हैल्लो दोस्तों, में पंकज आज आप सभी को अपनी एक मस्त जवान चूत की चुदाई की वो कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसमें मैंने उसको अपनी बातों में फंसाकर बड़े मज़े लेकर चोदा और में उम्मीद करूंगा कि यह आप सभी को जरुर पसंद आएगी.
दोस्तों में जहाँ रहता हूँ उस सोसाईटी का नाम अमन सोसाईटी है और वहाँ पर सभी धर्म के लोग बहुत अमन शांति से रहते है. हम सभी लोग एक दूसरे के बहुत काम आते है और हम सब मिलकर सारे त्यौहार धूमधाम के साथ मनाते और जब कोई भी बात होती तो सब लोग एक साथ मिलकर उसका हल खोजते और समस्या का फ़ैसला करते, इसलिए कोई भी बात ज़्यादा बाहर नहीं जाती. दोस्तों मिस्टर प्रमोद भोसले हमारी सोसाईटी के तीसरी मंजिल पर अपनी बीवी और बेटी के साथ रहते थे, वो बड़े सुशील स्वाभाव के पति पत्नी है और वो दोनों नौकरी करते है.
उनकी बेटी जिसका नाम संगीता और अब वो कॉलेज जाने लगी थी, संगीता व्यहवार की एक बहुत अच्छी लड़की थी, उसकी उम्र 18 साल के ऊपर होने के साथ साथ उसका जिस्म अब भरने लगा था, वो दिखने में अच्छी लगती थी और संगीता के कॉलेज के लड़के उस पर लाईन मारते थे और संगीता को भी वो अच्छा लगता था, लेकिन वो किसी को मौका नहीं देती थी, क्योंकि उसके दिल में तो उसकी सोसाईटी में रहने वाले पंकज के लिए प्यार जाग गया था.
दोस्तों पंकज जो दूसरी मंजिल पर रहता था, वो अपने माँ बाप की दूसरी औलाद था. पंकज 25 साल का था और वो अपनी पढ़ाई पूरी करके अब नौकरी ढूंढ रहा था और वो अच्छी नौकरी मिलने तक कोई ऐसे वैसे नौकरी नहीं करना चाहता था.
पंकज कई दिनों से देख रहा था कि संगीता उसको आते जाते देखती थी, जब वो किसी के साथ बिल्डिंग के नीचे खड़ी होकर बात करती थी और पंकज अपनी बालकनी में आ जाता तो वो उसको नज़र चुराकर देखती और अब पंकज भी संगीता को देखने लगा था, क्योंकि पंकज को भी संगीता पसंद थी और कई दिनों तक यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा.
अब पंकज संगीता को देखकर स्माईल भी करने लगा और धीरे धीरे संगीता भी अब उसकी स्माईल का जवाब देने लगी थी, पंकज अब संगीता से बात करना चाहता था, लेकिन उसको मौका ही नहीं मिल रहा था और संगीता भी पंकज से बात करना चाहती थी, लेकिन वो शरम की वजह से नहीं कर पा रही थी.
फिर एक दिन संगीता से मिलने की पंकज ने पूरी तैयारी की, वो जानता था कि दोपहर के समय सोसाईटी में एकदम सन्नाटा रहता है, इसलिए उसने संगीता को दोपहर के समय मिलने का फ़ैसला लिया. उस दिन पंकज बाल्कनी में खड़ा था और तभी कुछ देर बाद उसको संगीता बिल्डिंग के दरवाजे से अंदर आती दिखी तो वो जल्दी से अपने घर से बाहर निकलकर खड़ा हुआ करीब दो मिनट के बाद उसको संगीता के आने की आहट हुई और जैसे ही संगीता ऊपर आई तो उसने पंकज को देखा संगीता की धड़कन अब तेज़ हुई और संगीता कुछ बोल ही नहीं पा रही थी.
अब संगीता को इस दुविधा में देखकर पंकज हल्के से मुस्कुराकर बोला कि हैल्लो संगीता कैसी हो तुम? तो संगीता शरमाते हुए बोली हैल्लो पंकज में ठीक हूँ और तुम कैसे हो? पंकज संगीता के पास आकर बोला जब तक तुझे नहीं देखा ठीक नहीं था, लेकिन अब ठीक हूँ संगीता मुझे तुमसे एक बात कहनी है, में तुमसे बहुत मोहब्बत करता हूँ और में तुमको मेरी माशूका बनाना चाहता हूँ, क्या तुम भी मुझे चाहती हो संगीता? तो पंकज की बात सुनकर संगीता शरमाने लगी और पंकज की बात से उसकी धड़कन तेज हुई और अब वो नीचे देखकर बोली पंकज यह तुम क्या बोल रहे हो? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है.
अब पंकज संगीता के और पास आकर उसका हाथ हल्के से थामते हुए बोला कि संगीता तुम ऐसी नादान मत बनो, क्यों तुम भी तो मुझे चाहती हो ना? तो पंकज के हाथ पकड़ने से संगीता बहुत डर गई, वैसे वो भी पंकज को चाहती थी, लेकिन ऐसे अचानक अपने प्यार का इज़हार कैसे करती? अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए वो बोली प्लीज़ पंकज तुम मेरा हाथ अब छोड़ो ना, देखो यहाँ पर कोई भी आ सकता है, प्लीज मेरा हाथ छोड़ो.
दोस्तों पंकज को पता था कि इस वक़्त कोई नहीं आता, इसलिए वो बिल्कुल बिंदास था, संगीता जैसे हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी, पंकज उसका हाथ और कसकर पकड़कर उसके और पास आ गया और अब वो उसकी कमर में एक हाथ डालते हुए बोला कि अरे हाथ क्यों खींच रही है तू? में तेरा दीवाना हो गया हूँ, तू पहले मेरी बात का जवाब दे और मेरा प्यार कबूल कर.
फिर संगीता अब पूरी तरह डर गई और वो हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली पंकज यह क्या कर रहे हो तुम? वो अब बहुत डर गई थी, वैसे संगीता ज़रा भोली और शर्मीली लड़की थी, लेकिन अपनी सहेलियों की चुदाई की बातें सुनकर उसके दिल में भी अब अपनी चूत की चुदाई की उमंग जाग उठी थी और वैसे पंकज उससे उम्र और अनुभव में संगीता से बहुत बड़ा था, वो संगीता जैसे भोली लड़की के साथ मस्ती करने के मूड में था. अब संगीता के मुहं से कोई जवाब ना पाकर पंकज हल्के से संगीता के बूब्स पर हाथ फेरते हुए बोला कि संगीता में तुझसे शादी करना चाहता हूँ और में तुझे हमेशा बहुत खुश रखूँगा.
अब अपनी छाती पर पहली बार ऐसे खुली जगह में मर्द का हाथ महसूस करते ही संगीता के पूरे जिस्म में एक करंट दौड़ने लगा और पूरे जिस्म में सरसराहट फैल गई. संगीता पर एक अजीब सी मस्ती छा गई और वो उसी मस्ती में बोली पंकज देख में भी तुझे प्यार करती हूँ और मुझे पूरा यकीन है कि तू मुझे बहुत खुश रखेगा, प्लीज़ अब मुझे जाने दे कोई हमे यहाँ देखेगा तो मेरी बड़ी बदमानी होगी.
अब पंकज हल्के से संगीता के बूब्स पर अपना एक हाथ घूमाते हुए बोला अगर तू जानती है कि में तुझे खुश रखूँगा तो क्यों तू खुले दिल से मेरा प्यार नहीं अपनाती? अब भी वो चुप रही और बूब्स दबाने से संगीता को बड़ा मज़ा आता है, लेकिन वो बहुत शरमाती भी है, पंकज की बातें सुनकर संगीता बड़ी खुश हुई, लेकिन डर से उसका दिल और ज़ोर से धड़कने लगा और बूब्स को दबाने से वो धीरे से चीखते हुए बोली, आह्ह्ह्ह पंकज मुझे बड़ा दर्द हो रहा है तुम क्यों दबा रहे हो? प्लीज़ तुम अब मुझे जाने दो.
फिर पंकज समझा कि संगीता शरम से इनकार कर रही थी, वो संगीता के बूब्स हल्के मसलते हुए उसके गाल को किस करते हुए बोला संगीता तू क्यों मुझे इतना तड़पा रही है? और अब पंकज के किस से संगीता पूरी तरह हड़बड़ा गई और पंकज को धक्का देकर दूर करके वो बोली उम्म्म मुझे छोड़ो प्लीज़ और पंकज से दूर होकर संगीता जैसे ही जाने लगी तो पंकज उसका हाथ पकड़ते हुए बोला अच्छा संगीता एक काम करो मुझे आज शाम को मेरे घर पर मिलकर बताओ कि तुझे में क्यों पसंद नहीं? क्यों आज तुम मुझसे मिलने आओगी ना मेरी रानी?
पंकज से हाथ छुड़ाते हुए संगीता बोली नहीं में नहीं आउंगी, लेकिन पंकज की धमकी से डरकर उसने कहा प्लीज़ मुझे कुछ सोचने का समय दो, में तुमको सोचकर बताउंगी और इतना कहकर संगीता वहाँ से निकल गई, वो पंकज को बहुत चाहती थी और जब पंकज ने उसको अपनी बाहों में लिया तो उसको बड़ा अच्छा लगा और उस दिन संगीता पंकज के बारे में सोचने लगी और अब दोबारा पंकज उसको कहीं भी अकेले में ना पकड़ ले और अब उसके दिमाग़ में पंकज बस गया था.
अब पंकज हफ्ते में दो तीन बार संगीता को ऐसे पकड़कर उसका जिस्म मसलते हुए प्यार का इज़हार माँगता और संगीता हर बार कोई ना कोई बहाना बनाकर वहाँ से भाग जाती और यह सिलसिला करीब दो सप्ताह तक लगातार चलता रहा, लेकिन संगीता अब भी अपनी तरफ से कोई जवाब नहीं दे रही थी. अब इस बात का फ़ैसला करने का इरादा पंकज ने बनाया, पंकज भी संगीता के मस्त जिस्म के बारे में सोचकर अपना लंड सहलाता था.
फिर एक शाम को जब वो घर आ रहा था तो उसने बिल्डिंग के पीछे वाले रोड से संगीता को आते देखा, बिल्डिंग के पीछे बहुत अंधेरा था और उस रोड के साईड में बहुत झाड़ियाँ भी थी, संगीता अपने आप से कुछ बोलती आ रही थी और पंकज अचानक उसके सामने खड़ा हो गया और पंकज को देखकर वो एकदम रुक गई और उसका दिल ज़ोर से धड़कने लगा.
पंकज मुस्कुराकर बोला अरे संगीता तुम कैसी हो? और इस वीरान जगह पंकज को अपने सामने देखकर संगीता कुछ बोल ही नहीं पाई और अपने जिस्म पर पंकज का स्पर्श क्या है वो जानती थी और अब वो यहाँ पर ज्यादा देर रुकी तो पंकज क्या कर सकता था और उसका कोई भरोसा भी नहीं था, इसलिए पंकज को साईड में करके पंकज की बात का जवाब दिए बिना संगीता जल्दी-जल्दी वहां से चलने लगी.
तभी पंकज ने संगीता का हाथ पकड़ते हुए उसको रोड के साईड में ले जाकर कहा, अरे संगीता इतना क्यों डर रही है? तू मुझसे क्यों भाग रही है? संगीता अब और भी डरते हुए उससे छूटने की कोशिश करके बोली प्लीज मुझे अब जाने दो, में तुमसे कोई बात नहीं करना चाहती, प्लीज़ मुझे जाने दो. अब संगीता को अपनी बाहों में भरकर पंकज बोला क्यों, लेकिन संगीता? मेरा गुनाह क्या है तुम यह तो बताओ? में तुझे दिलो जान से प्यार करता हूँ.
दोस्तों संगीता को वैसे बड़ा अच्छा लगा पंकज की बाहों में आना, उसकी बातें और उसका हाथ अपने जिस्म पर लगाना. फिर वो बोली मैंने बोला ना पंकज में तुमसे कितनी छोटी हूँ, इसलिए मुझे डर लगता है और अब मुझे जाने दो.
अब पंकज संगीता को ज्यादा अंदर ले गया, उस जगह कोई नहीं देख सकता और संगीता को अपनी बाहों में भरकर उसके गाल चूमकर बोला कि संगीता में तुझ पर प्यार बरसा रहा हूँ और तू मुझसे दूर भाग रही है.
फिर गाल चूमने से संगीता हड़बड़ाते हुए पंकज को हल्का सा धक्का देकर उसको दूर करके बोली उम्म्म प्लीज़ छोड़ो मुझे नहीं पंकज यह नहीं हो सकता, दूर रहो ना प्लीज़ पंकज मुझे डर लगता है, संगीता के धक्के से पंकज ज़रा थोड़ा सा दूर हुआ, लेकिन फिर उसको पकड़कर गाल पर किस करके संगीता के बूब्स पर हाथ रखते हुए वो बोला संगीता में जानता हूँ कि तू भी मुझे प्यार करती है, लेकिन बताने से शरमा रही है, संगीता अभी प्यार की शुरुआत नहीं हुई तू सीधे शादी की बात तक पहुंच गई, क्या तेरा सुहागरात मनाने का इरादा है? तो सुहागरात की बातें सुनकर संगीता का चेहरा शरम से लाल हो गया, वो कुछ बोल ही नहीं पाई और संगीता की दुविधा का फ़ायदा उठाते हुए पंकज उसके शर्ट के दो बटन खोलकर उसकी ब्रा पर हाथ रखते हुए बोला कि देख में तुझसे बहुत प्यार करता हूँ मेरी रानी. संगीता रानी देख तेरा दिल मेरे लिए कितना ज़ोर से धड़क रहा है, तेरे इस दिल में मेरे लिए प्यार है.
अब अपनी शर्ट के अंदर ब्रा के ऊपर पंकज के हाथ का स्पर्श होते ही संगीता का दिल और ज़ोर से धड़का और उसको गुदगुदी भी होने लगी और उसका जिस्म कांपने लगा और अब भी जब संगीता ने कोई जवाब नहीं दिया तो पंकज को बड़ा गुस्सा आया, वो किसी भी तरह से इस कमसिन लड़की को चोदना चाहता था, इसलिए दिल में संगीता को गालियाँ देते हुए बूब्स को दबाकर बोला संगीता रानी तुम क्यों मेरे प्यार से इनकार कर रही हो?
इस बात से संगीता खुश हो गई. उसको यकीन हुआ कि पंकज उससे सच्चा प्यार करता है और अपने जिस्म पर चल रहा पंकज का हाथ उसको बड़ा अच्छा लगा और वो कहने लगी ऑश पंकज उफ़फ्फ़ क्या कर रहे हो तुम? आह्ह्हह्ह्ह्ह पंकज मुझे उस दिन के बाद से तुम्हारा ख़याल बार बार आया था और पंकज में उस दिन से हर पल तुमको बहुत याद करती हूँ. अब संगीता के इस जवाब से पंकज समझा कि संगीता उसकी बातों में फंस गई और यह बात जानकर पंकज अब संगीता के शर्ट के सब बटन खोलकर झुककर बूब्स को चूमते हुए बोला संगीता मुझ पर भरोसा रख रानी अब तो संगीता पंकज को ना शर्ट खोलने से रोक रही थी और ना ही अपने बूब्स को मसलने से.
उसको अब अच्छा लग रहा था, उसको बस डर था कि कोई उनको ना देखे, इसलिए पंकज को दूर करने की नाकाम कोशिश करते हुए वो बोली मुझे नहीं मालूम पंकज प्लीज़ मुझे छोड़ो कोई हमे देख लेगा. फिर पंकज बोला कि कोई नहीं देखेगा, यहाँ पर इस वक़्त कोई नहीं आता है और ब्रा के ऊपर से संगीता के बूब्स को वो दबा रहा था, जिससे संगीता गरम होने लगी और अब एक मोटे पेड़ से संगीता को सटाकर पंकज उसके बूब्स को मसलते हुए अपना लंड उसकी चूत पर हल्के से रगड़ते हुए बोला कि संगीता में तुझे बहुत प्यार दूँगा मेरी रानी.
अब संगीता को बहुत मज़ा आने लगा और बार-बार बूब्स दबाने से उसको गुदगुदी भी होती और अब पंकज से अपनी चूत पर गरम लंड को रगड़ाने से वो और गरम होकर बोली, उम्म्म पंकज यह क्या कर रहा है? प्लीज़ मुझे जाने दो में तुमसे बाद में मिलूँगी, प्लीज़ मुझे अभी जाने दो. फिर पंकज भी सोचने लगा कि इसको अब ज़्यादा तंग किया तो कहीं यह नाराज़ ना हो जाए, लेकिन फिर भी उसके जिस्म से खेलते हुए वो बोला कि ठीक है, लेकिन तुझसे प्यार का इज़हार होने के बाद में तुझे जाने दूँगा, संगीता मुझे तुझसे अकेले में मिलकर बहुत सी बातें करनी है, तुझे कब फ़ुर्सत मिलेगी?
फिर वो बोली नहीं पंकज में तुमसे नहीं मिलूंगी, मुझे डर लगता है तुमसे अकेले मिलने में, प्लीज़ अब जाने दो मुझे. फिर संगीता का यह नाटक देखकर पंकज को गुस्सा आया, लेकिन अपने आप पर काबू रखकर उसने ब्रा को हटाकर संगीता के बूब्स नंगे किए.
संगीता के गोरे टाईट बूब्स देखकर पंकज खुश होकर निप्पल को मसलते हुए बोला कि संगीता अगर तूने प्यार का इज़हार और कल मिलने का वादा नहीं किया तो में तुझे अब यहीं पर नंगी करूँगा, अब सोच तुझे क्या चाहिए? इतना कहकर पंकज एक निप्पल को चूसने लगा.
फिर संगीता को अपने निप्पल चुसवाने से गुदगुदी होती, लेकिन अब उसका जिस्म और गरम होने लगा और वो सिसकियाँ लेते हुए बोली उम्म आह्ह्ह्हह पंकज़ नहीं, प्लीज़ मुझे छोड़ो ना पंकज में अब हार गई, हाँ में तुमसे प्यार करती हूँ, प्लीज़ देख मैंने तेरी बात मान ली अब जाने दे मुझे. फिर संगीता की बात सुनकर पंकज बहुत खुश हुआ और बूब्स को किस करके एक निप्पल को चूसते हुए पंकज बोला, ओहह धन्यवाद डार्लिंग में भी तुझसे बहुत प्यार करता हूँ.
फिर संगीता कहने लगी कि मेरे दिल में सिर्फ़ तुम ही तुम हो, पंकज में कल तुमसे मिलूंगी, में दोपहर को दो बजे तेरे घर पर आ जाउंगी, प्लीज़ पंकज अब मुझे छोड़ो ना. अब संगीता के बूब्स मसलकर चूमते हुए पंकज उसके हाथ चूमने लगा और संगीता भी गरम होकर अपनी छाती को पंकज के हाथ पर दबाते हुए उसके गले में हाथ डालकर किस का जवाब देने लगी.
संगीता की चूत पर लंड रगड़ते हुए पंकज उसको चूमकर बोला कि संगीता क्यों आएगी ना मेरी रानी? संगीता बोली हाँ आउंगी में ज़रूर आउंगी पंकज, लेकिन प्लीज़ अब छोड़ो ना मुझे में घर पर लेट हो गई तो माँ मुझ पर बहुत चिल्लाएगी. अब स्कर्ट के नीचे से उसकी नंगी जांघ को सहलाते हुए वो बोला अच्छा मेरी रानी अब एक किस दो जिसके सहारे मेरी आज की रात गुज़रे.
दोस्तों संगीता को अब यहाँ पर बहुत डर लग रहा था, लेकिन मज़ा भी बहुत आ रहा था, वो असल में चाहती थी कि पंकज उसका जिस्म मसले और पंकज को किस करने की बात से शरमाते हुए वो बोली उम्म पंकज प्लीज ज़िद मत करो, मुझे जाने दो.
पंकज अब ज़िद पकड़कर बैठा था और संगीता की जांघ और नंगे बूब्स को मसलते हुए उसको और गरम करते हुए पंकज बोला जाने दूँगा रानी पहले तुझसे प्यार तो जताने दे, तेरे जैसी गर्लफ्रेंड तो नसीब वालों को मिलती है. संगीता फिर से पंकज का हाथ पकड़कर बोली पंकज अगर तुम मुझे प्यार करते हो तो प्लीज़ मुझे जाने दो, देखो मुझे बहुत डर लग रहा है. मैंने तेरी बात मानी ना, तो प्लीज़ मुझे जाने दो.
अब संगीता की जांघो पर हाथ फेरते हुए वो उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से हल्के सहलाते हुए पंकज बोला अरे रानी डरेगी तो मज़ा कैसे लेगी, देखो में हूँ ना तो डरना नहीं समझी तू मुझे किस करके चली जा, लेकिन तुझे क्यों इतनी जल्दी जाना है? क्या तुझे मेरा साथ अच्छा नहीं लग रहा? अब पंकज चूत को सहलाते हुए बूब्स को बार-बार चूसने लगा, संगीता को अपनी चूत गीली होने का अहसास हुआ और उसके जिस्म में बड़ी गरमी भर गई.
पंकज के मसलने से उस पर एक नशा सा छा गया और वो पंकज को बाहों में भरते हुए बोली उम्म पंकज मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है, में भी तुमसे दूर होना नहीं चाहती मैंने वादा किया है ना तुझे कि में कल आ जाउंगी तो ज़रूर आउंगी, अभी मुझे जाने दे पंकज और संगीता तो गरम थी ही, लेकिन पंकज की हरकतों से वो डर रही थी कि कहीं उसको यहीं पर नंगी ना कर दे.
पंकज को अपने बदन पर खींचकर संगीता मादक स्वर में बोली हाँ पंकज में भी तेरे साथ बहुत सारा वक़्त गुजारना चाहती हूँ, लेकिन प्लीज़ मेरी मजबूरी समझ, मुझे बहुत देरी हो रही है और माँ ने पूछा तो में क्या जवाब दूँगी?
पंकज बोला में हमेशा के लिए तुझे मेरी बाहों में भरकर रखना चाहता हूँ मेरी रानी संगीता, प्लीज़ रूको ना थोड़ा समय मेरा दिल अभी भरा नहीं रानी, पंकज अब संगीता के बूब्स और निप्पल खींचने लगा, जिससे संगीता और गरम हो रही थी और दिल ही दिल में वो कहता है साली हरामी लड़की एक बार मेरे हाथ से नंगी हो जा फिर देख में तुझसे क्या क्या करवाता हूँ? अब संगीता आहे भरते हुए पंकज से ज़्यादा चिपकते हुए बोली पंकज मुझे भी तुमसे दूर होने का दिल नहीं होता है, लेकिन यहाँ पर किसी के आने का डर लग रहा है.
फिर संगीता की स्कर्ट को पूरा ऊपर करके उसकी नंगी जांघे और छोटी पेंटी को देखकर पंकज और खुश होकर नीचे बैठकर जांघ चाटकर बोला अरे मेरी रानी यहाँ पर कोई नहीं आता और वैसे भी हम कोने में खड़े है, तू बिल्कुल भी मत घबरा बस मेरे साथ जवानी का मज़ा ले, तो अपनी जांघे चटवाकर संगीता भी मज़ा लेकर पंकज से और चिपकने लगी, उसको ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ था, जब पंकज पेंटी के ऊपर से उसकी चूत चूमता तो संगीता बेहाल होकर कमर आगे करके चूत पंकज के मुहं पर दबाकर बोली, ऊईईईईइ उम्म्म्ममम यह क्या कर रहे हो? मुझे अजीब सा लग रहा है और अब बस करो पंकज मुझे जाने दो, कल में आउंगी ना अभी तो जाने दो मुझे.
अब पंकज खड़ा होकर संगीता को पीछे से पकड़कर उसकी गांड पर लंड को रगड़ते हुए दोनों हाथ से उसके बूब्स को दबाते हुए बोला संगीता क्या तू सिर्फ़ पंकज-पंकज बोलेगी या आगे भी कुछ कहेगी? पंकज की इस हरकत से संगीता और ही मदहोश होकर आँखे बंद करके, बोली उउंम्म हाँ पंकज तू मुझे आज बहुत खुशी दे रहा है और ऐसा मज़ा तो पहले कभी नहीं मिला. अब वो अपना तगड़ा लंड संगीता की गांड पर घिसते हुए उसके बूब्स को ज़ोर से दबाने लगा.
फिर पंकज की हरकतो से संगीता को बहुत अच्छा लग रहा था और उसके जिस्म पर नशा चड़ रहा था. पंकज के लंड के छूने से उसके पूरे बदन में आग लगी थी और अब वो अपने बूब्स पर लगे पंकज के हाथ वहीं पर थामते हुए बोली पंकज मेरे दिल में सिर्फ़ तुम ही तुम हो और आज दुनिया में मेरे लिए तुमसे बढ़कर कोई नहीं है, लेकिन इस जवाब से पंकज का दिल नहीं भरा वो और ज़्यादा कुछ सुनना चाहता था, इसलिए अब पीछे से उसने संगीता की स्कर्ट को उठाकर पेंटी के ऊपर से अपना लंड संगीता की गांड पर रगड़ते हुए संगीता को और ही ज़्यादा गरम करते हुए सोचा कि साली कैसे तड़प रही है?
अब स्कर्ट को उठाने और पंकज का लंड पेंटी के ऊपर से गांड पर छूने से संगीता डरकर स्कर्ट को नीचे करते हुए घबराहट से बोली, पंकज यह क्या कर रहे हो? तुम मेरा स्कर्ट क्यों उठा रहे हो? प्लीज़ अब मुझे जाने दो. अब पंकज लंड रगड़ते हुए बोला तुझे मेरा प्यार दिखा रहा हूँ रानी, क्योंकि तू मुझे नहीं बता रही है कि तू मुझसे कितना प्यार करती है में दिखा रहा हूँ कि मुझे तुझसे कितना प्यार है.
फिर संगीता बार-बार अपनी स्कर्ट को नीचे करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन पंकज उसको कामियाब नहीं होने दे रहा था और अब संगीता की कमर तक स्कर्ट को उठाकर पंकज संगीता की गांड पर लंड रगड़ने लगा, जिसकी वजह से अब संगीता आवाज धीमी करके बोली, उम्ममम्म नहीं पंकज स्कर्ट ऐसे ऊपर मत करो, तू बता में अपने प्यार का इज़हार कैसे करू? पंकज में सच में तुमको बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन अब प्लीज़ ऐसा मत करो कोई आ जाएगा, मुझे बहुत डर लग रहा है.
फिर संगीता की गांड पर अपना तगड़ा लंड और ज़ोर से रगड़ते हुए पंकज बोला यह तू ही बता संगीता कि तू कैसे तेरे प्यार का इज़हार करेगी, क्या मैंने तेरे जिस्म से खेलने के पहले तेरी अनुमति ली थी? वैसे अब तू मुझे बता कि मुझे कितना प्यार करती है? संगीता अब मोटे लंड के छूने और निप्पल के दबाने से बहुत मचलती है, उसकी हालत बहुत ही खराब थी और वो सिसकियाँ भरते हुए बोली में क्या करूं पंकज? उम्म मत करो ना कोई आ जाएगा ना प्लीज.
फिर यह बात सुनकर पंकज संगीता की पेंटी को थोड़ी नीचे करके अपनी ज़िप को खोलकर लंड को बहार निकालते हुए संगीता की कमसिन गांड पर रखकर धीरे धीरे रगड़ते हुए उसके बूब्स ज़्यादा ज़ोर से दबाकर बोला कि सुनो मेरी संगीता रानी अगर में कहूँ कि तू मेरा यह एक बार चूस यह कहते हुए पंकज संगीता का हाथ अपने नंगे लंड पर ले जाता है, तो क्या मेरा यह चूसकर तू मुझे भरोसा दिलाएगी कि तू मुझसे कितना प्यार करती है? बोल संगीता तेरा क्या जवाब है?
दोस्तों पहले पेंट के अंदर से रगड़ रहे लंड का स्पर्श संगीता को पूरा बेहाल बना चुका था और अब पंकज के नंगे लंड को छूकर संगीता अपना हाथ हटाती है, लेकिन पहले बार नंगे लंड को छूकर महसूस करना उसको अच्छा भी लगा और पंकज लंड को उसके जिस्म से मसलने लगा, संगीता को मज़ा आ रहा था. फिर पंकज के लंड से हाथ हटाते हुए अपनी स्कर्ट को नीचे करके बहुत डरकर बोली पंकज में तुमसे बोल रही हूँ ना कि में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, में तुमको किस भी करूँगी और अब मुझे जाने दो, देखो तुम ऐसे मुझे नंगी मत करो और प्लीज़ होश में आ जाओ.
फिर पंकज अब संगीता को झुकाना चाहता था, वो संगीता का हाथ दोबारा अपने लंड पर रखते हुए बोला हाँ चल अब किस कर. अब संगीता कैसे भी करके अपने आपको पंकज के हाथ से छुड़ाते हुए स्कर्ट को ठीक करने लगी, पंकज का नंगा लंड उसके सामने था और अब पंकज अपना लंड सहलाते हुए उसको देख रहा था, संगीता अपनी नज़र को लंड पर रखते हुए अपने बूब्स को ब्रा में डालकर पंकज का हाथ पकड़कर उसके गाल पर किस करके बोली देख पंकज मैंने अब तुझे किस भी दे दिया और अब मुझे जाने दे प्लीज़.
फिर पंकज ने एक बार फिर से संगीता के बूब्स को ब्रा से बाहर निकालते हुए उसको नीचे बैठाया और अपना लंड उसके चहेरे पर घुमाकर ज़रा रौब से बोला, संगीता अगर तू मुझसे सच्चा प्यार करती है तो मेरा लंड चूस रानी चल अब मुहं खोल और मेरा लंड चूसने लग जाओ.
फिर चेहरे पर घूम रहे लंड को देखकर संगीता अंदर ही अंदर मचलने लगी, उसको बहुत मज़ा आ रहा था और वो अपना चेहरा पीछे लिए बिना एक बार लंड को किस करके बोली कि पंकज तुझे यह क्या हुआ है? तू ऐसे कैसा व्यहवार कर रहा है? देख अब मैंने किस किया ना अब मुझे जाने दे.
अब पंकज किस से खुश होकर थोड़ी जबरदस्ती करके लंड को संगीता के मुहं पर दबाने लगा और लंड का टोपा संगीता के होंठो पर लगा और फिर संगीता की गर्दन को पकड़कर लंड उसके होंठो पर रगड़ते हुए उसके नंगे बूब्स को ज़ोर से मसलते हुए पंकज बोला कि अरे रानी सिर्फ़ किस नहीं मेरा पूरा लंड मुहं में लेकर चूसेगी तो ही में तुझे यहाँ से जाने दूँगा, पहले एक बार मेरा लंड चूस. फिर संगीता पंकज का लंड अपने हाथ में पकड़कर उसको देख रही थी, वो अब एकदम गरम हो गई थी और उसको यह पता था कि अब पंकज चोदना भी चाहे तो वो उससे अपनी चुदाई करवा लेगी और होंठो पर लगे लंड का टोपा अपनी जीभ से चाटकर वो बोली आह्ह्ह्ह नहीं पंकज यह तुम क्या कर रहे हो? तुमको भरोसा क्यों नहीं है? मैंने कहा ना में तुमसे प्यार करती हूँ.
फिर पंकज संगीता की कोई भी बात माने बिना अब संगीता का मुहं खोलकर लंड को उसके मुहं में डालकर सोचने लगा कि साली छिनाल बहनचोद आज तो में इससे अपना सभी काम करवाऊंगा. फिर पंकज बोला हाँ संगीता में जानता हूँ कि तू मुझे प्यार करती है, लेकिन तू मेरा लंड चूसकर मुझे उसका यकीन दिला दे मेरी रानी, देख अब लंड मुहं में घुस तो गया है, अब चूस ले मेरा लंड मेरी जान. अब संगीता लंड को मुहं से बाहर निकालकर शरमाकर बोली कि उम्म नहीं पंकज यह मुझे गंदा लग रहा है, मुझे शरम भी आती है और यह काम तुम मुझसे मत करवाओ.
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