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फटी सलवार से चूत का दीदार

Posted on:- 2024-04-13


हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम दीनू है और एक बार मेरा तबादला 1 साल के लिए हैदराबाद के एक छोटे से गाँव में हुआ था और वो मेरे मुंबई दफ़्तर का क्लर्क मिस्टर आलम का गाँव था. फिर उसने कहा कि साहब अगर आपको वहाँ कोई रहने की दिक्कत हो तो आप मेरे गाँव के मकान में रह लेना, वहाँ मेरा परिवार रहता है आपको कोई परेशानी नहीं होगी.

फिर मैंने कहा कि आलम जी यह तो बहुत अच्छा है, में ऐसा करता हूँ कि तुम्हारे घर पर ही किराएदार की तरह रह लूँगा, वैसे वहाँ कौन-कौन रहते है? तो वो बोला कि मेरी माँ और 3 बहनें और मेरी बीवी रहती है. फिर मैंने कहा कि कोई बात नहीं में जितने दिन वहाँ रहूँगा, उन लोगों का ख्याल रखूँगा, तुम कोई बात की चिंता मत करना. फिर आलम ने अपने गाँव में फोन करके मेरे आने की और रहने की सूचना अपने परिवार वालो को दे दी.

फिर जब में उसके गाँव पहुँचा तो उसके परिवार वालों ने मेरी खूब खातिरदारी की और मुझे रहने के लिए एक कमरा भी दे दिया. उनका मकान काफ़ी बड़ा था और आलम की माँ नादिया खूबसूरत 40 वर्षीय थोड़ी मोटी महिला थी, उसका पति कई सालों से दुबई में काम करता है और नादिया की 2 बेटी 21 साल की सादिया शादिशुदा महिला थी, वो कुछ दिनों के लिए अपनी माँ के पास आई थी, दूसरी लड़की 19 साल की नज़मा और आलम की बीवी 21 वर्षीय रुकसाना थी. वो सभी लोग ना ज़्यादा मोटे ना पतले शरीर वाले थे और तंदुरुस्त भी थे, आलम के एक 9 महीने का बच्चा भी था, उस परिवार के सभी लोग बहुत ही अच्छे थे.

अब में कुछ ही दिनों में उन लोगों से काफ़ी घुल-मिल गया था. अब वो लोग मुझसे घर में पर्दा नहीं करते थे और काफ़ी खुलमिल गये थे. अब में भी परिवार के एक सदस्य की तरह रहने लगा था और उन लोगों को सब्जियां या बाज़ार से सामान लाने में मदद करता था. अब सादिया मुझसे काफ़ी घुल-मिल गयी थी और वो मज़ाक भी बहुत करती थी. हम अक्सर घर में बैठ कर बातें करते रहते थे और कभी- कभी मज़ाक-मज़ाक में वो मुझसे डबल मीनिंग वाली बातें करती थी. जैसे एक दिन में कमीज़ पहनकर बटन लगा रहा था तो वो बोली कि दीनू भाईजान इतने बड़े हो गये फिर भी लगाना नहीं आता, तो में यह सुनकर बोला कि क्या मतलब?

फिर वो हँसते हुए बोली कि वास्तव में आपको सिखाना पड़ेगा की कैसे लगाया जाता है? देखो आपने शर्ट की बटन ऊपर नीचे लगाई है, वो इसी तरह की बातें करती थी. फिर एक दिन हम दोनों बातें कर रहे थे, तो वो मेरे पास आई और बोली कि दीनू भाईजान मुझे सुई में धागा पिरोकर दीजिए ना, तो में सुई पकड़कर धागा पिरोने लगा, तो वो हँसते हुए बोली कि भाईजान थूक लगाकर डालो तो आसानी से घुस जाएगा, वो इसी तरह की मौके-मौके पर डबल मीनिंग वाली बातें करती थी.

अब में मन ही मन में उसे चोदने की प्लानिंग करने लगा था, क्योंकि वो काफ़ी सेक्सी थी. उस दिन शनिवार था मेरी छुट्टी थी इसलिए में सुबह देर तक सोता था, वैसे मेरी नींद 9 बजे खुल गयी थी, लेकिन आलस के कारण में आँखे बंद करके सोया था. अब मेरे दिमाग़ में सादिया को कैसे चोदा जाए, बस यही घूम रहा था? और यह सोच-सोचकर मेरा लंड खड़ा हो गया था.

फिर मुझे ख्याल आया की सादिया मुझे जगाने ज़रूर आएगी तो मैंने जानबूझ कर अपनी लुंगी जांघो पर से हटाई और अपने खड़े लंड को अपनी अंडरवियर से बाहर निकाल लिया और आँखे बंद करके उसका इंतज़ार करने लगा. फिर करीब 10 मिनट के बाद वो आई और दरवाजा खोलकर मेरे कमरे में दाखिल हो गयी. फिर मैंने अपनी थोड़ी आँखे खोलकर देखा तो वो एकटक मेरे लंड की और देख रही थी. फिर मैंने भी करवट बदली तो मेरा खड़ा लंड लुंगी के अंदर छुप गया.

फिर वो बोली कि भाईजान आज उठना नहीं है क्या? तो मैंने सीधा होकर एक लंबी अंगड़ाई ली तो देखा कि मेरा लंड अब भी लुंगी के बाहर आकर खड़ा था. अब यह देखकर वो जाने लगी तो में भी कुछ नहीं बोला और फ्रेश होकर नाश्ता करने लगा. अब दोपहर को में सादिया और रुकसाना (उसकी भाभी, आलम की वाईफ) टी.वी पर पिक्चर देख रहे थे. अब सादिया रुकसाना के पीछे बैठी थी और में इस तरफ. फिर इतने में रुकसाना का बच्चा रोने लगा तो रुकसाना अपनी कमीज़ ऊपर करके उसे दूध पिलाने लगी.

अब वो पिक्चर में इतनी मस्त थी कि पूछो मत, अब उसे यह भी ख्याल नहीं आया कि में वहाँ बैठा हूँ. अब मेरा ध्यान पिक्चर में नहीं था, अब में बार-बार रुकसाना की चूचीयों को देख रहा था. फिर इतने में मेरी और सादिया की नज़र मिली. अब वो मुझे रुकसाना की चूचीयों को घूरते हुए देख रही थी. फिर जब हमारी नज़र आमने सामने हुई तो वो मुझे देखकर मंद-मंद मुस्कुरा रही थी, तो में शर्म के मारे उठकर जाने लगा.

फिर वो बोली कि भाईजान कहाँ जा रहे हो? (रुकसाना की चूचीयों की तरफ इशारा करके बोली) देखो कितनी अच्छी पिक्चर है? तो मैंने हँसते हुए कहा कि जरा बाथरूम जाकर आता हूँ. फिर जब में पेशाब करके वापस आया तो मैंने देखा कि सादिया और रुकसाना आपस में बातें कर रही थी, तो में एक साईड में होकर उनकी बातें सुनने लगा. अब सादिया रुकसाना से कह रही थी कि भाभी जब तुम मुन्ने को दूध पिला रही थी तो तब दीनू भाईजान आपकी चूची को घूर-घूरकर देख रहे थे.

फिर सादिया ने उसे सुबह वाला नजारा भी पेश कर दिया और कहने लगी कि सच्ची भाभी जान उसका लंड तो काफ़ी मोटा और लंबा है, मैंने आज तक इतना मोटा और लंबा लंड नहीं देखा. फिर जब में रूम के अंदर गया तो वो दोनों चुप होकर पिक्चर देखने लगी. अब में शाम को 7 बजे अपने कमरे में बैठकर विस्की पी रहा था तो सादिया मेरे कमरे में आई.

अब पहले तो वो मुझे विस्की पीते हुए देखकर चौंक गयी, लेकिन फिर मेरे सामने जमीन पर बैठ गयी, उसके चूतड़ जमीन पर थे, लेकिन वो उसके दोनों पैरो के घुटने ऊपर करके बैठी थी, जिससे मुझे उसकी सलवार का वो हिस्सा नज़र आने लगा जिसमें उसकी चूत छुपी रहती है, उसने पीले रंग का सलवार और कमीज़ पहना था. फिर जब मेरी नज़र उसकी सलवार पर पड़ी तो में एकटक वहाँ देखने लगा, मैंने देखा कि उसकी सलवार की सिलाई (जहाँ चूत होती है) उखड़ी हुई थी और उसके छोटे-छोटे झाटों के बीच में से उसकी चूत का दाना साफ़-साफ़ दिख रहा था.

फिर अचानक से उसने मुझसे कहा कि भाई जान कहाँ खो गये? अब उसके इस तरह से पूछने पर में सकपका गया और अपनी नजरे हटाकर बोला कि कुछ नहीं, कुछ नहीं और फिर हम इधर उधर की बातें करने लगे. फिर उसने अचानक से मेरे सामने अपनी सलवार के ऊपर से अपनी चूत खुजानी चाही तो उसकी उंगली फटे हुए सलवार से उसकी चूत में घुस गयी और जब उसे इस बात का एहसास हुआ तो वो बोली कि अरे बाप रे. अब वो समझ गयी थी कि मैंने उसकी फटी हुई सलवार से उसकी चूत का दीदार कर लिया है, तो वो जाने लगी.

फिर मैंने कहा कि रुक जाओ सादिया शरमाओ मत, जो हो चुका वो हो चुका है और मैंने भी घूँघट में छुपे मुखड़े को देख लिया है. फिर तब वो बोली कि भाईजान यह क्या? सिर्फ़ झलक देखते ही मुँह में पानी आ गया, रात को मेरा इंतज़ार करना में पूरा जलवा दिखा दूँगी और यह कहकर वो मेरे कमरे से निकल गयी. फिर हम सबने साथ मिलकर रात 9 बजे खाना खाया और करीब 11 बजे हम सब सोने चले गये.

फिर रात को करीब 1 बजे दरवाजा खुलने की आवाज़ से मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि सादिया मेरे कमरे में दाखिल होकर दरवाजा बंद कर रही थी और मेरे करीब आकर मुझसे लिपटकर चुम्मा लेने लगी. फिर में भी उसे चूमने लगा और साथ ही साथ उसकी चूचीयों को दबाने और सहलाने लगा. फिर कुछ देर के बाद में उसके और अपने सारे कपड़े उतारकर नंगे हो गये और 69 की पोज़िशन में होकर वो मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी और में उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से चूस रहा था.

फिर थोड़ी देर के बाद वो अपने मुँह से मेरे लंड को बाहर निकालकर बोली कि दीनू अब रहा नहीं जाता है, डाल दो तुम्हारा मोटा लंड मेरी चूत में, लेकिन जरा आहिस्ता-आहिस्ता डालना क्योंकि तुम्हारा लंड काफ़ी मोटा और लंबा है. फिर मैंने उसके दोनों पैरों को फैलाकर उसकी गांड के नीचे 2-2 तकिये रख दिए, जिससे उसकी चूत ऊपर उठ गयी.

फिर मैंने अपने लंड के सुपाड़े से उसकी चूत के दाने को थोड़ी देर तक रगड़ा और फिर थोड़ा ज़ोर लगाकर एक धक्का मारा तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया. फिर वो बोली कि उूउउइईईईईई माँआआआआ में मर गयी रे, हाईईईई दीनू दर्द हो रहा है, ज़रा आहिस्ता करो. फिर मैंने कुछ देर तक बिना हीले अपना लंड उसकी चूत में डाले रखा और उसकी चूचीयों को सहलाता रहा. फिर मैंने अपनी कमर उठाकर एक जोरदार शॉट लगाया तो मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में समा गया. अब उसके मुँह से आआईईईईईई अल्लहहाआआआअ माररररर डालाआाआअ रे, हाईईईईईई उूउउफफफफफ्फ़ कितना ज़ालिम लंड है? आआईई रे, हाईईईईईईईई ऐसा लग रहा है कि जैसे मेरी चूत में कोई गर्म-गर्म रोड घुसा दी है.

फिर में करीब 10-15 मिनट तक रुक-रुककर पहले तो धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा तो उसे भी जोश आने लगा और वो भी अपने मुँह से आहें भरने लगी और कहने लगी कि दीनू डार्लिंग जरा ज़ोर-ज़ोर से कस-कसकर चोदो मुझे, बड़ा मज़ा आ रहा है, वाकई में तुम्हारा लंड जानदार है, मैंने आज तक ऐसा लंड नहीं देखा.

फिर मैंने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और इस दौरान वो 2 बार झड़ चुकी थी. अब उसकी चूत 2 बार झड़ने के कारण गीली और ढीली हो गयी थी और मेरे कस-कसकर चोदने के कारण पूरे कमरे में फचा फूच फचा फूच की आवाज़े गूँजने लगी थी, वो अब तक 2 बार झड़ चुकी थी.

फिर करीब और 10-15 मिनट के बाद में भी उसकी चूत में ही झड़ गया और उसके बगल में आकर लिपटकर सो गया. फिर वो बोली कि दीनू वाकई में तुम्हारा लंड काफ़ी जानदार है, तुमने मुझे बुरी तरह से थका दिया मैंने ऐसा लंड आज तक नहीं देखा. फिर करीब 1 घंटे के बाद मैंने उसे फिर से घोड़ी बनाकर चोदा और फिर वो सुबह करीब 4 बजे अपने कमरे में चली गयी. फिर दूसरे दिन दोपहर को उसका पति उसे लेने आया और वो दोनों शाम को चले गये. अब मेरा लंड फिर से उदास होने लगा था.

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