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फारेस्ट अफसर चोदे देसी चूत

Posted on:- 2024-01-03


क्या हाल चाल मित्रों कैसे है आप सब आशा है अच्छे होंगे और चुदाई के जुगाड़ में  होंगे  आओ विमला  तुमने तो अब हमें भुला ही दिया है जैसे.” चुदकड़  से भरी नजरो से जमीनदार दंवनाथ ने इस मजदुर औरत को देखा और उसकी गांड के ऊपर नजरें गडाए बैठा. दोस्तों क्या मॉल थी उसकी चुची पीकर मजा आ गया.


 मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला  लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है “साहब, गेहूं की फसल की सीजन थी न, कटाई में अच्छी मजदूरी मिल जाती हैं इसलिए हम छोलपुर गए थे पति के साथ.” विमला  ने अपने हलके पीले दांत दिखाते हुए कहा. क्या बताऊ दोस्तों  उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये.


 दोस्तों मने बहुत सी भाभियाँ चोद राखी है “चलो कोई नहीं, अब आ गई हो तो इनसे मिलो. यह हुकुम ठाकुर साहब हैं, फारेस्ट अफसर हैं इधर के नए. इन्हें खुश रखना हैं नहीं तो यह तुम्हारें घरो पर बुलडोजर चलवा सकते हैं. हमारे बड़े अच्छे दोस्त हैं इसलिए करेंगे नहीं ऐसा. लेकिन क्या करे यह भी उनकी बीवी उधर उनके गाँव में ही इसलिए घर में काम की बड़ी किल्लत होती हैं. तुम दिन में एक टाइम इनके घर जाकर सफाई कर देना. पगार हम से ले लेना, और सब तरह खुश रखना हैं साहब को समझ गई ना.” इशारे इशारे में ही विमला  को बता दिया गया था की हुकुम ठाकुर की चुदकड़ की जरुरत भी उसे पूरी करनी हैं. दोस्तों क्या मलाई वाला माल लग रहा था.


जमीनदार दंवनाथ यहाँ के जंगलो में ठेकेदार था जो दो नम्बर का बड़ा काम करता था. हुकुम ठाकुर यहाँ के नए फारेस्ट अफसर थे जो एक नम्बर के रिश्वतखोर और अय्याश थे. दंवनाथ ने उन्हें रिश्वत देने से मना नहीं किया था लेकिन हुकुम ठाकुर को दो तिन दिन में चुदाई का जुगाड़ करने का वादा भी कर बैठे थे. विमला  एक शादीसुदा औरत थी जो 21  चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए.
 साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और है साल की थी और उसकी जवानी से जैसे की चुदकड़ टपकता था. उसका पति नहीं जानता था लेकिन उसकी चूत में चुदकड़ का एक झरना बहता था जिस से बहोतों ने अपनी प्यास बुझाई थी. अब सुनिए चुदाई की असली कहानी.


 दोस्तों एक बार चोदते  चोदते  मेरा लंड घिस गया इस से पहले विमला  दंवनाथ के बंगले पर ही काम करती थी और उसकी कटी हुई जवानी के दंवनाथ भी एक समय कदरदान थे. लेकिन फिर विमला  ने घर के नौकरों से चुदना चालू किया और दंवनाथ अब उसे किराए के चुदकड़ वर्कर के तौर पर ही यूज़ करते हैं. जब ऐसे कोई अफसर को खुश करना हो विमला  को बुलाया जाता हैं और एक बार चुदकड़ करने के जमीनदार दंवनाथ उसे एक ठुकाई के 200 रूपये दे देता था. विमला  भी खुश थी क्यूंकि उसकी मजदूरी से यह रकम काफी ज्यादा थी. हुकुम ठाकुर ने जब विमला  को देखा तो एक घड़ी उन्हें लगा ही नहीं की यह शादीसुदा औरत हैं. बड़े मम्मे और मस्त छोटी गांड किसी भी मर्द को परेशान कर सकते थे. विमला  ने एक नजर भर के ही हुकुम ठाकुर को देखा था लेकिन इस फारेस्ट अफसर को जैसे उसकी शकल याद रह गयी थी. वहा का माहौल बहुत अच्छा था  मित्रों.

 दोस्तों उस लड़की मैंने चुत का खून निकल दिया “ज्यदा ना सोचे हुकुम ठाकुर बाबु, आप का काम हो जायेंगा. यह बड़ी कातिल चीज हैं हम खुद डुबकी लगा चुके हैं और एक एक गोता आप को भी मजा देगा.” दंवनाथ जमीनदार ने मुछो के ऊपर ताव देते हुए कहा. दोस्तों चोदते चोदते चुत का भोसड़ा बन गया.


अपने लंड को खुजाते हुए हुकुम ठाकुर ने कहा, “बस एक बार आ जाएँ ये कसम से इसे भी हम खुश कर देंगे.”

ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा मित्रों  “समझे वो शाम को आप के बिस्तर में होंगी, रात में कठिनाई हैं क्यूंकि उसका पति घर रहता हैं. शाम में ही ठोक दीजियेगा इसका छेद.” दंवनाथ ने ताकीद की. दोस्तों एक बार मैंने अपने गांव के लड़की जबरजस्ती चोद दिया.


 उह क्या मॉल था मित्रों गजब  हुकुम ठाकुर दंवनाथ का धन्यवाद करते हुए अपनी टोपी को पहनते हुए वहाँ से निकल पड़े. जिप स्टार्ट कर के वो सीधे पहले पड़ोस के गाँव की और चल पड़े. यह इलाका पूरा जंगल था और कंडोम नहीं मिलते थे यहाँ. कंडोम और सरसों के तेल की छोटी बोतल ले के हुकुम ठाकुर घर आये. मन बहलाने के लिए उन्होंने फिल्मफेर मैगज़ीन उठाई पुराने अखबारों के बिच से. यहाँ बिजली और नेट तो था नहीं की लंड को पोर्न विडियोस से बहला लेते. वही छोटे छोटे कपडे वाली हिरोइन्स को देख के हुकुम ठाकुर लंड को खड़ा कर रहे थे. दोपहर को खाने में वही मेगी नुडल्स और अचार ब्रेड खाए और अब वो बेसब्री से विमला  के आने की राह देख रहे थे. महीनों हो चले थे चूत के छेद में चुदकड़ की पिचकारी छोड़े और हुकुम ठाकुर लंड हाथ से हिला हिला के परेशान थे. दंवनाथ जमीनदार ने वादा बड़े दिन से किया था लेकिन विमला  थी ही नहीं यहाँ. विमला  के साथ चुदकड़ के विचार करते करते ही लुंगी में लंड हिला के हुकुम ठाकुर सो गए. मेरा तो मन ही ख़राब हो जाता था मित्रों.


साढ़े पांच बजे के करीब दरवाजे पर दस्तक हुई. हुकुम ठाकुर नींद से झबक उठे और दौड़ के दरवाजा खोला.

“आओ अंदर, बड़ी देर कर दी आने में तुमने.” हुकुम ठाकुर ने हँसते हुए कहा.

“साहब पति को खाना देना था, वो बहार गया था इसलिए दोपहर का खाना अभी दे के आई हूँ.” विमला  ने धीरे से कहा.

 क्या बताऊ दोस्तों मैंने चुदाई हर लिमिट पार कर दिया“अरे हम भी तो भूखे हैं कब से तुम्हारी आस में.” विमला  को अंदर ले के हुकुम ठाकुर ने एक नजर बाकी के दो क्वार्टर पर डाली. उसके हाथ निचे काम करने वाले दोनों चोकीदार शायद जंगल में ही थे. विमला  ने अंदर आके एक नजर हुकुम ठाकुर को देखा और फिर उसकी नजर लुंगी के ऊपर बने हुए धब्बे पर पड़ी. वो हंस पड़ी. हुकुम ठाकुर ने उसे ले दबोचा और उसके होंठो पर किस करने लगे. हुकुम ठाकुर के आधे सफ़ेद आधे पीले दांत के साथ विमला  के पीले दांत मिल गए. विमला  ने निचे लुंगी की गाँठ को खोला और लुंगी जमींन पर जा गिरी. अंदर हुकुम ठाकुर का चुदकड़ का प्यासा लौड़ा था जो कंपन मार रहा था बिल में जाने के लिए. विमला  ने लंड को हाथ से मसला और लंड पूरा के पूरा तन गया. विमला  ने अब अपने होंठो को हुकुम ठाकुर के होंठो से दूर किया और वो लंड चूसने का मन बना चुकी थी. कुछ भी  हो माल एक जबरजस्त था.


लेकिन हुकुम ठाकुर ने कहा, “सरसों का तेल लायें हैं हम, चूस के तनिक मालिश कर दो उसका.”

 दोस्तों मैंने किसी भाभी को छोड़ा नहीं है“जी बाबूजी.” इतना कह के विमला  ने उस चुदकड़ की नाली को मुहं में भर लिया. विमला  ने आधा लंड मुहं में लिया और उसे चूस का मजा देने लगी. हुकुम ठाकुर की आँखे बंध थी और वो इस देहातन के साथ ओतप्रोत थे चुदकड़ के दरिया में…….!उह भाई साहब की माल है उसकी चुत की बात ही कुछ और है.


 दोस्तों एक बार स्कूल में चुदाई कर दिया बड़ा मजा आया विमला  लौड़ा गले तक भर रही थी और फिर उसके ऊपर अपनी जबान को घुमाकर चाट लेती थी. हुकुम ठाकुर को देसी चुदकड़ काफी पसंद था इसलिए तो उसने जमीनदार दंवनाथ को देसी चूत के लिए विनंती की थी, ना की सिटी की रंडी के लिए. हुकुम ठाकुर आँखे बंध किये हुए आह आह की आवाज निकाल रहे थे और विमला  के पीले दांत बिच में दिख रहे थे जब वो लंड को और अंदर लेने के लिए अपना मुहं खोलती थी. हुकुम ठाकुर फिर लंड को और भी जोर से मुहं में चलाने लगा लेकिन विमला  का अनुभव भी कम थोड़ी था. वो लंड के झटको को मुहं खोल के गले में ले लेती थी. दोस्तों चोदते  चोदते  कंडोम के चीथड़े मच गए.


 ओह्ह उसके यह का चुम्बन की तो बात अलग है“ले रंडी मेरा लंड अपने मुहं में ले बेन्चोद, ले ले चूस मेरा लौड़ा. फिर तेरी चूत को चोदुंगा मैं…चूस पूरा चूस लौड़े को…!” हुकुम ठाकुर अब जज्बाती हो गए थे. एक बार मैंने अपने मौसी की लड़की को जबरजस्ती चोद दिया.


 है उसके गांड मेरा मतलब तरबूज क्या गजब भाई उधर विमला  बड़े ही सुकून से लंड को चिकन लोलीपोप की तरह मुहं से निकाल ही नहीं रही थी. उसे भी हुकुम ठाकुर के लंड को चूसने में जैसे बड़ा सुख मिल रहा था. हुकुम ठाकुर का मन अब चूत से देसी चुदकड़ करने का बना हुआ था. इसलिए उसने अपना लंड मुहं से निकाला. विमला  जैसे लौड़े को छोड़ने को तैयार ही नहीं थी. बहार आये लंड के ऊपर विमला  का ढेर सारा थूंक लगा हुआ था. मेरे मित्रो मामा की लड़की की चुदाई में बड़ा मजा आया.


“चलो अपनी टाँगे फैला के पलंग के ऊपर लेट जाओ.” हुकुम ठाकुर ने टंगी हुई पतलून की और बढ़ते हुए कहा.

 दोस्तों कई बार जबरजस्ती शॉट मरने में चुत से खून निकल गया उसने अपनी पतलून से कंडोम का पेक निकाला. पेक फाड़ के उसने कंडोम को लंड के ऊपर पहन लिया. कंडोम वाला लंड जैसे बड़ा चमक रहा था. उसका भोसड़ा का छेड़ गजब का था मित्रों. 


 उसकी बूब्स  देखते ही उसको पिने की इच्छा हो गयी   विमला  की टाँगे खुली हुई थी जिसे उसने ऊपर भी उठाया हुआ था. हुकुम ठाकुर विमला  की टांगो के बिच में आ बैठे और उसकी चूत का मुआयना करने लगे. चूत में दो ऊँगली डाल के पहले उसने देखा की चूत काफी गरम और चिकनी थी. मतलब लंड के ऊपर और कोई अधिक चिकनाहट की जरुरत नहीं थी. चूत और लंड दोनों ही देसी चुदकड़ के लिए बिलकुल रेडी थे. हुकुम ठाकुर ने अपने लौड़े को चूत के छेद पर सेट किया, कलमा ने हाथ से थोडा बहुत एडजस्टमेंट किया और लगा दिया हुकुम ठाकुर ने एक झटका. हुकुम ठाकुर का लंड फच की आवाज से चूत के छेद में घुस गया. विमला  के मुहं से आह निकल गई. मित्रों मै सबसे पहले उसकी गांड मरना चाहता हु.


“वाह रे रंडी तेरी चूत तो बड़ी चिकनी हैं, मजा करा दिया एक ही झटके में तूने तो.” हुकुम ठाकुर खुश हो गए चूत प्रवेश के बाद.

 उसको पेलने की इच्छा दिनों से है मित्रों “साब मेरी चूत से तो दंवनाथ बाबु की पूरी हवेली खुश थी, तो आप को तो अच्छी लगनी ही थी.” विमला  ने देसी चुदकड़ के नशे में कुछ ज्यादा ही बक दिया. अच्छा चुदाई चाहे जितनी कर साला फिर भी लैंड नहीं मनता मित्रों. 


 मित्रों मेरा तो मानना है जब भी चुत मारनी हो बिना कंडोम के ही मारो तभी ठीक नहीं सब बेकार “मैं जानता हूँ तू बहुत लंड ले चुकी हैं रंडी लेकिन तेरा भोसडा नहीं बना हैं अभी. अभी भी इसे चूत कह सकते हैं.” हुकुम ठाकुर दांतों को दबा के लंड को विमला  की चूत में पेलने लगा. विमला  के मुहं से आह आह की आवाजें निकलने लगी और विमला  अपनी गांड हिलाने लगी. हुकुम ठाकुर का कंडोम के पीछे छिपा हुआ लौड़ा फच की आवाज से चूत में जाता तो यह दोनों ही देसी चुदकड़ के असीम मजे को लुट लेते. विमला  की चूत को अब और भी हार्ड चोदने के लिए हुकुम ठाकुर ने उसकी ऊपर उठी हुई टांगो को अपने कंधे पर रख दिया. विमला  की चूत के अंदर अब लंड जैसे और भी डीप घुस गया. लेकिन इस देसी चुदकड़ की आदि रंडी को इस से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़नेवाला था. उसे तो ऊपर से बड़ा मजा आ गया की लंड अंदर तक घुस गया था. हुकुम ठाकुर अब आह आह कर के अपने लंड को फ़ास्ट फ़ास्ट चूत में पेलते रहे और विमला  अपनी गांड को हिलाकर उन्हें और भी मजे देने लगी. उसके बूर की गहराई में जाने के बाद क्या मजा आया मित्रों  जैसे उसके चुत में माखन भरा हो.


हुकुम ठाकुर के मस्तक से पसीने की बूंद टपक के विमला  के बदन पे आ रही थी. लेकिन दोनों ही देसी चुदकड़ के दरिया में ऐसे गोते लगा रहे थे की वक्त, थकान और दूसरी ऐसी चीजें अभी उनके लिए गौण थी. आह आह की आवाज से हुकुम ठाकुर पेलते थे और ओह ओह की आवाज से विमला  उनका उत्साह बढ़ाती थी. पांच मिनिट ऐसे ही पेलने के बाद हुकुम ठाकुर ने अपना लंड निकाला. उसको देखने बाद साला चुदाई भूत सवार हो जाता मित्रों.


 मुझे तो कभी कभी चुदाई का टाइफिड बुखार हो जाता है और जब तक चुदाई न करू    तब तक ठीक नहीं होता “चल अब उलटी हो जा, तेरी चूत को मैं कुतिया बना के लेना चाहता हूँ.” हुकुम ठाकुर भला देसी चुदकड़ के सब से असली मजे देने वाले आसान डौगी स्टाइल को कैसे छोड़ सकते थे. विमला  ने अपनी जांघे पलट ली और अब वो उलटी होकर अपनी गांड को हुकुम ठाकुर की और कर बैठी. हुकुम ठाकुर ने कंडोम बदला और वो उठ खड़े हुए  एक बात और मित्रों चुत को चोदते समय साला पता नहीं क्यों नशा सा हो जाता बस चुदाई ही दिखती है  चूत लेने के लिए. विमला  की गांड से टट्टी की स्मेल आ रही थी जिस से हुकुम ठाकुर की मादकता और भी बढ़ गई. उन्होंने पीछे से ही चूत में लौड़ा डाला और वो गांड को चौड़ी करने लगे. मित्रों चुत को चाटेने के  समय उसके बूर के बाल मुँह में आ रहे थे.


“साहब पीछे कुछ मत करना, गू लगेंगा आप के हाथ में…!” विमला  ने पहले से ही आगाह कर दिया.

 मित्रों देखने से लगता है की वो पका चोदा पेली का काम करती होगी लेकिन कुत्ते की जात के जैसे टेढ़े हुकुम ठाकुर ने ऊँगली कर ही दी. और जैसे हुकुम ठाकुर को कहा गया था ऊँगली पर टट्टी लग ही गई. हुकुम ठाकुर ने उसे विमला  की सारी में उसके बिना देखे पोंछ लिया और वो चूत में लंड मारते रहे. अब विमला  की स्पीड बढ़ चुकी थी और वो जोर जोर से लंड को थपकार रही थी. हुकुम ठाकुर भी जोर जोर से चूत को ठोकते गए. दोनों ही कगार पर थे स्खलित होने के. हुकुम ठाकुर ने दो झटके और दिए और उनका लंड कंडोम के अंदर पिगलने लगा. इतना वीर्य निकला के पूरा कंडोम भर गया. उन्होंने धीरे से लंड निकाला और तभी विमला  का भी पानी छुट गया.

हुकुम ठाकुर वही लुडक गए और विमला  उठ के कपडे सही करने लगी. हुकुम ठाकुर ने कहा, जाते हुए दरवाजा खिंच लेना, सच में दंवनाथ सही कह रहे थे की तुम बड़ी चुदाई की चीज हों आज से अच्छा देसी चुदकड़ मैंने पहले कभी नहीं किया. अगली बार हग के आना, हम तुम्हारी गांड मारेंगे…..!मित्रों मुझे तो कभी कभी चुत के दर्शन मात्र से खूब मजा आता क्योकि मई पहले बहुत बार अपने मौसी के लड़की  को बिना पैंटी के देखा था  वाह क्या मजा आया था.


 मन कर रहा था कब इसे चोद लू मेरा लंड समझने  को तैयार नहीं था . और विमला  होंठो में ही हँसते हुए दरवाजा खोल के संध्याकाल के अँधेरे में गायब हो गई…!अब बिना चुदाई के रह नहीं सकता था मित्रों मै पागल सा हो गया ओह ओह ओह है कब लंड को घुसा दू ऐसा लग रहा था मित्रों.

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