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साथ निभाना मेरे साथिया

Posted on:- 2022-03-24


हैल्लो नमस्कार साथियों, मेरा नाम दीपांशु है और मेरी उम्र 23 साल है. मैंने अब तक बहुत सारी कहानी पढ़ी है और मुझे वो सभी कहानियाँ बहुत अच्छी भी लगी, उनको पढ़कर मुझे बड़ा मज़ा आया, इसलिए में सबसे पहले उन सभी लिखने वालों को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने मेरे और साथ में आप सभी के मज़े के लिए इतनी अच्छी कहानियाँ लिखकर भेजी. नमस्कार साथियों इन कहानियों को पढ़ते हुए एक दिन मेरा भी दिल हुआ मेरे भी मन में एक विचार आया कि क्यों ना में भी अपनी एक कहानी लिखूं? हो सकता है कि मेरी तरह आप लोगों को भी मेरी कहानी वो सच्ची घटना जिसको में आज भी नहीं भुला सका, वो आपको पसंद आ जाए.

 

नमस्कार साथियों यह जो कहानी में आप लोगों को आज सुनाने वाला हूँ, यह कोई कहानी नहीं मेरे जीवन की एक सच्ची घटना है, जो कुछ साल पहले हमारे साथ घटित हुई और इसने मेरे और मेरी गर्लफ्रेंड के पूरे जीवन को उस रात के बाद बिल्कुल बदलकर रख दिया और पहले हम यह बात किसी को बताने से डरते थे, लेकिन मैंने थोड़ी हिम्मत करके इसको आपके सामने लाने के बारे में विचार किया और आज वो आपके सामने है. नमस्कार साथियों अब में ज़्यादा कुछ ना बोलते हुए वो कहानी शुरू करता हूँ.

 

नमस्कार साथियों मेरी एक बहुत ही प्यारी सी दोस्त है, जिसका नाम दिव्या है और हम दोनों एक ही क्लास में पढ़ते है, वो मेरी सबसे अच्छी और सबसे प्यारी दोस्त है, वो मुझसे अपनी सारी बातें और हर एक समस्या बताती है, चाहे वो कोई भी समस्या हो वो मुझे बताती है और में भी अपनी सारी समस्याएं उसको बताता हूँ, हम दोनों एक दूसरे से बहुत खुले है, वो मुझसे एक साल छोटी है, मतलब उसकी उम्र 18 साल है और हम दोनों एक दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करते है, इसलिए हम दोनों अपना ज्यादातर समय एक दूसरे के साथ में बिताते थे.

 

एक दिन हम दोनों घूमने के लिए एक पार्क में चले गये, वो पार्क हम लोगों के घर के बहुत ज्यादा दूरी पर था, लेकिन वो पार्क बहुत अच्छा था और वहां पर बहुत शांति थी, इसलिए हम लोग वहाँ पर गये थे और वैसे वहाँ पर जाने के लिए हर कभी बस भी मिल जाती है, हम लोग वहां पर शाम को गये थे और फिर कुछ देर घूमने के बाद हम दोनों वहाँ पर बने एक रेस्टोरेंट में चले गये, जो उस पार्क से कुछ कदम की दूरी पर ही था, वहाँ पर जाकर हम दोनों ने नाश्ता किया और कॉफी भी पी. उसके कुछ देर बाद हम दोनों घर जाने के लिए बस का इंतज़ार करने लगे, लेकिन बहुत देर तक इंतज़ार करने के बाद भी कोई बस नहीं आई.

 

अब धीरे धीरे रात होने लगी थी और हम दोनों ने सोचा कि अब क्या किया जाए? तभी हमने देखा कि एक बस बहुत तेज़ी से हमारी तरफ आ रही है. मैंने उस बस को रुकने का इशारा किया और बस के रुकने पर हम दोनों बस में चड़ गये. फिर मैंने बस के अंदर जाकर देखा तो उस समय उस बस में हम दोनों के अलावा दस आदमी और ड्राईवर था और फिर हम दोनों एक खाली सीट देखकर उस पर बैठ गए और बातें करने लगे.

 

कुछ देर बाद मैंने बाहर झांककर देखा कि वो लोग हमे कुछ देर बाद ना जाने कौन से एक सुनसान रास्ते पर ले गए और थोड़ी दूरी तय करने के बाद उन्होंने हमें जबरदस्ती एक सुनसान मकान में ले जाकर छोड़ दिया. उसके बाद उन्होंने मेरी गर्लफ्रेंड को एकदम जंगली जानवर की तरह चोदा, जिसकी वजह से उसकी चूत फट गई और उसकी चूत से बहुत सारा खून बहने लगा. यह सब देखकर मेरे हाथ पैर फूल गए और अब मेरी गर्लफ्रेंड कुछ देर बाद बिल्कुल निढाल हो गई. उसके बाद वो बेहोश हो गई. फिर मैंने उन्हें बहुत बार मना किया, तभी उनमें से एक आदमी बोला अब तू हमारे लंड को शांत कर तब हम इस लड़की को छोड़ देंगे.

 

फिर मैंने बिना सोचे समझे उनसे हाँ कह दिया और फिर उन्होंने मेरी गांड और मुहं में अपना लंड डालकर उन्होंने अपना अपना लंड शांत किया और उसके बाद वो सभी थककर सो गए और हम दोनों एक कमरे में चले गए. उसके बाद में बाथरूम में चला गया और वहां से बाहर निकलकर वापस नंगा ही में अपनी दोस्त के सामने जाकर खड़ा हो गया. अब वो मेरे तने हुए लंड को देख रही थी और अपनी चूत को दबा रही थी, लेकिन अचानक उसने अपना हाथ एक झटके के साथ चूत से हटा लिया, क्योंकि चूत को दबाने पर उसे दर्द हो रहा था, लेकिन उसको इसका कारण समझ में नहीं आया. फिर मैंने कपड़े पहने और दिव्या के पास बैठ गया, दिव्या को पता था कि मेरा लंड अभी भी भूखा है, इसलिए उसने मेरी पेंट की चेन को खोल दिया और वो मेरे लंड को बाहर निकालकर चूसने लगी.

 

फिर मैंने उससे पूछा कि तुम यह क्या कर रही हो दिव्या? तो उसने कहा कि जब तुम मेरे लिए इतना सब कर सकते हो तो क्या में तुम्हारी खुशी के लिए यह भी नहीं कर सकती और यह कहकर वो वापस मेरे लंड को चूसने लगी, मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा था, इसलिए मैंने उसे मना नहीं किया और में तो पहले से ही बहुत गरम था, इसलिए थोड़ी ही देर बाद में उसके मुहं में झड़ गया और मेरा वीर्य उसके मुहं में भर गया, वो मेरे वीर्य को पी गयी. उसके बाद हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए और एक दूसरे से लिपटकर बैठ गए. हमें पूरी रात नींद नहीं आई और में हर बार वो सब सोच रहा था, जो मैंने कुछ देर पहले अपनी आखों के सामने देखा था.

 

फिर कुछ देर बाद हमने उठकर बाहर की तरफ देखा तो तब तक सुबह हो चुकी थी और हमने वहां से निकलने का पूरा प्लान बना लिया था और हम दोनों वहां से भाग निकले. हमारे बाहर निकलकर थोड़ी दूर चलने पर हमे एक बस मिल गयी, इसलिए हम दोनों उसमें बैठकर हमारे घर के तरफ रवाना हो गए. नमस्कार साथियों जैसा कि मैंने पहले ही आप लोगों को बताया था कि दिव्या मुझसे कभी भी अपनी कोई बात नहीं छुपाती है, इसलिए रास्ते में उसने मुझसे कहा कि दीपांशु मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है.

 

नमस्कार साथियों यह सब बातें में पहले से ही जानता था, इसलिए मैंने उससे कहा कि घर जाकर इसका इलाज कर देंगे, लेकिन दिव्या खुश नहीं थी, वो सोच रही थी कि उसका तो बलत्कार हुआ है और अब मुझसे कौन शादी करेगा? यह बात आख़िर में उसने कुछ देर बाद मुझे भी बता ही दी. फिर मैंने उससे कहा कि दिव्या में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, इसलिए में ही अब तुमसे शादी भी करूँगा, में कभी भी तुमसे तुम्हारे इस बलत्कार के बारे में कोई भी बात नहीं करूँगा और तुम भी घर पर जाकर किसी को मत बताना.

 

नमस्कार साथियों उसके घर पर अभी केवल उसकी बूढ़ी दादी और बूढ़े दादाजी थे और मेरे घर में तो अभी कोई भी नहीं था, क्योंकि मेरे घर के सभी लोग किसी रिश्तेदार की शादी में गए हुए थे. अब दिव्या ने मुझसे कहा कि हाँ ठीक है में बताउंगी तो किसी को नहीं, लेकिन मेरी इस चूत के दर्द का क्या होगा और बलत्कार की वजह से में तो अब गर्भवती हो जाउंगी और उसके बाद सबको पता चल जाएगा. फिर मैंने उससे कहा कि तुम इस बात की बिल्कुल भी चिंता मत करो, तुम रोज़ सुबह नहाने के बाद पढ़ने के बहाने से मेरे घर पर आ जाना.

 

में तुम्हारी चूत को गरम पानी से सेक दूँगा और मालिश भी कर दूँगा, इससे तुम्हारी चूत ठीक हो जाएगी और रही बात तुम्हारे गर्भवती होने की तो तुम इसकी भी चिंता मत करो, तुम्हारी चूत के ठीक हो जाने के बाद में किसी दूसरे शहर के अच्छे डॉक्टर से तुम्हारा गर्भपात करवा दूँगा. तब उसने मुझसे कहा कि अगर डॉक्टर ने हमसे यह पूछा कि में गर्भवती कैसे हुई तो हम क्या कहेंगे? तो मैंने उससे कहा कि में बोल दूँगा कि हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते है और मैंने ही इससे शारीरिक संबंध बनाया था, इसलिए यह गर्भवती हो गयी है और फिर वो मेरी बातें सुनकर बहुत खुश हुई और हम लोग घर पहुँच गये.

 

फिर सबसे पहले मैंने दिव्या को उसके घर तक पहुँचाया और उसके दादाजी ने मुझसे पूछा कि तुम दोनों रातभर कहाँ थे? मैंने कहा कि हमे रात बहुत हो गई थी, इसलिए हम दोनों दिव्या की एक सहेली के घर पर रुक गये थे. आप लोग दिव्या को कुछ मत बोलिएगा, वो मेरे कहने पर ही अपनी सहेली के घर गयी थी. फिर उसके दादाजी ने कहा कि हाँ ठीक है तुमने अच्छा ही किया और अब दिव्या घर में जाकर सबसे पहले नहाने के लिए बाथरूम में गई, वहाँ पर अपने कपड़े उतारने के बाद जब उसने अपनी चूत को देखा तो वो एकदम से डर गई, क्योंकि उसकी चूत उस जबरदस्ती की चुदाई से बहुत सूज़ गई थी और उस पर कुछ खून के दाग भी लगे हुए थे और वो अब समझ गयी कि उसके बेहोश हो जाने के बाद भी उसको बहुत बुरी तरह से चोदा गया था, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि उसको कितने आदमियों ने मिलकर चोदा था?

 

उसने अब यह बात अपने मन में सोच ली कि जब में दीपांशु से मिलूंगी तो उससे सारी बातें पूछ लूंगी. फिर वो नहाने के बाद बाथरूम से बाहर निकली और तैयार होकर उसने थोड़ा सा नाश्ता किया और फिर वो मेरे घर पर अपने दादाजी से यह कहकर आ गई कि में दीपांशु के साथ पढ़ाई करूँगी. नमस्कार साथियों उसके दादाजी मुझे बहुत अच्छा लड़का मानते थे और वो मुझे बहुत प्यार भी करते थे, इसलिए उन्होंने दिव्या को तुरंत मेरे घर पर आने की आज्ञा दे दी.

 

उसके बाद वो बहुत खुश होकर मेरे घर पर अपने साथ एक किताब के साथ पहुँच गयी. नमस्कार साथियों उसने सबसे पहले मेरे पास आकर मुझसे यह पूछा कि कल रात को जब में बेहोश हो गई थी, तब मुझे कितने आदमियों ने चोदा था? मुझे यह बात एकदम सच सच बताओ तुम्हें मेरी कसम.

 

फिर मैंने उससे पूछा कि यह बात तुम मुझसे क्यों पूछ रही हो, पहले तुम मुझे यह बात बताओ? तो उसने कहा कि मैंने अपनी चूत को हाथ लगाकर नीचे बैठकर बहुत ध्यान से देखा है और इसकी इतनी खराब हालत को देखकर मुझे ऐसा लगता है कि जैसे इससे बहुत खून बहा था और मुझे बहुत लोगों ने चोदा, लेकिन तुम मुझे पूरी बात वो सच्ची नहीं बता रहे हो बताओ मुझे? तो मैंने उससे कहा कि नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं है, हाँ खून तो निकला था, लेकिन ज़्यादा नहीं. नमस्कार साथियों मैंने उसे जानबूझ कर सच नहीं बताया. मैंने उससे कहा कि कल जिस आदमी ने तुमको चोदा था, उसका लंड बहुत मोटा और लंबा था और उसने जानवर की तरह तुम्हें चोदा था, इसलिए तुम्हारी चूत का यह हाल हो गया है, खैर तुम अब उस बारे में इतना मत सोचो.

 

मैंने गरम पानी कर दिया है, तुम अपने कपड़े उतारकर नंगी होकर बेड पर लेट जाओ. अब उसने मेरे कहने के अनुसार अपने सारे कपड़े मेरे ही सामने उतार दिए और वो पूरी नंगी होकर बेड पर लेट गयी. मैंने तब देखा कि सचमुच उसकी चूत बहुत ज्यादा सूज़ गई थी और में गरम पानी से धीरे धीरे उसकी चूत को सेकने लगा.

 

कुछ देर सेकने के बाद मैंने थोड़ा सा तेल गरम किया और थोड़ी सा गरम होने के बाद में उस तेल को लेकर बेडरूम में गया. उसके बाद में दिव्या की चूत को अब गरम तेल से धीरे धीरे मालिश करने लगा, जिसकी वजह से उसको बहुत आराम मिल रहा था और धीरे धीरे वो गरम होने लगी थी और वो मुझसे कहने लगी कि प्लीज दीपांशु तुम मेरे पूरे शरीर की मालिश कर दो, मेरे पूरे शरीर में बहुत दर्द हो रहा है.

 

फिर उसके कहने पर में उसकी मालिश करने लगा और मुझे भी उसके नंगे गरम बदन की मालिश करने में बहुत मज़ा आ रहा था. कुछ देर तक मालिश करने के बाद मैंने देखा कि उसकी चूत से अब कुछ निकल रहा है और ज्यादा कामुक होने की वजह से अब उसकी चूत का रस बाहर निकल रहा था. मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ को रखकर चाटना शुरू कर दिया और मेरे यह काम करने की वजह से वो और भी ज़्यादा गरम होने लगी और वो मेरी पेंट के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ने लगी. फिर कुछ देर बाद उसने मुझसे कहा कि प्लीज दीपांशु आज तुम मुझे चोदो ना प्लीज जब एक अंजान आदमी मुझे चोद सकता है, तब तुम क्यों नहीं? तुम तो मेरे होने वाले पति हो.

 

फिर मैंने उससे कहा कि अभी तुम कल की चुदाई के उस दर्द को अभी अच्छी तरह से भूली भी नहीं हो और आज फिर से मुझे चुदाई करने की बात कहती हो, यह कभी नहीं हो सकता, पहले तुम पूरी तरह से ठीक हो जाओ और उसके बाद में हर रोज़ तुम्हारी चुदाई जरुर करूंगा, हमारी शादी से पहले में तुम्हें कंडोम लगाकर और शादी होने के बाद कंडोम हटाकर तुम्हारी बहुत जमकर चुदाई करूंगा, लेकिन में अभी किसी भी हालत में तुम्हें नहीं चोद सकता. अब तुम मेरा लंड छोड़ दो और अपने कपड़े पहनकर घर जाकर सो जाओ और थोड़ा सा आराम करो, क्योंकि कल रातभर तुम मेरे साथ सोई नहीं हो, इसलिए अब तुम जाओ.

 

फिर उसने मुझे किस किया और कहा कि हाँ इसलिए ही तो में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ दीपांशु, मुझे पहले से ही पता था कि तुम मेरे दर्द को समझकर मुझे दोबारा कोई भी दर्द नहीं होने दे सकते, क्योंकि तुम्हें मेरा पूरा पूरा ख्याल है और तुम भी मुझे बहुत प्यार करते हो. फिर उसने मेरे लंड को एक किस करके छोड़ दिया. उसके बाद उसने अपने कपड़े पहने और घर चली गयी. इस तरह रोज़ उसके पूरे बदन और चूत की मालिश करते करते मुझे पूरे सात दिन बीत गये थे और तब तक उसकी चूत भी पहले से थोड़ी बहुत ठीक हो गई थी.

 

फिर हम लोगों के प्लान के मुताबिक अब हम लोगों को डॉक्टर के पास जाना था, इसलिए मैंने उसके दादाजी से झूठ कह दिया कि दिव्या का एग्जाम सेंटर कहीं दूसरे शहर में आया है, इसलिए कल हम दोनों उस शहर में इसका पेपर का सेंटर देखने जाएँगे, वो शहर थोड़ा दूरी पर है, इसलिए हमे करीब तीन दिन लगेंगे. फिर उसके दादाजी मेरी बात को सुनकर हमारे जाने की बात के लिए पूरी तरह से सहमत हो गये और उन्होंने दिव्या को मेरे साथ जाने की आज्ञा भी दे दी.

फिर दूसरे दिन हम दोनों एक पास के शहर में चले गये और वहाँ पर हमे कोई नहीं पहचानता था, इसलिए हमारे प्लान के मुताबिक दिव्या का गर्भपात का काम बहुत जल्दी पूरा हो गया. उसमें कोई भी रुकावट नहीं आई और उसके बाद हम दोनों बहुत खुश होकर वापस अपने शहर में आ गये.

नमस्कार साथियों अब हर रोज़ दिव्या नहाकर मेरे यहाँ पर आती और में उसको नंगा करके अपने लंड पर कंडोम लगाकर उसकी चुदाई करता था, लेकिन यह काम हमारे बीच सिर्फ़ कुछ ही दिन चला. उसके बाद मेरे परिवार वाले वापस घर आ गये, इसलिए अब में दिव्या को दोबारा चोद नहीं पाता था, लेकिन जब भी मुझे मौका मिलता में दिव्या को उसके घर पर ही चोदता था, क्योंकि वो हमेशा जींस पहनती थी तो मैंने उसको उसके अंदर पेंटी पहनने के लिए मना कर दिया था.

अब जब भी मुझे दिव्या को चोदने का दिल करता तो में उसे पूरा नंगा किए बिना ही चोद देता था. में अपनी पेंट की चेन खोलकर अपने लंड को बाहर निकाल लेता था और उसकी जींस की चेन को खोलकर उसकी चूत में अपना लंड डाल देता था, वो उसमें मेरा हमेशा पूरा पूरा साथ देती थी और चुदाई के खत्म हो जाने के बाद हम दोनों अपनी अपनी पेंट की चेन को बंद कर लेते, इस तरह हमारी चुदाई पूरी हो जाती और हम दोनों इस तरह से एक दूसरे के साथ और उस प्यार से बहुत खुश थे.

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