को निकाला और दीदी की चूत पर लगाते हुए जब दीदी की चूत को सहलाने लगे. फिर दीदी ने अंकल के लंड को उनकी लुंगी से बाहर निकाल दिया, जो कि अब 8 इंच लंबा था. अब दीदी भी उसे पकड़कर सहलाने लगी थी मेरे मित्रगणों  मैंने किसी भाभी को छोड़ा नहीं है
.

 उह भाई साहब की माल है उसकी चुत की बात ही कुछ और है मैंने देखा कि दीदी और अंकल लगभग 1 मिनट तक ऐसे ही अपने काम को अंजाम देते रहे. फिर इसके बाद अंकल दीदी की जाँघ पर बैठ गये और दीदी की चूत पर अपने लंड को जैसे ही सटाया, तो दीदी ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैला दिया. फिर अंकल ने दीदी की चूत में अपने लंड को ले जाने के लिए अपनी कमर को धीरे-धीरे सरकाना शुरू किया, तो दीदी ने अपनी सांसे खींचनी शुरू कर दी. फिर मैंने देखा कि अंकल ने दीदी की चूत में अपने लंड के टोपे को डाल दिया था. मेरे मित्रगणों  एक बार स्कूल में चुदाई कर दिया बड़ा मजा आया.


 मेरे मित्रगणों  चोदते  चोदते  कंडोम के चीथड़े मच गए  अंकल दीदी के ऊपर लेट गये थे और अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया था. अब दीदी के मुँह से आआआहह की आवाज निकलने लगी थी. फिर कभी- कभी अंकल ज़ोर-ज़ोर के झटके लगाते तो दीदी पूरी तरह से हिल जाती थी. अब दीदी ने अपने हाथों को अंकल की पीठ पर रख लिया था और अंकल की पीठ को सहला रही थी. ओह्ह उसके यह का चुम्बन की तो बात अलग है.


 एक बार मैंने अपने मौसी की लड़की को जबरजस्ती चोद दिया अब अंकल दीदी के गालों को चूमने लगे थे और अपने दोनों हाथों से दीदी की दोनों चूचीयों को दबाने लगे थे. फिर दीदी भी मस्ती में आआअहह की अजीब ही आवाज निकाल रही थी. अब कुछ देर में ही अंकल ने अपने आधे लंड को दीदी की चूत में डाल दिया था. अब अंकल ने ..दीदी के पैरो को फोल्ड कर लिया था और दीदी की जाँघो को फैलाते हुए अपने आपको दीदी के दोनों पैरो के बीच में एडजस्ट किया, तो दीदी ने ऐसा करने में उनकी मदद की. है उसके गांड मेरा मतलब तरबूज क्या गजब भाई.


 मेरे मित्रो मामा की लड़की की चुदाई में बड़ा मजा आया अंकल ने दीदी को फिर से झटके देने शुरू किए तो दीदी ने अपनी गर्दन को उठा-उठाकर आहें भरना शुरू कर दिया था. फिर अंकल ने दीदी से पूछा कि दर्द कर रहा है क्या? तो दीदी ने एक अजीब आवाज में कहराते हुए जबाब दिया नहींईईईईईई. मेरे मित्रगणों  कई बार जबरजस्ती शॉट मरने में चुत से खून निकल गया.


 उसका भोसड़ा का छेड़ गजब का था मेरे मित्रगणों   अब अंकल ने अपनी कमर की स्पीड को बढ़ा दिया था. फिर तभी कुछ देर के बाद दीदी ने पूछा कि कितना बाहर है? तो अंकल ने ज़ोर से धक्का मारा और कहा कि पूरा चला गया और फिर कुछ ही देर में उनका पूरा लंड दीदी की चूत में चला गया. अब दीदी ने भी अंकल का पूरा साथ देना शुरू कर दिया था. उसकी बूब्स  देखते ही उसको पिने की इच्छा हो गयी  .


 फिर कुछ देर के बाद अंकल ने दीदी के होंठो को अपने होंठो में दबा लिया और अपने लंड को दीदी की चूत में ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर अंदर-बाहर करने लगे. फिर ये सिलसिला पूरे आधे घंटे तक चला. फिर थोड़ी देर के बाद अंकल ने दीदी की कुंवारी चूत में अपना बीज गिरा दिया, तो तब जाकर वो दोनों शांत पड़े. मेरे मित्रगणों  मै सबसे पहले उसकी गांड  मरना चाहता हु .


उसको पेलने की इच्छा दिनों से है मेरे मित्रगणों  अंकल कुछ देर तक ऐसे ही दीदी के ऊपर लेटे रहे और फिर इसके बाद उठकर जब उन्होंने दीदी की चूत से अपने लंड को बाहर निकाला तो दीदी ने अपनी आँखें खोली और मुस्कुराते हुए अपने चेहरे को ढक लिया. फिर तभी अंकल हँसते हुए बोले कि अब चेहरा क्या ढकना है? और फिर .उन्होंने दीदी के हाथों को उनके चेहरे से हटाते हुए पूछा कि मज़ा आया क्या? अच्छा चुदाई चाहे जितनी कर साला फिर भी लैंड नहीं मनता मेरे मित्रगणों.

 मेरे मित्रगणों  मेरा तो मानना है जब भी चुत मारनी हो बिना कंडोम के ही मारो तभी ठीक नहीं सब बेकार दीदी ने अपना सिर हिलाते हुए जवाब दिया हाँ बहुत मज़ा आया. फिर अंकल दीदी के ऊपर से हट गये और फिर अंकल ने अपनी जेब में से एक गोली निकाली और दीदी को दी. तभी दीदी ने पूछा कि यह किस लिए है? तो अंकल ने कहा कि यह गर्भ निरोधक गोली है, तो दीदी ने गोली खा ली और अंकल चले गये. उसके बूर की गहराई में जाने के बाद क्या मजा आया मेरे मित्रगणों   जैसे उसके चुत में माखन भरा हो मुझे तो कभी कभी चुदाई का टाइफिड बुखार हो जाता है और जब तक चुदाई न करू    तब तक ठीक नहीं होता. फिलहाल उस रात दीदी की चुत का नगाड़ा बन गया था.

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