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ज़िंदगी कहाँ ले आई तू

Posted on:- 2023-08-11


हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम पूजा है और में पंजाब की रहने वाली हूँ. मेरे पापा एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते है, मेरे पापा की सैलेरी बहुत कम है, इसलिए मेरी मम्मी भी जॉब करती है. मेरी मम्मी कपड़े सिलने वाली शॉप में काम करती है, जिससे घर का खर्चा आराम से चल जाता है.

मेरा एक बड़ा भाई भी है, जिसे घर में हम राजू बोलते है, वो 22 साल का है, उसने पढाई छोड़ दी है और अब वो ज्यादातर टाईम फ्री ही रहता है और अपने नशेड़ी दोस्तों के साथ नशा करता है और इसकी वजह से ही उसकी पढ़ाई भी छूट गई है. मम्मी पापा उसकी वजह से हमेशा परेशान रहते है और मेरे घर में सबसे छोटी और सबसे लाड़ली में हूँ, मेरी उम्र 19 साल है और मैंने अभी बी.ए. Ist ईयर में एडमिशन लिया है और में दिखने में सुंदर हूँ, लेकिन थोड़ी मोटी हूँ.

में रोज सुबह 8 बजे कॉलेज जाती हूँ और 2 बजे तक वापस आ जाती हूँ और फिर घर का थोड़ा बहुत काम करके थोड़ी बहुत पढाई कर लेती हूँ. हमारा घर ज्यादा बड़ा नहीं है, नीचे के फ्लोर पर 2 रूम, एक रसोई और एक बाथरूम है और ऊपर के फ्लोर पर सिर्फ़ 2 रूम है और साथ में छोटी सी बालकनी भी है, मेरा रूम नीचे है और मेरे रूम के साथ मम्मी, पापा का रूम है और भाई का रूम ऊपर है.

एक दिन जब में कॉलेज से वापस घर आई तो में हमेशा की तरह थोड़ा आराम करने के बाद घर की सफ़ाई करने लग गई. फिर मैंने सोचा कि काफ़ी दिन हो गये है, भाई के रूम की सफाई नहीं की है, इसलिए में भाई के रूम में सफाई करने चली गई. अब रूम को साफ करने के बाद जब में बेडशीट को ठीक करने लगी तो चादर के नीचे से मुझे कुछ किताबे दिखी, उन सभी किताबों के कवर पर नंगी लड़कियों के फोटो थे.

फिर मैंने एक किताब उठाई और उसे खोलकर देखा तो मेरी आँखे खुली की खुली रह गई. उसमें एक लड़का और एक लड़की थी, वो दोनों बिल्कुल नंगे थे और उन्होंने कुछ भी नहीं पहना हुआ था, वो लड़की अपनी टाँगे फैलाकर बेड पर लेटी थी और वो लड़का उसकी टांगो के बीच में बैठा हुआ था, उस लड़के का लंड बिल्कुल लड़की की चूत पर टिका हुआ था. अब उस फोटो को देखकर मेरा गला सूखने लगा था, उस फोटो में लड़के का लंड बहुत बड़ा था और में लाईफ में पहली बार किसी का लंड देख रही थी. फिर मैंने अगला पेज पलटा तो उसमें लड़के का आधा लंड लड़की की चूत में घुसा हुआ था. अब तो में बेड पर बैठ गई और उस किताब के पेज पलट-पलटकर देखने लगी, वो पूरी किताब इसी तरह के फोटो से भरी पड़ी थी, किसी में लड़की आगे झुकी हुई थी और लड़का पीछे से लंड डाल रहा था और किसी में लड़की लड़के के ऊपर बैठी हुई थी.

अब में उन सभी फोटो को बड़े ध्यान से देख रही थी और अब मुझे अंदर से कुछ महसूस हो रहा था कि काश में इस लड़की की जगह होती. फिर उस किताब के बाद मैंने दूसरी किताब देखी और दूसरी के बाद तीसरी किताब देखी, तो उनमें इसी तरह की फोटो भरी पड़ी थी.

अब उन फोटो को देखते-देखते अचानक से मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूत से कुछ निकल रहा है, तो मैंने अपनी सलवार के ऊपर से ही हाथ लगाकर देखा तो मेरी पेंटी बिल्कुल गीली हो गई थी और मेरी चूत एकदम गर्म हो गई थी. फिर मैंने उन किताबो को बंद करके ठीक उसी जगह पर रख दिया और अपनी सांसो पर कंट्रोल करके नीचे बाथरूम में आ गई.

अब बाथरूम में आते ही मैंने अपने पूरे कपड़े निकाले और अपनी चूत को देखने लगी, मेरी चूत पहले भी काफ़ी बार गीली हो जाती थी, जब स्कूल में और कॉलेज में लड़कियां कई बार अपने बॉयफ्रेंड की बातें बताती थी, लेकिन इतनी गीली आज पहली बार हुई थी और मुझे इस तरह का एहसास भी आज पहली बार हुआ था.

फिर में बाथरूम में अपनी आँखे बंद करके बैठ गई, अब मेरी आँखो के सामने बार बार वो फोटो घूमने लगे थे और में खुद को उस लड़की की जगह सोचने लगी थी. अब में अपनी टाँगे फैलाकर बैठ गई और अपनी चूत में उंगली डालने लगी. में ऐसा पहली बार कर रही थी, लेकिन मेरी चूत इतनी गीली हो गई थी कि हल्की सी उंगली अंदर करते ही पूरी उंगली अंदर चली गई और मुझे ऐसा एहसास हुआ जैसे मेरी चूत में कोई लंड घुस गया हो.

फिर मैंने अपनी टाँगे बंद कर ली और उंगली को अंदर बाहर करने लगी, अब मुझे एहसास हुआ कि मेरी बॉडी का पूरा वजन मेरी चूत से बहकर निकलने लगा हो और में एकदम से फ्री हो गई. अब मुझे ऐसा लगा जैसे कि में आसमान में उड़ रही हूँ और अब मुझे बहुत मज़ा आया और फिर कुछ देर तक में ऐसे ही बैठी रही. उसके बाद में नहाने लगी और प्यार से अपनी चूत को देखने लगी. मेरी चूत पर बहुत सारे बाल उग गये थे, सच तो ये है कि मैंने कभी बाल साफ ही नहीं किए थे.

फिर में नाहकर बाथरूम से निकली और कांच के सामने आ गई, आज मुझे खुद पर बहुत प्यार आ रहा था और मेरी टांगो के बीच मेरी चूत में तो उथल पुथल सी मची हुई थी. आज लाईफ में पहली बार में कांच के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी हुई थी, मेरे बूब्स काफ़ी बड़े-बड़े थे और अब में घूम-घूमकर सब कुछ देख रही थी और खुद से बोल रही थी कि में कितनी सुंदर हूँ.

अब खुद को काफ़ी देर तक कांच में निहारने के बाद मैंने अपने कपड़े पहन लिए, इतने में डोर बेल बज गई. फिर मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने मम्मी थी. अब मम्मी के अंदर आते ही मैंने दरवाजा बंद किया और उनके लिए पानी लेकर आई. फिर मम्मी कुछ देर बैठी और फिर किचन में रात के खाने की तैयारी करने लगी और इसी तरह टाईम बीत गया और रात हो गई. अब रात को बिस्तर पर लेटते ही मुझे फिर से बैचेनी होने लगी और आँखे बंद करते ही वो फोटो मेरी आँखो के सामने आ गये.

अब मेरी चूत फिर से गीली हो गई थी और में अपने हाथ अपने पजामे में डालकर चूत पर ले गई और अपनी उंगली को चूत में अंदर करने की कोशिश करने लगी. फिर मैंने अपना पजामा और पेंटी को निकालकर फेंक दिया और अपनी टांगो को ऊपर उठाकर चूत में उंगली अंदर करने लगी. फिर मैंने अपनी टाँगे बिल्कुल ऊपर मोड़कर उठा ली, जैसे फोटो में थी और अपनी आँखे बंद करके सोचने लगी कि मुझे कोई चोद रहा है. अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. अब रात को मेरी चूत ने 4-5 बार पानी छोड़ा, लेकिन मेरी चूत शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

फिर अगले दिन में कॉलेज नहीं गई और सबके बाहर जाने का इंतजार करती रही. फिर जब मम्मी, पापा अपने काम पर और भाई बाहर चला गया, तब फिर से में भाई के रूम में गई और बाकी की किताबे देखने लगी, वहाँ काफ़ी सारी किताबे थी. फिर मैंने एक किताब उठाई, उसमें फोटो के साथ-साथ कुछ स्टोरी भी थी. इस तरह की स्टोरी मैंने पहली बार पढ़ी थी.

अब में फोटो देखते-देखते स्टोरी भी पढ़ने लगी थी. अब मैंने पूरा दिन स्टोरी पढ़ने और फोटो देखने में बिता दिया था और ना जाने कितनी बार मेरी चूत ने पानी छोड़ा था और फिर आज रात तो में खाना खाते ही सो गई. अब तो मेरा रोज का काम यही हो गया था. अब में कॉलेज से आते ही भाई के रूम में जाती और वो किताबे देखने लगती.

फिर कुछ दिनों में ही मैंने सभी किताबे देख ली थी, इतने ध्यान से कभी पढाई की किताबे देखी होती तो हमेशा Ist आती. अब मेरा मन करता कि कोई मुझे भी ऐसे ही चोदे और मेरे बूब्स को दबाए. हर वक़्त बस यही सब दिमाग़ में चलता रहता था. अब में पहले से ज्यादा सजधज कर भी रहने लगी थी और अपनी बॉडी के पूरे बाल क्रीम से साफ कर लिए थे. अब जब भी में कॉलेज जाती चेहरे पर मेकअप करती और टाईट जीन्स और कभी टॉप के साथ लेंहगी पहनकर जाती, में थोड़ी मोटी तो थी ही जिससे टाईट जीन्स, टॉप में मेरे बूब्स और गांड बहुत मस्त लगते थे और जब लेंहगी पहनकर जाती तब तो मेरी गांड कुछ ज्यादा ही मस्त लगती थी.

में पहले जब घर से कॉलेज जाती थी तो कभी किसी को नोटिस नहीं करती थी, लेकिन अब तो में हर किसी को नोटिस करती थी. अब जिसके पास से भी में गुजरती वो एक बार तो मेरी तरफ़ ज़रूर देखता था और में भी हर किसी को स्माईल देकर चलती थी, लेकिन मेरे मन की मुराद पूरी नहीं हो रही थी.

एक बार रात को गली में काफ़ी कुत्ते भोंक रहे थे, एक तो मुझे बैचेनी के कारण नींद नहीं आती थी और दूसरा कुत्तो ने तंग कर दिया था. फिर काफ़ी देर के बाद कुत्ते शांत हुए, लेकिन बार-बार एक कुत्ते की रोने जैसी आवाज़ आती, तो कभी भोंकने की आवाज आती. ये सब बिल्कुल मेरे घर के बाहर हो रहा था तो मैंने सोचा कि ऊपर जाकर देखती हूँ क्या हो रहा है? और में जल्दी से छत की तरफ़ चली गई तो ऊपर भाई के रूम की लाईट चालू थी, लेकिन उसका दरवाजा बंद था.

फिर में चुपचाप से बालकनी में जाकर देखने लगी कि बाहर क्या हो रहा है? फिर मैंने नीचे देखा तो पाया कि एक कुत्ता कुतिया पर चढ़ा हुआ है और उसे चोद रहा है और कुत्ती बड़े आराम से चुदवा रही है और आस पास काफ़ी कुत्ते खड़े है, जो शायद अपनी बारी का इंतजार कर रहे है. उस वक़्त मुझे उस कुत्तिया से भी जलन सी महसूस हो रही थी.

अब में सोचने लगी कि काश में कुत्तिया होती तो कम से कम इस वक़्त चुद तो रही होती और ये सोचते-सोचते में उनकी चुदाई में ही गुम हो गई. फिर लगभग 10 मिनट के बाद कुत्ता कुत्तिया के ऊपर से हटा, तो दूसरा कुत्ता कुत्तिया पर सवार हो गया और उस कुत्तिया को चोदने लगा. अब वो कुत्तिया गूवंन्न गूणणन्न करने लगी और तभी मेरे कान में आवाज़ आई कि यहाँ क्या कर रही है? तो मैंने सामने देखा तो मेरा भाई बिल्कुल मेरे साथ खड़ा हुआ था. अब उसे देखते ही मेरे होश उड़ गये और कुछ देर के बाद बोली कि क क क कुछ नहीं और नीचे जाने लगी. फिर भाई ने मेरी बाजू पकड़ ली और फिर पूछा कि ऊपर क्यों आई थी? तो मैंने थोड़ा खुद को संभाला और कुछ ठीक से होकर बोली कि कुत्तों की आवाज़े आ रही थी तो ऊपर देखने आ गई.

फिर भाई ने कहा कि तो क्या देखा नीचे? तो फिर मैंने कहा कि वो कुत्ता दूसरे कुत्ते को मार रहा है. फिर भाई ने कहा कि क्या मार रहा है? अब भाई की बात सुनकर मेरे मुँह पर थोड़ी सी स्माईल आ गई और फिर थोड़ा अंजान सा बनते हुए बोली कि कुत्ता कुत्ते के ऊपर चढ़कर उसे मार रहा है. फिर भाई ने मुझसे कहा कि नीचे वाला कुत्ता नहीं है वो कुत्तिया है और फिर थोड़ा मुस्कुरा कर बोला कि वो उसे मार नहीं रहा, उसकी मार रहा है.

अब भाई की बात सुनते ही मैंने मुस्कुरा कर अपना मुँह नीचे कर लिया और फिर बोली कि उस बेचारी को दर्द हो रहा है. फिर भाई मुस्कुराया और मुझे दीवार की तरफ़ मोड़कर कहा कि ध्यान से देखो, अब दूसरी तरफ़ घूमते ही भाई मेरे बिल्कुल पास आ गया और मुझे पीछे से पजामे पर उसका लंड महसूस हुआ.

अब मेरे अंदर का डर काफ़ी हद तक ख़त्म हो गया था और फिर में दीवार के सहारे थोड़ा सा झुक गई, जिससे शायद भाई मेरे मन की बात समझ गया. फिर भाई ने थोड़ा पीछे हटकर कुछ किया, शायद अपना लंड सेट किया और फिर भाई भी मेरे ऊपर थोड़ा झुका और बोला कि अब देखो उसे दर्द हो रहा है या मज़ा आ रहा है. अब भाई का लंड मुझे मेरी गांड पर चुभना शुरू हो गया था. अब मैंने अपनी आँखे बंद कर ली थी और मन में सोचा कि उसका तो पता नहीं, लेकिन मुझे तो मज़े आ रहे है. अब धीरे-धीरे भाई के लंड की चुभन मेरी गांड पर बढ़ती ही जा रही थी.

फिर भाई ने मेरी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया और अब मुझे खामोश देखकर भाई का हौसला शायद थोड़ा बढ़ गया था. फिर उसने मुझे अपनी तरफ़ घुमाया और मेरे गाल पर किस करने लगा. अब धीरे-धीरे गाल पर किस करते हुए वो मेरे होंठो पर आ गया और मेरे होंठो को अपने होंठो में भरकर चूसने लगा. अब मैंने अपनी आँखे बंद कर ली थी और में भी उसका साथ देने लगी थी.

तभी हमें किसी बाईक की आवाज़ सुनाई दी तो भाई ने मुझे छोड़ दिया और इधर उधर देखने लगा, लेकिन आस पास कोई बाईक नहीं थी, शायद वो आवाज़ किसी और गली से आ रही थी. फिर भाई ने मेरी आँखो में देखा. फिर मैंने अपनी आँखे नीचे कर ली. अब उसे तो ग्रीन सिग्नल मिल गया था. फिर उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मुझे अपने रूम में ले जाकर बेड पर लेटा दिया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरे होंठो को चूसने लगा.

फिर मैंने भी अपनी टाँगे खोल ली और उसे अपनी टांगो के बीच में लेकर उसके होंठो को चूसकर उसका जवाब देने लगी. फिर कुछ देर तक ऐसे ही स्मूच करने के बाद वो हटा और उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी और फिर अपनी टी-शर्ट भी उतार दी. जब मैंने ब्रा नहीं पहनी थी, क्योंकि जब से चुदने की आग मेरे अंदर सुलगने लगी थी, तब से रात को रूम में आते ही में अपनी ब्रा और पेंटी उतार देती थी.

अब मेरे नंगे बूब्स देखते ही भाई की आँखे खुली रह गई थी और अब वो उन्हें बड़े ध्यान से देखता रहा और बोला क्या बूब्स है? और फिर अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों बूब्स को ज़ोर से दबा दिया. मुझे पहली बार कोई मर्द टच कर रहा था और आज मेरे मन की मुराद भी पूरी हो रही थी और दर्द होने के बाद भी मुझे दर्द का एहसास नहीं हुआ और में बस स्सस्सस्सह्ह्ह्हह्ह करके रह गई. अब वो मेरे एक बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और बीच-बीच में ज़ोर से काटने लगा था.

अब उसके काटने पर दर्द होता तो में आआआहह की आवाज करती. फिर उसने मुझसे पूछा कि दर्द हो रहा है क्या? तो में बस मुस्कुरा दी और उसका हाथ अपने बूब्स पर रख दिया. फिर भाई मुस्कुराया और अपने घुटनों के बल मेरी टांगो के बीच में बैठकर मेरी कमर से मेरे पाजामे को उतारने लगा. फिर मैंने अपनी टाँगे हवा में ऊपर कर ली और मैंने पजामा उतारने में उसकी मदद की. फिर भाई ने अपना पाजामा और अंडरवियर भी तभी उतार दी. उसका लंड बिल्कुल ही काला था, फोटो जितना मोटा लंबा तो नहीं था, लेकिन डंडे की तरह बिल्कुल सख्त था.

फिर मैंने उसके लंड पर हाथ लगाने की कोशिश की, तो उसने मेरी टाँगे पकड़कर ऊपर उठा दी. फिर मैंने भी तभी अपनी टाँगे पकड़ ली और बिल्कुल ऊपर कर ली. फिर भाई ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा, उसका लंड बिल्कुल गर्म था और अब मेरी चूत भी बिल्कुल चिकनी हो गई थी. अब उसके लंड का मेरी चूत पर दबाव बनते ही लंड चूत को फाड़ता हुआ अंदर जाने लगा और अब भाई बिल्कुल मेरे ऊपर आ गया.

अब मुझे अचानक से तेज दर्द हुआ और मेरी चीख निकल गई और में अपने हाथों से भाई को रोकने लगी और उससे बोली कि बाहर निकालो बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन उस वक़्त भाई कहाँ रुकने वाला था. अब उसने मेरे दर्द की परवाह किए बिना अपना पूरा ज़ोर मेरी टांगो पर लगा दिया और मुझे कस पकड़कर धक्के लगाने शुरू कर दिए. अब मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा था और अब में कराह रही थी, लेकिन फिर उसके धक्को से मेरा दर्द कम होने लगा था.

अब मेरे मुँह से बस आआहह आआअहह आआअहह की दर्द भरी आवाज़े निकलने लगी थी. फिर 8-10 धक्को के बाद उसके लंड का गर्म-गर्म पानी मेरी चूत में निकल गया, जिससे मेरा दर्द बिल्कुल कम हो गया और उसके गर्म-गर्म पानी के एहसास से मेरा भी पानी निकल गया और में भी फ्री हो गई. अब भाई मेरे ऊपर लेटकर मुझे किस करने लगा और मैंने भी नीचे से उसे कसकर हग कर लिया और अपनी आँखे बंद करके उसके साथ ऐसे ही लेटी रही.

अब हम पसीने से पूरी तरह भीग गये थे. फिर कुछ देर के बाद भाई उठा और मेरी तरफ़ देखता हुआ बोला कि अब बता उस कुत्तिया को दर्द हो रहा था या मज़ा आ रहा था. फिर मैंने भी उठकर उसे हग किया और उसकी छाती में अपना मुँह छुपाते हुए खिलखिला कर बोली कि दर्द हो रहा था, लेकिन बाद में मज़ा भी आया. फिर भाई उठा और बाथरूम में चला गया.

फिर मैंने मेरी चूत को देखा तो उसमें से गाढ़ा-गाढ़ा सफेद रंग का पानी निकल रहा था, जिसमें खून भी मिक्स हुआ था. फिर भाई के बाथरूम से बाहर आते ही में भी बाथरूम में चली गई और बाथरूम में बैठकर पेशाब करने लगी, तो पहले गाढ़ा-गाढ़ा काफ़ी सारा भाई का माल निकला. अब मेरी चूत में हल्का-हल्का दर्द भी हो रहा था.

फिर काफ़ी देर तक कोशिश करने के बाद भी पेशाब नहीं आया तो मैंने अपनी चूत पानी से साफ की और फिर से भाई के पास आकर लेट गई. अब वो रूम में लेटा हुआ मेरा ही इंतज़ार कर रहा था. अब बाथरूम से बाहर आते ही मैंने उसके लंड को देखा तो वो एकदम मुरझाया हुआ किसी बच्चे की नूनी बना पड़ा था. अब में उसे देखकर मुस्कुराई तो भाई ने पूछा कि क्या हुआ? क्यों मुस्कुरा रही हो? तो मैंने कहा कि अपने उसको देखो मेरी चूत में चीर फाड़ करके अब कैसे मासूम सा बन गया है? और भाई के बगल में जाकर लेट गई.

फिर भाई हंसने लगा और मेरे पास आते ही मुझे पकड़ लिया और किस करने लगा. फिर मैंने कहा कि भैया लाईट ऑफ कर दो प्लीज़, तो उन्होंने कहा कि क्यों? क्या हुआ? तो मैंने कहा कि मुझे शर्म आ रही है. फिर भाई ने कहा कि जब कुतिया की तरह चुद रही थी तब तो शर्म नहीं आ रही थी. फिर मैंने हल्के से उसकी छाती पर मुक्का मारते हुए कहा कि प्लीज़ कर दो ना, तो उसने लाईट ऑफ कर दी और मुझे अपनी बाँहों में लेकर हग कर लिया.

फिर मैंने भी अपनी टाँगे खोल ली और उसके लंड को अपनी चूत पर महसूस करने की कोशिश करने लगी, लेकिन उसका लंड खड़ा होने का नाम ही नहीं ले रहा था और ऐसे ही हग करके भाई सोने लग गया. अब में भी उसे हग करके सोने लगी और आज मुझे उसकी बाँहों में बहुत मज़ा आ रहा था. मेरा दिल कर रहा था कि ये रात कभी ख़त्म ना हो और ये सोचते-सोचते पता नहीं कब आँख लग गई पता ही नहीं चला.

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