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लड़की चोदने का पहला अनुभव

Posted on:- 2024-02-04


हैल्लो दोस्तों,  मेरी उम्र अभी 25 साल है और आज मैं मेरा पहला सेक्स अनुभव लिख रहा हूँ. जब मैं सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं जनता था और में आशा करता हूँ कि मेरी यह हिंदी सेक्स स्टोरी सबको अच्छी लगेगी. दोस्तों मैं इंदौर, मध्यप्रदेश का रहने वाला हूँ, ये घटना थोड़ी पुरानी है, तब मैं ग्रेजुएशन 1 ईयर में पढ़ रहा था और मैं सेक्स बारे में पूरा अनाड़ी था, हम भोपाल शहर में रहते थे.

हमारे पड़ोस के पहले फ्लोर में दो डॉक्टर रहते थे, वो दोनों पति पत्नी डॉक्टर थे, उनके कोई भी संतान नहीं थी. उनके घर का काम करने लिए एक लड़की थी, वो लड़की उनके पास ही रहती थी, लेकिन उस लड़की को देखने से कोई भी उसे नौकरानी नहीं कहेगा क्योंकि वो इतनी सुंदर सुड़ोल थी कि गोरी चिकनी सूरत, लुभवाना चेहरा, मानो कि कोई बड़े घर की बेटी बनते-बनते नौकरानी हो गयी हो.

मैं सच बोलता हूँ वो सेक्स करने के लिए बहुत अच्छी थी, उसके बूब्स, उसकी गांड देखने से किसी को भी सेक्स की इच्छा होगी और उसके लंड में पानी आ जाएगा. वो बहुत गरीब थी शायद इसलिए वो नौकरानी का काम करती थी, जब उसकी उम्र करीब 25-26 साल की थी और मेरी उम्र भी 18 साल की थी, उसका नाम पदमा था.

अब डॉक्टर अंकल आंटी हॉस्पिटल चले जाने के बाद वो अकेली ऊपर हॉल में बैठे-बैठे टाईम पास करती थी. अब उसके अच्छे व्यवहार के कारण वो मेरी माँ के साथ अच्छी घुलमिल गयी थी. वो मुझसे तो बहुत बड़ी थी, लेकिन इतनी लगती नहीं थी.

उस समय मेरा चेहरा भी एकदम चिकना था, किस करने वाला मासूम चेहरा था. अब पदमा भी मेरे साथ बहुत बातें करती थी, कभी कभी हम दोनों खिड़की के पास खड़े होकर बात करते थे. उनकी खिड़की और हमारी छत पास-पास थी. हमारी छत के ऊपर और घर नहीं था इसलिए मुझे खिड़की से बात करने में कोई परेशानी नहीं होती थी.

मैं तो प्रेम और सेक्स जैसी बात से पूरा अंजान था. फिर एक दिन खिड़की के पास बात करते-करते पदमा ने पूछा कि क्या खाया? तो में बोला कि रोटी और दूध खाया है. तो वो बोली कि दूध नहीं पीया? तो मैंने नहीं कहा. फिर वो बोली कि मेरा दूध पियोगे? तो में समझ नहीं पाया और उससे पूछा कि तुम्हारा दूध? तुम्हारा दूध कहाँ है? तो वो बोली कि है ना.

मैंने कहा कि पहले दिखाओ तो पदमा ने खिड़की से मेरा हाथ खींच लिया और अपनी छाती को साड़ी के ऊपर से ही दिखाया और बोली कि हाथ लगाकर देखो दूध है. तो मैंने डरकर धीरे से अपना एक हाथ लगाया तो तभी वो बोली कि दबाओ. फिर मैंने उसके बूब्स को दबाया, उसके बूब्स बहुत कोमल थे तो दब गये.

फिर तभी वो बोली कि ज़ोर से दबाओ, तो मैंने और ज़ोर से दबाया. अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, मुझे आज भी याद है. फिर उसने मेरे होंठो को दबा लिया और मेरे हाथ को ऊपर से ज़ोर से पकड़ लिया, तो ना जाने इधर मेरे शरीर में अचानक से करंट जैसा लगा. अब मेरी हाफ पेंट के अंदर मेरा लंड खड़ा हो गया था, अब मुझे कुछ शर्म आने लगी थी.

मैं शर्माकर जाने लगा तो तभी वो बोली कि दूध पियोगे ना? तो में हाँ बोलकर वापस चला आया. अब उसके बाद तो मेरा मन मचलने लगा था, अब मुझे पदमा के बूब्स दबाना बहुत अच्छा लग रहा था और दबाने का मन भी कर रहा था, लेकिन में चुप रहने के सिवा कुछ कर नहीं पा रहा था. फिर एक दिन वो सुनहरा टाईम आ गया, मुझे आज भी याद है उस दिन विश्वकर्मा पूजा थी, मेरे स्कूल में छुट्टी थी इसलिए में घर पर ही पढ़ाई कर रहा था, जब करीब सुबह के 10-11 बजे होंगे.

फिर में घर से बाहर निकला, तो पदमा बाहर ग्रिल के पास खड़ी थी, तो वो मुझे देखकर हंसने लगी, तो में भी हंस दिया. फिर उसने पूछा कि आज स्कूल नहीं है क्या? तो में बोला कि नहीं आज विश्वकर्मा पूजा है इसलिए छुट्टी है. अब उसे भी सुनहरा मौका मिल गया था और टाईम भी ठीक था. अब डॉक्टर अंकल आंटी हॉस्पिटल चले गये थे.

पदमा कि बोली क्या कर रहे हो? तो में बोला कि कुछ नहीं. फिर उसने मुझे बुलाया और बोली कि घर पर आओ, तो मैंने थोड़ा इधर उधर देखा, क्योंकि नीचे ग्राउंड फ्लोर में भी लोग रहते थे और मेरी माँ ने भी उनके घर जाने से मना किया था, तो में धीरे से चुम्बक के जैसे ऊपर उसके घर में चला गया. तो वहाँ जाते ही पदमा मुझे अंदर ले गयी और दरवाजा बंद कर दिया. अब बस मेरे कुछ कहने से पहले ही उसने मुझे ज़ोर से अपनी बाहों में जकड़ लिया था और मेरे गाल पर ज़ोर से एक चुम्मा दे दिया था.

फिर उसके बाद वो मुझे चूमती ही चली गयी. अब में ऐसे ही उसकी बाहों में जकड़ा रह गया था. फिर करीब-करीब 5-7 मिनट के बाद उसने मुझे छोड़ा और फ्रिज में से कुछ मिठाई लेकर मुझे खाने को दी. अब में मिठाई खा रहा था कि उसने मुझसे पूछा कि उस दिन मेरा दूध कैसा लगा? तो में बोला कि तुमने तो पिलाया ही नहीं था.

वो बोली कि आज पियोगे? तो में कुछ नहीं बोला और चुप रहा. अब मिठाई खाने के बाद में हाथ धोने जा रहा था कि उसने मुझे अपने पास खींच लिया और अपने बूब्स दबाने को कहा. फिर मेरा साहस नहीं हुआ और में अपना सिर नीचे करके खड़ा रहा. अब मुझे अजीब सा लग रहा था. फिर वो बोली कि दबाओ ना, तो मुझे शर्म आई और तभी उसने मुझे ज़ोर से अपने पास खींच लिया और दबाने को कहा और मेरा एक हाथ पकड़कर अपने आप ही अपने बूब्स को दबाने लगी. अब मुझे तो सच में बहुत अच्छा लग रहा था. फिर वो मुझे जकड़कर डॉक्टर अंकल के बेड के ऊपर ले गयी और मुझे जकड़कर बेड पर लेट गयी.

फिर उसने मेरा हाथ लेकर अपनी छाती के ऊपर रखकर दबाने को कहा, तो तब मेरा थोड़ा साहस हो गया और में धीरे से उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसके बूब्स को दबाने लगा. फिर तभी वो बोली कि ज़ोर से दबाओ, तो मैंने और ज़ोर से उसके बूब्स को दबाया.

2-3 मिनट के बाद वो बोली कि रूको और फिर उसने अपनी साड़ी हटा दी और अपना ब्लाउज खोलने लगी और फिर अपना ब्लाउज खोलते-खोलते बोली कि मेरा दूध पियोगे ना? अब इतने में उसका ब्लाउज खुल गया था, वाह क्या सीन था? उसके इतने बड़े-बड़े बूब्स और इतने सफ़ेद गोल-गोल थे कि में देखता ही रह गया था. फिर वो बोली कि क्या देख रहे हो? लो दूध पियो और फिर अपने बूब्स की निपल को मेरे मुँह में लगा दिया, तो में चूसने लगा. फिर वो बोली कि इसे अपने हाथ में लेकर मेरे बूब्स को दबाओ, तो मैंने ऐसा ही किया. अब उसने मुझे सब सिखा दिया था.

फिर थोड़ी देर तक दबाने के बाद पदमा ने अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया. उस टाईम तक मेरा लंड 90 डीग्री खड़ा हो गया था और पूरा टाईट हो गया था. फिर वो उठ गयी और मेरी पेंट खोलने लगी, तो मैंने उससे मना किया, तो वो मुझे आँख दिखाने लगी, लेकिन मुझे नंगा नहीं किया था. अब मेरा छोटा सा लंड मेरी उम्र के हिसाब से ठीक ही था. अब वो मेरी पेंट को खोलकर मेरे लंड को पकड़कर अंदर बाहर करने लगी थी और मुझसे बोली कि मेरे बूब्स दबाओ.

अब मुझमें भी जोश आ गया था, अब में ज़ोर-जोर से उसके बूब्स दबाने लगा था. अब पदमा भी सिसकियाँ लेने लगी थी उहह, आईई माँ, आह और झट से मुझे पकड़कर चूमने लगी थी.

अब उसने मेरे सिर से पैर तक पूरा चूम लिया था और मेरे लंड को भी चूम लिया था. फिर उसने अपनी साड़ी ऊपर उठा ली और मुझसे बोली कि इधर देखो.

मैंने देखा तो काला-काला जंगल जैसे बाल थे, उसके अंदर लाल-लाल चूत थी. अब में तो देखता ही रह गया था. फिर वो बोली कि क्या देख रहे हो? इधर आओ, तो में चुंबक के जैसे उसके पास चला गया. अब उसने अपने दोनों पैरो को दोनों तरफ फाड़ दिया था और मुझे बीच में खींच लिया था. फिर वो मेरा लंड पकड़कर बोली कि करो.

मैं बोला कि क्या करूँ? मुझे नहीं आता. फिर उसने अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़कर अपनी कोमल चुत की पंखुड़ियों पर रगड़ने लगी और बोली कि अपनी कमर से अंदर धक्का लगाओ तो मैंने ऐसा ही किया, लेकिन मेरा लंड अंदर गया नहीं और मुझे दर्द हुआ तो मैंने अपने लंड को बाहर खींच लिया, लेकिन उसने मेरा लंड फिर से पकड़कर ठीक से एकदम बीच में रखा और बोली कि अब धीरे से धक्का लगाओ, तो मैंने मना किया, तो वो मुझे समझाने लगी कुछ नहीं होगा, धीरे-धीरे धक्के लगाओ, अब मुझसे नहीं हो रहा था.

उसने मुझे अपनी कमर हिलाकर सिखाया और फिर से मेरे लंड को एकदम बीच में रखा, तो मैंने धीरे से एक धक्का लगाया तो मेरा लंड अंदर तो चला गया, लेकिन मेरी जान निकल गयी थी. अब उसने भी ओह माँ बोलकर मुझे ज़ोर से पकड़ लिया था, तो में चाहकर भी अपने आपको छुड़ा नहीं पाया था.

फिर थोड़ी देर तक ऐसे ही रहने के बाद वो बोली कि दर्द हो रहा है क्या? तो में बोला कि हाँ, तो वो बोली कि कुछ नहीं होगा, धीरे-धीरे धक्के दो. फिर मैंने वही किया, लेकिन मेरे कुछ करने से पहले ही पदमा मेरी कमर को अंदर की तरफ करके अपनी कमर हिलाने लगी थी. अब मुझे थोड़ा दर्द तो हो रहा था, लेकिन मज़ा भी आ रहा था. अब मेरी कमर तो अपने आप ही ऊपर नीचे होने लगी थी और मुझमें जोश आ गया था. अब मैंने भी मेरी स्पीड बढ़ा दी थी. अब वो तो मानों अपना म्यूज़िक और ज़ोर से सुना रही थी श, आह, उहह. अब मैंने मेरी स्पीड बढ़ा दी थी.

उसने मेरी कमर को ढीला करके अपने दोनों हाथ और पैरो को थोड़ा फैला लिया और बोली कि और थोड़ा ज़ोर से करो, उई माँ, ज़ोर से, हाँ ऐसे और जोर से. अब बस करीब-करीब आधे घंटे के बाद पदमा शायद झड़ने लगी थी. अब वो मुझे ज़ोर से पकड़कर अपनी तरफ मेरी को कमर दबाने लगी थी और बड़ी ज़ोर से सांसे लेने लगी थी.

फिर थोड़ी देर में मेरा भी शरीर झनझना गया तो में समझ नहीं पाया कि क्या हो रहा है? अब मेरा पूरा बदन कांपने लगा था, मेरा यह पहली बार निकल रहा था इसलिए मुझे ऐसा लग रहा था. अब मैं अपने आपको छुड़ाने लगा था, लेकिन वो मुझे छोड़ ही नहीं रही थी. उसकी कामुक आँहें जोर जोर से हुंकारें भर रही थीं.

मेरे लंड से कुछ पतला सा जेल जैसा निकल आया, मुझे वीर्य निकालने का कोई अनुभव नहीं था तो तभी में बोला कि मुझे छोड़ो, में मर जाऊंगा. फिर तब जाकर उसने मुझे छोड़ दिया, तो पचाक से मेरा वीर्य निकल आया और मुझे बहुत आराम लगा. फिर पदमा ने अपने एक हाथ में मेरे वीर्य को लिया और देखा. फिर थोड़ी देर तक हम ऐसे ही पड़े रहे, बस फिर वो मुझे उठाकर बाथरूम में ले गयी और मुझे और मेरे लंड को धो दिया. फिर उसने बाहर आकर इधर उधर देखा और फिर मुझे जाने को कहा, तो जाते जाते पदमा ने मेरे गाल पर एक चुम्मा दिया. अब हम दोनों कभी कभी मिलते है तो वो मुझसे कहती है की उस रात की सेक्स कहानी आज भी याद आ रही है.

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