मुख्य पृष्ठ » रंडी की चुदाई » मेरा घर रंडीखाना बन गया


मेरा घर रंडीखाना बन गया

Posted on:- 2024-01-14


नमस्कार दोस्तों.. मेरा नाम तेजिन्द्र है.. मेरी उम्र 22 साल है और मैं आज आप सभी को अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ.. लेकिन यह घटना कुछ समय पहली की है. दोस्तों हमारे घर में मेरी माँ नाम कमला, पापा नाम रमेश, मैं, मेरी छोटी बहन गुड़िया रहते है. हमारे साथ मेरी बुआ नाम गायत्री और उसकी बेटी गीताली भी रहते है. उन्होंने अपनी शादी के दो साल बाद ही अपना घर छोड़ दिया और वो वापस हमारे घर पर हमारे साथ रहने आ गई. हमारे फूफाजी मिलट्री में नौकरी करते है और हमेशा ही बुआ और फूफा की किसी ना किसी छोटी मोटी बात पर लड़ाई होती रहती है और इसी बात को लेकर बुआ ने फूफा पर कोर्ट में केस भी किया है. हमारे पापा वन विभाग में एक सरकारी नौकर है.. लेकिन वो बहुत शराब पीते है.. जिसकी वजह से उन्हे कई बार नौकरी के हाथ भी धोना पड़ा और आख़िर में पापा की नौकरी भी चली गई. मैं उस समय 12 साल का था और 6th वीं क्लास में पड़ता था और उस समय मेरी बहन 9 साल की थी और बुआ की लड़की 8 साल की. नौकरी चले जाने से पापा के पास कोई काम नहीं था और बस उनको तो मज़े मिल गये.. बस वो दिन रात शराब पीने में लगे रहते. उन्हें घर परिवार की कोई चिंता नहीं थी. मेरी बुआ का चाल चलन भी कुछ ठीक नहीं था और इसी वजह से वो अपने ससुराल में नहीं टिक पाई.

 

इसके बाद एक दिन पापा ने कुछ ज़मीन भी बेच दी जिसकी वजह से हमारे सारे रिश्तेदारों ने हमारे घर आना जाना भी छोड़ दिया.. रिश्तेदार पहले भी उन्हें बुरा बोलते थे और कहते थे कि बुआ को घर क्यों बैठाया है? इसके बाद मुझे धीरे धीरे थोड़ी बहुत बात समझ आने लगी थी. हमारे पापा के 4 दोस्त थे जो सप्ताह के हर शनिवार को शहर से आते थे और उस समय शराब का बहुत दौर चलता था. हमारे घर में दो कमरे है.. एक कमरे में.. मैं, माँ – पापा और बहन सोते है और दूसरे में बुआ और उसकी लड़की सोती है.. लेकिन जब पापा के दोस्त आते थे तो मुझे और गुड़िया को भी बुआ के रूम में सोना पड़ता था. इसके बाद मैं 15 साल का हो गया और कक्षा 9th में पढ़ने लगा.. गुड़िया 12 साल की हो गई और गीताली 11 साल की. हमारे गावं में 8 वींth तक स्कूल था.. और 9th के लिए दूसरे गावं में जाना पड़ता था.. जो हमारे घर से लगभग 5 किलोमीटर दूरी पर था. इसके बाद मुझे मेरी उम्र के साथ साथ सब कुछ महसूस होने लगा कि गावं के लोगों का हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं है. पापा शराब के नशे में हर किसी को गाली दे देते थे.. शायद हो सकता है.. कि इसी वजह से सभी का व्यवहार ऐसा हो गया होगा.

 

एक शनिवार को पापा के चारों दोस्त हमारे घर आए.. उस समय शाम के 6 बज चुके थे. तो पापा ने मुझे मीट लाने बाजार भेज दिया.. क्योंकि वह दोस्त शराब खुद ले आए थे. इसके बाद जब मैं मीट लेकर आया तो माँ और बुआ नहाने की तैयारी कर रही थी. इसके बाद माँ मुझसे बोली कि तेजिन्द्र तुम अपना और गुड़िया का स्कूल बेग बुआ वाले कमरे में रख दो.. आज मेहमान आए है तो तुम वहीं पर सो जाना. तो मैंने समान उठाया और बुआ के रूम में चला गया.. वो गर्मी के दिन थे तो माँ और बुआ खाना बनाने लगी थी. पापा और उनके दोस्त शराब पीने बैठ चुके थे.. पापा के चारों दोस्त शहर में बहुत बड़े कारोबारी थे और बहुत अमीर थे. रात 8 बजे माँ ने मुझे गुड़िया और गीताली को खाना दे दिया और कहा कि अब तुम जाकर सो जाओ. एक घंटे के बाद गुड़िया और गीताली सो गई.. लेकिन में सोच रहा था कि पापा ऐसा क्यों करते है? और हमारे सब रिश्तेदार आस पड़ोस के लोग उन्हें पसंद नहीं करते है.. क्यों कोई हमारे घर आना पसंद नहीं करता ? तो सोचते सोचते मुझे ख्याल आया कि अगर मेहमान दूसरे रूम में सोते है तो माँ, पापा और बुआ कहाँ सोते है? इसके बाद मैंने सोचा कि शायद हो सकता है कि वो लोग बाहर ही सो जाते होंगे.. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. बर्तनो की आवाज़े आ रही थी.. शायद वो सभी खाना खा रहे थे. इसके बाद थोड़ी देर बाद शांत हो गये.. वो रात के 11 बजे का टाईम था. बुआ रूम में आई और देखा कि हम सब सो चुके है और इसके बाद बाहर चली गई. में उस टाईम सोया तो नहीं था.. लेकिन मेरी आँखे बंद थी और मैं सोने की कोशिश कर रहा था. तभी थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब लगा तो में बाहर आँगन में पेशाब करने गया और मैंने वहाँ पर देखा तो बाहर कोई भी नहीं सो रहा था.

 

तो में सोचने लगा कि दूसरे रूम में मेहमान है तो माँ, पापा और बुआ कहाँ सो रहे है? हमारा घर गावं से बाहर था और घर के चारो तरफ काँटेदार तार लगे हुए थे.. क्योंकि पापा जब वन विभाग की नौकरी करते थे.. तो उन्होंने घर की चारदिवारी अच्छे से करवाई थी और कोई भी अंदर आना चाहे तो गेट से ही आ सकता था.. बाकी कोई रास्ता नहीं था. इसके बाद मैं माँ, पापा बुआ कहाँ सोए है यह देखने के लिए पापा के रूम की पिछली खिड़की से देखने के लिए खिड़की के पास गया. रूम की लाईट चालू थी और जैसे ही मैंने खिड़की से देखा तो हमारे पैरों तले ज़मीन खिसक गयी. पापा के चारों दोस्त नंगे है.. माँ और बुआ भी बिल्कुल नंगी है.. उनके दो दोस्तों के पास माँ थी और दो के पास बुआ. पापा कुर्सी पर बैठे थे और यह सब कुछ देख रहे थे. एक दोस्त माँ के बूब्स को मुँह में लेकर चूसने लगा.. दूसरे दोस्त का माँ ने लंड मुँह में डाल लिया और पूरे जोश से चूसने लगी और बुआ बारी बारी से दोनों के लंड चूस रही थी.

 

इसके बाद एक दोस्त बेड पर सो गया तो बुआ उसके लंड के ऊपर बैठ गई और दूसरे ने अपना लंड बुआ के मुँह में डाल दिया.. बुआ ज़ोर ज़ोर से साँसे लेने लगी और बोल रही थी कि मार दोगे क्या? प्लीज़ आराम आराम से करो. इसके बाद दोनों ने अपनी स्पीड बड़ा दी और बुआ ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी. पापा के दोनों दोस्त और माँ बोल रहे थे कि चोदो और ज़ोर से चोदो. तो बुआ माँ से बोलने लगी कि भाभी आपका नंबर भी आएगा आप क्यों ज्यादा खुश हो रही हो? इतने में एक ने माँ को बेड पर लेटा दिया और माँ को मसलने लगा और दूसरा बोला कि इसे भी दोनों एक साथ चोदते है.. तो माँ और बुआ दोनों चिल्लाने लगी. इसके बाद पोज़िशन चेंज करके चारों ने उन दोनों की चुदाई की और मैं उसके बाद अपने रूम में आकर सो गया.. शायद पूरी रात उनका यह प्रोग्राम चलता रहा. इसके बाद सुबह जब माँ रूम में चाय लेकर आई तो उन्होंने मुझे और दोनों बहनों को जगाया.. तब 10 बज रहे थे और मेहमान जा चुके थे. तो मुझे माँ का चेहरा देखते ही रात का सीन हमारे दिमाग़ में घूमने लगा.

 

अब हर शनिवार पापा के दोस्त आते और पूरी रात माँ और बुआ की चुदाई करते और उसके बदले उन्हें कुछ पैसे दे जाते और यह सिलसिला जब में 18 साल का हो गया तब तक चलता रहा और मेरी 12 वीं भी पूरी हो गई. गुड़िया 15 साल की और गीताली 14 साल की हो गई थी.. और अब वह भी सेक्स का मतलब समझने लगी थी और अब आगे की पढ़ाई के लिए मुझे शहर में जाना पड़ता था. गावं में बदनामी भी बहुत होने लगी थी और लोग मुँह पर बोल देते थे कि रमेश अपनी बीवी और बहन से धंधा करवाता है. अब और भी कई लोगों ने हमारे घर पर आना शुरू कर दिया था. एक दिन माँ, पापा और बुआ अपने रूम में बैठे थे और बातें कर रहे थे. तो माँ बोली कि अब बच्चे बड़े हो रहे है.. गावं में भी सभी लोगो को पता लग चुका है और अब हमारे पास पैसे भी बहुत हो गये है.. क्यों ना हम यह सब कुछ बंद कर देते है. इसके बाद बुआ बोली कि भैया हम ऐसा करते है कि गावं में सब कुछ बेचकर शहर में एक घर ले लेते है.. वहाँ पर सब ठीक रहेगा.. क्योंकि शहर में किसी को किसी से कोई मतलब नहीं होता है. पापा को यह आईडिया पसंद आया और उन्होंने गावं की सारी जमीन जायदाद बेचकर शहर में एक घर ले लिया. इसके बाद हम सारे लोग शहर में आ गये और शहर में आकर इसके बाद से वही धंधा शुरू हो गया और में हर रोज़ उनको देखता था. एक रात को मैं खिड़की से देख रहा था और में जैसे ही पीछे मुड़ा तो मैंने देखा कि हमारे पीछे गुड़िया खड़ी थी. तो में उसे एक साईड में ले गया और पूछने लगा कि तुम यहाँ पर क्या कर रही हो? तो गुड़िया बोली कि जो तुम कर रहे हो. इसके बाद उसने बताया कि मुझे सब कुछ पता है.. हमारे घर में क्या होता है? और मैंने पूछा कि गीताली को? तो वो बोली कि उसे भी यह सब पहले से ही पता है.

 

इसके बाद मैं और गुड़िया रूम में आ गये.. उस टाईम गीताली भी जाग रही थी और हम आपस में बातें करने लगे. गुड़िया उस टाईम 16 साल की थी और गीताली 15 की.. वो दोनों एकदम गोरी और मस्त माल बन चुकी थी. तो गुड़िया बोलने लगी कि भैया माँ और बुआ क्या करती है हमे सब पता है? इसके बाद मैंने उनको बोला कि तुम कभी भी ऐसा मत करना. तो उन दोनों ने कहा कि हम कभी भी कोई ग़लत काम नहीं करेंगी और मुझे उन दोनों पर पूरा विश्वास था. इसके बाद मुझे इंजिनियरिंग करने के लिए एक बहुत अच्छे कॉलेज में एड्मिशन मिल गया और में दूसरे शहर में एक इंजिनियरिंग कॉलेज के हॉस्टल में रहता था और हमेशा हमारे घर की फोटो हमारे दिमाग़ में घूमती रहती थी.. लेकिन मुझे गुड़िया और गीताली पर पूरा विश्वास था कि वो यह ग़लत काम कभी भी नहीं करेगी.

 

माँ और बुआ जो मर्ज़ी पड़े करते रहे. माँ और बुआ को यह भी पता चल गया था कि में उनकी सारी रासलीला को जानता हूँ.. धीरे धीरे हमारे घर पर अब बड़े बड़े लोंगो का आना जाना शुरू हो गया और शहर की बड़ी बड़ी हस्तियाँ भी आनी शुरू हो चुकी है. शहर में तबादला होने के बाद पापा भी अब इंग्लिश शराब पीने लगे थे क्योंकि बुआ और माँ बहुत पैसे कमा रहीं थी. इसके बाद एक दिन हमारे कॉलेज में किसी बात को लेकर हड़ताल हो गई. 2-3 दिन के बाद भी हड़ताल खुलने के चान्स नहीं दिखे और मुझे ऐसा लग रहा था कि हड़ताल लंबी चलेगी. तो मैंने सोचा कि क्यों ना में अपने घर का एक चक्कर लगा आता हूँ? और मैं माँ, पापा को बिना बताए ही घर आ गया और मुझे घर आते आते लगभग 11 बज गये और मैंने सोचा कि आज सब को सरर्प्राइज़ देता हूँ. तो में गेट के ऊपर से चड़कर अंदर आ गया.. शहर में आकर हमने तीन बेडरूम का घर ले लिया था.

 

मैं एक रूम में अलग सोता था.. वो थोड़ा साईड में था और उस कमरे का एक दरवाजा बाहर से भी था. एक कमरे में गुड़िया गीताली और बुआ और एक में पापा, मम्मी सोते थे. इसके बाद मैं चुपचाप खिड़की से गुड़िया के रूम में देखने लगा तो अंदर कोई भी नहीं था.. शायद मुझे अंधेरे की वजह से नज़र नहीं आ रहा था. इसके बाद मैंने सोचा कि चलो देखा जाए माँ और बुआ क्या कर रही है? उनका शहर में आकर रोज़ चुदाई का प्रोग्राम होता था.. तो मैं पापा के रूम की तरफ़ की खिड़की में देखने लगा.. रूम में पापा कुर्सी पर बैठकर सिगरेट पी रहे थे और रूम में कोई दो अजनबी थे.. वो 35-40 साल तक के थे. वो दोनों 6 फुट हाईट के होंगे. इसके बाद उन्होंने पापा को पैसों की गड्डी दी और पापा दूसरे रूम में चले गये. उसी टाईम माँ और बुआ मेक्सी पहने हुए थी और मैं सोच में पड़ गया कि गुड़िया और गीताली भी उनके साथ थी.. वो दोनों वहाँ पर क्या कर रही थी? इसके बाद माँ ने गीताली को और बुआ ने गुड़िया को एक एक करके उन अजनबियों की बाहों में भेज दिया. माँ और बुआ बेड पर बैठ गई और दोनों मर्द गुड़िया और गीताली के ऊपर हाथ फैरने लगे. तभी माँ बोली कि राज साहब ज़रा प्यार से आज दोनों का फर्स्ट दिन है.. तो दूसरा बोला कि हमने इनकी सील की पूरी कीमत दी है. तो राज बोला कि अमित कमला और मधु का यहाँ पर क्या काम है? इन्हें बाहर भेज देते है. मुझे इससे पता लग गया कि एक का नाम राज और एक का अमित है. तो बुआ बोली कि ठीक है हम दोनों बाहर चली जाती है. तो गीताली और गुड़िया बोलने लगी कि नहीं हमे बहुत डर लग रहा है प्लीज आप भी यहीं रहो. इसके बाद राज ने गीताली की कमीज़ खोल दी और उसके छोटे छोटे बूब्स से खेलने लगा.. अमित ने गुड़िया की कमीज़ खोलकर मुँह उसके बूब्स पर फैरने लगा. तो मुझे उन दोनों पर बहुत गुस्सा आ रहा था.. क्योंकि जब मैंने बोला तो वो बोल रही थी कि हम कभी भी ऐसा गंदा काम नहीं करेंगी और आज वो भी इस काम में शुरू हो गई.

 

इसके बाद राज ने गुड़िया को नंगा करना शुरू कर दिया तो गुड़िया सिमट सी गई और माँ पास आकर गुड़िया को बोलने लगी कि बेटी शरमाओ मत मज़े करो और गीताली को भी अमित ने नंगा कर दिया था.. जैसे ही उन दोनों की पेंटी उतरी तो उनकी चूत एकदम साफ थी. उस पर एक भी बाल नहीं था. इसके बाद राज और अमित उनकी चूत को चाटने लगे तो दोनों बिन पानी की मछली की तरह छटपटाने लगी. इसके बाद राज ने गुड़िया को लंड चूसने को बोला तो गुड़िया शरमाने लगी. तो माँ बोलने लगी कि में तुम्हे बताती हूँ कि कैसे चूसते है और इसके बाद माँ ने राज का लंड मुँह में डाल लिया और चूसने लगी.

 

इसके बाद माँ ने गुड़िया को बोला कि अब तू भी ऐसे ही चूस और डरते डरते उसने लंड को मुँह में लिया और उधर गीताली को बुआ सिखा रही थी.. माँ और बुआ भी अभी जवान थी और जैसे ही दोनों के लंड चूसना शुरू किए तो वो तनकर 8 इंच हो गये. इसके बाद माँ बोली कि पहले किसकी सील टूटने का नज़ारा दिखाओगे.. गुड़िया की या गीताली की? और मुझे लगा कि आज इन दोनों का पहला दिन है और कॉलेज की हड़ताल भी ठीक टाईम पर हुई और मैं भी सील टूटने का नज़ारा देखने आ गया. तो बुआ बोली कि टॉस करते है.. अगर हेड आया तो गीताली और टेल आया तो गुड़िया. इसके बाद टॉस किया तो हेड आया.. और अमित ने गीताली को बोला कि तैयार हो जा मेरी रानी.. तो गीताली अमित का खड़ा लंड देखाकर बहुत घबराने लगी.. बुआ बोली कि डरो मत बेटी एक ना एक दिन तो सील टूटनी ही है.. उसके बाद देखना कितना मज़ा आता है और सील अगर लंबे लंड से टूटे तो बाद में कोई समस्या नहीं होती है. तो अमित ने लंड को गीताली की चूत के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया और गीताली को शायद गुदगुदी हो रही थी.. एक तरफ़ माँ थी और एक तरफ़ बुआ.. गीताली को दोनों ने ज़ोर से पकड़ रखा था.

 

इसके बाद माँ गीताली को बोलने लगी कि जब लंड अंदर जाएगा तो आगे मत सरकना.. नहीं तो ना सील तोड़ने वाले को मज़ा आता है ना तुड़वाने वाली को. तो गीताली बोली कि ठीक है और इसके बाद अमित ने हल्का सा झटका दिया. तभी गीताली ज़ोर से चिल्लाई उउउईई माँ मर गई.. तो यह सुनकर पापा भी रूम में आ गये और बोलने लगे कि क्या टूट गई सील? तो माँ बोली कि नहीं अभी तो सुपाड़ा अंदर गया है. गीताली थोड़ा नॉर्मल हुई तो अमित ने एक और ज़ोर का झटका दिया और लंड चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया. गीताली ज़ोर ज़ोर से रोने लगी.. बुआ बोली कि बस थोड़ी देर और दर्द होगा और माँ भी उसे चुप कराने लगी. गीताली उईईईईइ माँ बाहर निकालो में मर जाऊंगी.. प्लीज बाहर निकालो चिल्लाने लगी. इसके बाद गुड़िया माँ से बोली कि माँ मेरा क्या होगा? में दर्द बिल्कुल भी सहन नहीं कर सकती हूँ. तो माँ बोली कि बेटी इसी डर में तो मज़ा है.. जिसके लिए यह सारी दुनिया तरसती है. अमित ने ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर गीताली को चोदना शुरू कर दिया और गीताली ज़ोर ज़ोर से साँसे भरने लगी. इसके बाद उसने अमित को अपनी और खींचना शुरू कर दिया.. तो माँ ने बुआ को बधाई दी. जब अमित ने गीताली की चूत से लंड बाहर निकाला तो उस पर खून लगा था और गीताली की चूत से वीर्य बाहर आने लगा. वीर्य के आगे आगे 3-4 बूँद खून था.. अमित गीताली को लेकर बेड पर लेट गया. अब गुड़िया की सील टूटने की बारी थी.. इसके बाद माँ और बुआ ने गुड़िया को भी पकड़ लिया. राज ने लंड उसकी चूत पर घुमाना शुरू किया और एक ही झटके में आधा लंड उसकी चूत में उतार दिया.. गुड़िया आगे को खिसकने लगी तो माँ और बुआ ने उसे लंड की तरफ़ धक्का लगाना शुरू कर दिया और गुड़िया ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी. इसके बाद राज ने दूसरे झटके में पूरा लंड अंदर डाल दिया. तो माँ बोली कि गीताली तेरे से एक साल छोटी है.. इतना तो वो भी नहीं चिल्लाई जितना तू चिल्ला रही है.

गुड़िया के मुहं से आवाज़े आ रही थी उईई माँ कहाँ फंसा दिया आपने मुझे. इसके बाद कुछ देर बाद गुड़िया शांत हुई और राज का साथ देने लगी और बुआ ने माँ को मुबारकबाद दी और उनकी चुदाई का दौर चलता रहा. अब हमारे घर में 4 रंडियाँ हो चुकी थी और मैंने टाईम देखा तो सुबह के 5 बज रहे थे. इसके बाद में चुपके से अपने कमरे में आकर सो गया.. हमारे कमरे की तरफ़ कोई नहीं आता था. इसके बाद मैं सुबह 9 बजे उठा और नहाने के लिए बाथरूम में गया तो आगे माँ और बुआ खड़े थे. तो माँ बोली कि तेजिन्द्र तुम कब आए? मैं बोला कि सुबह ही आया माँ.. कॉलेज हड़ताल की वजह से बंद हो गया तो में रात की बस से आ गया. इसके बाद माँ बोली कि ठीक किया तूने.. मैं गुड़िया और गीताली के रूम में गया तो वो दोनों सो रही थी और जैसे ही दरवाजे की आवाज़ हुई तो वो उठकर खड़ी हो गई. इसके बाद गुड़िया बोली कि भैया आप कब आए? तो मैंने बोला कि जब तुम दोनों की सील टूट रही थी. तो गीताली बोली कि क्या आपने देख लिया? मैंने बोला कि हाँ.. मैंने उनको बोला कि यह तुम्हारी जिंदगी है मुझे क्या.. लेकिन हमारे साथ तुम ने वादा किया था. मेरा लंड बार बार झांटों को चीर के उसकी बुर को भेदने लगा.

What did you think of this story??






अन्तर्वासना इमेल क्लब के सदस्य बनें


हर सप्ताह अपने मेल बॉक्स में मुफ्त में कहानी प्राप्त करें! निम्न बॉक्स में अपना इमेल आईडी लिखें, फिर ‘सदस्य बनें’ बटन पर क्लिक करें !


* आपके द्वारा दी गयी जानकारी गोपनीय रहेगी, किसी से कभी साझा नहीं की जायेगी।