मुख्य पृष्ठ » टीनएज गर्ल सेक्स स्टोरीज » पूर्णिमा की गांड पूरी मारी


पूर्णिमा की गांड पूरी मारी

Posted on:- 2022-11-23


नमस्कार साथियों, ये कहानी मेरे स्कूल समय के दिनों की है, मेरे कॉलेज में एक स्टूडेंट थी पूर्णिमा, वो कला संकाय में थी और मैं लेखाकार ब्रांच में था. हमारे क्लास में कोई लड़की नहीं थी, तो हम दूसरी ब्रांच की लड़कियों को चोदने के मौके में रहते थे. दोस्तों जब लड़की नई-नई कॉलेज में आती है, तो तब उसकी चूत में खुजली थोड़ी ज़्यादा होती है, बस लड़को को थोड़ी हिम्मत करके मौका ले लेना चाहिए.

 

मित्रों, जब पूर्णिमा नई नई आई, तो सारे सीनियर्स हाथ धोकर उसके पीछे पड़ गये, उसका पिछवाड़ा था भी उसके पीछे पड़ने लायक, वो मस्त थी और एकदम जोरदार माल भी लगती थी, बड़े-बड़े गोल-गोल बूब्स, चिकना हल्का सा सांवला बदन और सबसे ख़ास हिस्सा थी उसकी चौड़ी मोटी गांड, हाए-हाए क्या मस्त मादक मोटी गांड थी? जब वो चलती तो उसकी मांसल गांड मटक-मटककर सबको आकर्षित करती थी. अब उसकी गांड देखते ही मेरा लंड सलामी देने लगता था, लेकिन उसकी कुछ ख़ास रूचि नहीं थी, वो लड़की इतनी तेज़ थी कि जल्दी किसी सीनियर के हाथ नहीं लगी थी, फर्स्ट ईयर में हमारे सब्जेक्ट कॉमन होते थे.

 

फिर एक दिन कुछ किताब के बहाने मैंने उससे दोस्ती की और यही से हमारा याराना शुरू हो गया. अब शुरू-शुरू में मैंने उस पर अपने इरादे जरा से भी ज़ाहिर नहीं होने दिए थे. अब उसके लिए में एक अच्छा पढ़ने लिखने वाला लड़का था. में जहाँ तक हो सके उसे सीनियर्स से दूर रखता था और रेगिंग से बचाकर उसकी हिम्मत बढ़ाता था. अब धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहरी होती चली गयी थी और ना जाने कब हमारे बीच शारीरिक आकर्षण आ गया था? अब पहले साथ पढ़ते-पढ़ते हम एक दूसरे को गलती से छू भी ले तो ध्यान नहीं देते थे, लेकिन मन में हम दोनों के तूफान मचा हुआ था, बस एक स्टार्टिंग पॉइंट की देर थी.

 

मित्रों ये उस समय की बात है जब हमारे सेकेंड सेमेस्टर के पेपर चालू हुए, तो किस्मत से पूर्णिमा के सारे घर वाले अपनी मौसी के बेटे की शादी में गये हुए थे, अब एग्जॉम की वजह से वो घर पर ही रह गयी थी. फिर एक दिन पूर्णिमा ने मुझे फोन करके बुलाया और कहा कि साथ में पढाई करते है, तो में तो खुशी से उछल पड़ा. अब मेरा लंड उसकी मोटी गांड को याद करके पूरा 7 इंच खड़ा हो गया था तो मैंने पहले बाथरूम में जाकर अपने लंड महाराज को शांत किया और फिर तैयार होकर उसके घर पहुँच गया. अब उसके घर पर पहुँचते ही में समझ गया था कि आज तो यह जरुर चुदेगी, उसने एक पतली सी पारदर्शी नाइटी पहनी थी, जिससे उसके अंदर के पार्ट साफ-साफ़ झलक रहे थे.

 

उसने ना ही ब्रा पहनी थी ना ही पेंटी पहनी थी. अब मेरा लंड तो जैसे मेरी पेंट फाड़कर बाहर निकलने वाला हो गया था. फिर आधे घंटे तक तो हम शरीफ बच्चों की तरह पढ़ते रहे. फिर मैंने हिम्मत करके उसके कंधे पीछे से दबाए और उसे अपनी और खींच लिया और ठंडी साँस लेते हुए उससे कहा कि अब पढ़ाई नहीं होती है.

 

उसने भी मेरी जाँघ पर अपना हाथ फैरते हुए कहा कि चलो थोड़ी देर सो लेते है. फिर हम दोनों बेडरूम में आ गये और अब हम एक ही चादर में लिपटकर सोने लगे थे, अब उसकी आँखें बंद थी. फिर मैंने हिम्मत करके उसे अपने से सटा लिया, अब मेरा खड़ा लंड उसे चुभने लगा था. तो वो कसमसा उठी, लेकिन उसने अपनी आँखें नहीं खोली. फिर मैंने अपने पैर उसकी जाँघ पर चढ़ा दिए और उसे कसकर गले लगा लिया, तो उसने कोई विरोध नहीं किया, अब उल्टे उसमें खुमारी चढ़ने लगी थी. फिर मैंने उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठो को चूम लिया, ये मेरा सबसे प्यारा स्मूच था.

 

मित्रों हम काफ़ी देर तक एक दूसरे के लिप्स को चूसते रहे, फिर क्या था? मैंने झट से उसे कपड़ो से आज़ाद कर दिया और खुद ने भी अपने कपड़े उतार दिए, अब हम दोनों पूरे नंगे थे. फिर में उसके ऊपर चढ़ गया, हाए जैसे ज़ोर का झटका लगा हो, कैसा मक्खन सा बदन था उसका? अब में उसके बूब्स चूमने और चूसने लगा था. अब वो भी मेरी गांड पर अपना एक हाथ फैरने लगी थी. फिर मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा, तो वो शर्म के मारे लाल हो गयी, लेकिन उसने मेरा लंड नहीं छोड़ा था.

 

अब में नीचे उसकी चूत को चाटने लगा था, तो वो चीख पड़ी ऊफफफफफ्फ क्या कर रहे हो? विशाल मेरे अंग- अंग में आग लग गयी है, उहहह, ऊफफफ, हम्मम्मम और करो और करो मेरी जान, चूसो, चाट लो, में तुम्हारी पत्नी हूँ, चोद डालो मुझे. बस फिर क्या था? में उसके ऊपर सवार हो गया और उसकी चूत पेलने लगा, तो वो दर्द से बिलबिला उठी, लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा और 15 मिनट तक उसकी चूत में दनादन अपना लंड पेलता रहा. फिर थोड़ी देर के बाद वो झड़ गयी, लेकिन मेरा लंड अभी तक शांत नहीं हुआ था, मेरी नजर कई दिनों से उसकी मतवाली गांड पर थी.

 

फिर मैंने उसे पलट दिया और उसकी गांड चाटने लगा. अब वो शर्म के मारे मरी जा रही थी. फिर मैंने उसकी गांड में अपनी एक उंगली की, तो वो आह करके चिल्लाई और बोली कि प्लीज यहाँ मत करो, बहुत दर्द होता है. फिर मैंने कहा कि घबरा मत मेरी रानी अभी वैसलीन लगाता हूँ. फिर मैंने आधी बोतल वैसलीन उसकी गांड के छेद पर लगा दी और बहुत सारी मेरे लंड पर भी लगा दी और उसकी गांड चोदने लगा. फिर वो जोर से चिल्लाई, लेकिन मैंने उसे रोका नहीं.

 

अब मुझे उसे चिल्लाते हुए देखकर बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, तो वो हाँ-हाँ चोद दो मेरी गांड को, फाड़ दो, आह, आह, आह में मर गयी, चोद विशाल, चोद कमीने, कुत्ते, आह, आह, चोद अपनी कुत्तिया को करके चुद रही थी. फिर आधे घंटे के बाद में झड़ गया, फिर मैंने जी भरकर उसकी मोटी गांड को चाटा और चूमा और उसके छेद में भी अपनी जीभ डाल दी.

 

मित्रों फिर उसी से उसको किस भी किया और फिर खड़े होकर अपना स्पर्म और लंड उसके मुँह में डाल दिया, तो वो उसे लॉलीपोप की तरह चूसने लगी. फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गये. फिर में रोज उसकी चूत मारता और उसकी गांड चोदता रहा. फिर ये सिलसिला 4 साल तक चलता रहा. अब उसकी गांड पूरी मटके की तरह और भी चौड़ी और फूल गयी है, उसे चोदने का मज़ा ही कुछ और था. फिर हमें जब कभी भी कोई मौका मिला, तो हमने खूब चुदाई की और खूब इन्जॉय किया. अब तक पूर्णिमा भोसड़ी मरवाने की शौक़ीन हो चुकी थी.

What did you think of this story??






अन्तर्वासना इमेल क्लब के सदस्य बनें


हर सप्ताह अपने मेल बॉक्स में मुफ्त में कहानी प्राप्त करें! निम्न बॉक्स में अपना इमेल आईडी लिखें, फिर ‘सदस्य बनें’ बटन पर क्लिक करें !


* आपके द्वारा दी गयी जानकारी गोपनीय रहेगी, किसी से कभी साझा नहीं की जायेगी।