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मेरी जिन्दगी की सबसे बड़ी भूल

Posted on:- 2022-03-24


नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अनुकूला है. मेरी उम्र 23 साल है और मेरे बॉयफ्रेंड का नाम अपस्यु है. दोस्तों अपस्यु जैसा सुंदर समझदार और प्यार करने वाला बॉयफ्रेंड हर किसी को बहुत मुश्किल से मिलता है, लेकिन मेरी अच्छी किस्मत की वजह से वो मुझे मिला था और इसलिए में उन्हे बहुत प्यार और उनकी बहुत इज़्ज़त भी करती हूँ. हमारे इस रिश्ते को पूरे चार साल हो गए थे और वो अभी भी मुझे उतना ही प्यार करते है जितना कि चार साल पहले करते थे और उस वजह से हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश रहते है. हमें एक दूसरे से किसी भी तरह कि कोई भी परेशानी या शिकायत नहीं है, इसलिए हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश रहते है.

 

दोस्तों आज में आप सभी को अपनी एक ग़लती के बारे में बताने जा रही हूँ जो करीब एक साल पहले मुझसे हो गई थी और में वो सच्ची घटना आज आप सभी को बताने जा रही हूँ. जिसके बाद मेरा पूरा जीवन बदल गया. दोस्तों मेरे बॉयफ्रेंड का एक बहुत करीबी दोस्त है, जिसका नाम अनवर है. उससे मेरी मुलाकात करीब दो साल पहले ही हुई थी, क्योंकि वो भी हमारे घर पर अक्सर किसी काम से आता था इसलिए मेरी भी उससे बात शुरू होते होते अच्छी दोस्ती हो गई थी में उससे अक्सर जब कभी भी मुझे मेरे बॉयफ्रेंड के लिए कोई भी गिफ्ट या कुछ भी देना होता है में उससे हमेशा उसके लिए फ़ोन करके सलाह भी लेती थी और वो जो भी मुझसे कहता मुझे ठीक लगता में अधिकतर समय उसकी बात को मानकर काम किया करती थी.

 

एक बार मेरा बॉयफ्रेंड जिस कंपनी में नौकरी करता था उस कंपनी ने उसका तबादला हमारे शहर पुणे से दूर मुम्बई शहर में कर दिया और वो उसकी वजह से मुम्बई चले गए और में यहाँ पुणे में बिल्कुल अकेली रह गई. घरवालों के साथ रहने पर भी मेरा बिल्कुल भी मन नहीं लगता और मुझे हमेशा उनकी याद आती. में बड़ी उदास रहने लगी थी और अब हम लोग हर रोज़ समय निकालकर फोन पर घंटो बातें करने लगे थे. एक दिन मेरे मन में एक विचार आया कि क्यों ना में खुद ही बिना बताए बैंगलोर जाकर उन्हे अपने इस काम से चकित कर दूँ और में उनके साथ वहीं पर कुछ दिन रहकर आ जाऊँ. वैसे भी में उन्हे बहुत याद कर रही थी, क्योंकि उनके चले जाने के हमें बहुत दिन हो गए थे एक दूसरे के साथ सेक्स किए हुए और फिर मैंने पक्का विचार बनाकर अनवर को फ़ोन कर दिया.

 

मैंने उससे पूछा कि क्या वो फ्री है तो मुझे अपने साथ बैंगलोर ले जा पाएगा? अब उसने एक अच्छे दोस्त की तरह अपनी तरफ से मुझे एकदम से हाँ कर दिया और में वो जवाब सुनकर बड़ी खुश हुई. मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था. फिर हम दोनों पक्का विचार करके अवनर की गाड़ी से शाम को करीब पांच बजे हमारे घर से मुम्बई के लिए निकल गए.

 

उस समय रास्ते में बहुत तेज बारिश हो रही थी और हम धीरे धीरे लगातार चलते रहे और तभी एक सुनसान जगह पर आकर हमारी गाड़ी का इंजन खराब हो गया. उस समय रात के करीब 11:30 बज रहे थे और हमारे आसपास जंगल था, इसलिए मुझे अब बहुत डर लग रहा था. फिर अनवर ने मुझसे बोला कि हम आज की रात कहीं आसपास के किसी आदमी के घर में गुज़ारकर सुबह किसी मेकेनिक को बुलाकर उससे अपनी गाड़ी को ठीक करवाकर हम दोनों बैंगलोर के लिए चलेंगे. फिर मैंने डरते हुए उसकी वो बात मान ली और मुझे उस समय बहुत डर लग रहा था, इसलिए में गाड़ी से बाहर निकलकर उसके एकदम पास चल रही थी और चलते चलते हम लोग बहुत दूर आ गये, लेकिन हमें कहीं कोई दिखाई नहीं दिया और उस समय भी ज़ोर की बारिश हो रही थी इसलिए हम दोनों ऊपर से लेकर नीचे तक एकदम भीग गये थे. तभी अचानक से हमें थोड़ा सा दूरी पर एक घर दिखाई दिया, वो एक झोपड़ी थी.

 

जल्दी से आगे बढ़ते हुए हम दोनों उस घर के सामने पहुंच गए उसके बाद अनवर ने ज़ोर से कई बार बाहर से आवाज़ लगाई, लेकिन अंदर से हमें ना कोई आवाज़ आई ना कोई जवाब मिला. फिर मैंने उस घर के दरवाज़े को थोड़ा ज़ोर से खटखटाया तो वो दरवाज़ा खुल गया.

 

हमने देखा कि उसके अंदर कोई भी नहीं था और अब मुझे बहुत जोरदार ठंड लग रही थी, इसलिए में जल्दी से बिना कुछ सोचे समझे तुरंत उसके अंदर घुस गई, उसके अंदर एक छोटा सा बल्ब था जो कि हल्की रौशनी से टिममटिमाते हुए जल रहा था. उसकी बस इतनी रोशनी थी कि सब हमे अंदर कि चीज़े दिख जाए. फिर हमने देखा कि वहीं पर सामने नीचे जमीन पर कुछ थोड़ा खाना भी रखा हुआ था उस समय हम दोनों बहुत भूखे थे, इसलिए दोनों ने जल्दी से वो खाना मिल बाँटकर खा लिया.

 

अनवर ने मुझसे कहा कि शायद यह किसी मजदूर का घर होगा जो रात में काम पर गया होगा, इसलिए वो इस समय यहाँ पर नहीं है और अब उसने मुझसे कहा कि आज की रात हम दोनों को यहीं पर रहकर बिताना हमारे लिए सुरक्षित रहेगा. दोस्तों सच कहूँ तो में उस समय एक पराए मर्द के साथ थी इसलिए मुझे ज्यादा डर भी लग रहा था, लेकिन उसके अलावा मेरे पास और कोई रास्ता भी तो नहीं था, तभी अचानक से मुझे पास की दीवार पर एक खूंटी पर लटकी हुई एक शर्ट दिखाई पड़ी और उसको अनवर ने देखकर मुझसे कहा कि तुम उसको पहन लो वरना तुम्हे इन भीगे कपड़ो की वजह से बुखार आ जाएगा.

 

दोस्तों पहले तो मैंने उससे वो काम करने से साफ मना किया, लेकिन फिर उसके मुझसे बहुत बार कहने पर में उसको पहनने अंदर चली गई और अंदर में जब अपनी साड़ी खोल रही थी तो दरवाज़े के कोने से मैंने अनवर को अपनी शर्ट को उतारते हुए देखा. तब मुझे दिखा कि उसका बदन बहुत ही गठीला, सुंदर था. कुछ देर देखने के बाद मैंने अपनी नज़र उस पर से हटा ली और मैंने उस शर्ट को अपने ब्लाउज के ऊपर ही पहन ली और में बाहर आ गई. उस समय अनवर नंगे बदन खड़ा हुआ था और वो सिर्फ़ अपनी पेंट में खड़ा था.

 

उसने जब मुझे भीगी हुए उस शर्ट में देखा तो वो चुप हो गया और अलग एक कोने में जाकर बैठ गया. फिर में भी चुप होकर दूसरे सामने वाले कोने में बैठी हुई थी. जिस जगह पर वो बैठा हुआ था उसके ऊपर की छत थोड़ी सी टूटी हुई थी, इसलिए उसके ऊपर वहां से पानी गिर रहा था. फिर मैंने उसको भीगता हुए देखकर उससे कहा कि तुम वहां पर बैठकर मत भीगो, तुम मेरे पास यहाँ पर आकर बैठ जाओ, यहाँ पर सूखा है. फिर वो मेरी बात को सुनकर बिना कुछ कहे मेरे पास आ गया और मेरे भीगे ब्लाउज और ब्रा की वजह से मेरी वो शर्ट भी भीग गई थी.

 

जिससे अब मेरी छाती का वो गोल गोल आकर्षक आकार उसको दिख रहा था और अब मुझे भी कुछ अजीब सा लग रहा था. तभी अचानक से मेरी आखों में ना जाने कुछ चला गया तो उसकी वजह से मुझे बहुत जलन होने लगी और मैंने कुछ देर अपनी तरफ से कई कोशिश करने के बाद उससे कहा कि तुम अगर फूंक मार दोगे तो हट जाएगा.

 

अब मेरे कहते ही उसने फूंक मारना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से उसकी छाती करीब करीब मेरे बूब्स से चिपक गई थी और फूंक मारते मारते उसका एक हाथ अब मेरे गरम गुलाबी होंठो के बिल्कुल पास में आ गया. उसकी गरमी को पाकर मेरी सांसे फूलने लगी थी. और यह सब देखकर मेरी हालत को समझकर उसी समय उसने मेरे होंठो पर किस कर दिया और फिर मैंने भी उसी समय उसको एक थप्पड़ मार दिया और उससे कहा कि यह क्या कर रहे हो, क्या तुम्हे शरम नहीं आती?

 

मैंने देखा और महसूस किया कि उसको तो उस समय पागलपन सवार हो गया था इसलिए उसने मुझे एक बार फिर से दबोच लिया और वो मेरी गर्दन पर चूमने लगा. उसी समय उसने मेरी उंगली से मेरे बॉयफ्रेंड की दी हुई अंगूठी को उतारकर फेंक दिया और उसने मेरे कान पर काटना शुरू कर दिया. में उससे अपने आपको छुड़ाना चाह रही थी इसलिए में लगातार कोशिश किए जा रही थी, लेकिन उसका वो मर्दाना जिस्म मुझे अपनी पूरी ताकत से उसकी तरफ खींच रहा था और फिर उसने मुझसे कहा कि अनुकूला तुम मुझसे बिल्कुल भी मत शरमाओ, यह रात हमारे बीच ही रहेगी और इस रात हुए काम के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा.

 

अब मैंने उसका विरोध करते हुए उससे कहा कि नहीं ऐसा नहीं हो सकता. यह सब गलत है और एक बहुत बड़ा पाप है, लेकिन वो मुझसे कहने लगा कि प्लीज मुझे आज यह पाप करने दो और इतना कहकर उसने मेरी शर्ट को खींचकर फाड़ दिया, जिसकी वजह से अब मेरे ब्लाउज के अंदर मेरे बूब्स उसके सामने आ गए. मुझे और ज्यादा उसको रोका नहीं गया मेरी हिम्मत खत्म हो गई थी इसलिए में उसकी ताकत के सामने मजबूर होकर में उसके सामने लेट गई और अब मेरी आखों से आंसू निकल गए, जिनको देखे बिना उसने धीरे धीरे मेरे उस ब्लाउज को पूरा नीचे उतार दिया और फिर उसने मेरी ब्रा को भी खोलकर नीचे उतार दिया और वो मुझसे कहने लगा कि वाह तुम इतनी सुंदर हो मज़ा आ गया. आज में तुम्हे पूरा अपना बना लूँगा.

 

इतना कहकर वो ज़ोर से मेरे बूब्स को दबाने लगा, जिसकी वजह से मेरे मुहं से सिसकियों की आवाज़ निकल गई में आआहहा ऊफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ प्लीज छोड़ दो मुझे स्सीईईईईइ यह सब तुम मेरे साथ क्या कर रहे हो, मत करो ऐसा आईईईईइ उससे लगातार आग्रह करती रही, लेकिन वो बिना सुने अपने काम में लगा रहा.

 

अब उसने ज्यादा देर ना करते हुए जल्दी से मेरे पेटिकोट को भी उतार दिया और उसके साथ साथ उसने अपनी पेंट और उसके साथ में अपनी अंडरवियर को भी नीचे उतार दिया, जिसकी वजह से हम दोनों उस हल्की रौशनी में एक दूसरे के सामने नंगे थे. अब उसने मेरे दोनों पैरों को पकड़कर उनको पूरा फैलाकर अपना लंड एक जोरदार धक्का देकर उसने मेरी चूत के अंदर डाल दिया, जिसकी वजह से मुझे बहुत दर्द हुआ और में ज़ोर से चिल्ला पड़ी, लेकिन उसको कुछ भी असर नहीं हुआ और वो लगातार जोरदार धक्के देकर मेरी चूत को अपने लंड के लिए फैलाता और उसको बड़ा करता रहा. में उसके नीचे पड़ी चुदती रही और कुछ देर बाद मुझे भी मजा आने लगा.

 

उस सारी रात में उसने मुझे पांच बार चोदा और हर बार उसने अपना गरम गरम वीर्य मेरी चूत में निकाल दिया, जिसकी वजह से में उसकी चुदाई से बहुत खुश हो गई. में तो मानो उसमे जैसे खो गई थी. दोस्तों वो सारी रात मेरे नंगे बदन से उसकी जो मर्जी पड़े चाहे वो करता रहा और अब में उसको रोक नहीं रही थी, क्योंकि में भी उसकी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी.

 

उसने मेरी चूत को अपने धक्को से इतना मजबूर कर दिया कि मुझे झड़ना ही पड़ा और उसने मेरे बूब्स को चूस चूसकर मेरे हल्के गुलाबी निप्पल पर अपने निशान बना दिए थे मेरे होंठो पर उसके होंठ मानो जैसे चिपक से गए थे. मेरे बूब्स को उसने कई बार चूसा और उनको ज़ोर लगाकर दबाया और मेरे रसभरे गुलाबी होंठो को चाटा, मेरी गोरी पीठ को चूमा और मुझे अपनी गोद में बैठाकर भी उसने मेरी बहुत अच्छी चुदाई का मुझे मज़ा दिया और उसने मेरे निप्पल पर इतना ज़ोर से काटा कि उन पर उसके दांत के निशान बन गए थे.

 

उसकी वजह से मुझे कुछ दर्द हो रहा था, लेकिन में अब जैसे बेहोश होकर उसके साथ उस काम वासना का शिकार होना चाह रही थी, इसलिए में भी कुछ देर बाद उसका पूरा पूरा साथ देकर अपनी चुदाई के मज़े लेने लगी और हमे पता भी नहीं चला कि कब हम दोनों को नींद आ गई और हम दोनों थककर सो गए.

 

जब हम दूसरे दिन सुबह उठे तो उसने मुझसे पिछली रात के उस काम के लिए माफी माँगी और मैंने अपने आपको उस रात के काम के लिए बहुत बड़ा कसूरवार समझा और फिर करीब आधे घंटे के बाद उसने मुझे मेरे बॉयफ्रेंड के पास मुम्बई ले जाकर छोड़ दिया. उस पूरे सफर में हम दोनों ने एक दूसरे से कोई भी बात नहीं की और उसके बाद वो वहां से अपने किसी जरूरी काम का बहाना बनाकर चला गया और उस दिन से आज तक मैंने उसका मुहं दोबारा कभी नहीं देखा.

 

दोस्तों मुझसे उस रात को वो बहुत बड़ी भूल हो गई और शायद उस गलती की वजह से मेरे पेट में उसका बच्चा आ गया है, दोस्तों उस गलती ने मेरा अब बचा हुआ पूरा जीवन, मेरा सोचने समझने का तरीका एकदम बदलकर रख दिया है और जिसकी उम्मीद मुझे बिल्कुल भी नहीं थी, वो सब कुछ मेरे साथ उस एक रात में हो गया और उसका फल भी मुझे मिल गया. मित्रों ये कहानी आप देशीअडल्टस्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं.

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