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मैं चुदी कपल के साथ

Posted on:- 2023-01-25


 कैसे है आप सब आशा है अच्छे होंगे और चुदाई के जुगाड़ में होंगे कई लड़कियाँ मेरी कहानियाँ पढ़ने के बाद मेरे सेक्स नेटवर्क से जुड़ी जिनमें से कुछ पैसों और ज्यादातर चुदाई का मजा लेने के लिए जुड़ी। मोटी गांड वाली लड़कियों की बात ही कुछ और है.


ऐसे ही एक जोड़े काव्या और विवेक  के मुझे कई मेल्स आये और उन्होंने मुझसे मिलने की ख्वाहिश जाहिर की मगर हर बार मैं उन्हें मना करती रही क्योंकि पहले मुझे वो झूठे लगे लेकिन जब उन्होंने अपनी कुछ अतरंग तस्वीरें मेल की तब जाकर मुझे लगा कि वो झूठे नही हैं, इसके बाद मैंने उनसे मिलने के लिए हाँ कर दी और मिलने के लिए एक दिन तय कर लिया। क्या गजब चुदकड़ अंदाज थी.


इसके बाद मैंने अपने पति को इस बारे में बताया तो उसने तुरंत कहा कि तुम जैसा चाहती हो कर सकती हो।

मैंने काव्या और विवेक  को मिलने के लिए एक मॉल नेताजी सुभाष प्लेस बुलाया क्योंकि उनका घर भी उसके पास ही था।

आखिर तय दिन पर सुबह 11 बजे तैयार होकर मैं मॉल पहुँच गई, मैंने नीले रंग की साड़ी पहनी थी।

 लड़किया क्युआ गजब चुदकड़ होती है दोस्तों विवेक  और काव्या पहले से ही मेरा इन्तजार कर रहे थे, काव्या ने टी-शर्ट और स्कर्ट पहनी हुई थी, वो एकदम माल लग रही थी, उसको देखने से ही पता चल रहा था कि वो एक अमीर परिवार से है और विवेक  भी काफी स्मार्ट और अच्छे बदन का है। मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला  लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है.


 मेरे प्यारे दोस्तो चुची पिने का मजा ही कुछ और है विवेक  को देखकर एक बार तो मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मुझे देखकर काव्या मेरी तरफ़ बढ़ी और मुझसे हाथ मिलाया, मैंने भी इसका जवाब मुस्कुरा कर दिया।.

 ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना  लड खड़ा ही हो जायेगा  इसके बाद उन दोनों ने बताया कि वो दोनों दीपाली (जगह का नाम) में रहते हैं, उनके साथ कोई नहीं रहता, वो दोनों पति पत्नी हैं और उनकी शादी को अभी बस 2 महीने हुए हैं।

 मेरे मित्रगणों  चुत छोड़ने के बाद सुस्ती सी आ जाती है     फिर मैंने उनसे मीटिंग का कारण पूछा तो विवेक  ने बताया कि काव्या भी मेरे सेक्स नेटवर्क में शामिल होना चाहती है इसी कारण वो मुझसे मिलना चाहते थे कि कहीं मैं झूठी तो नहीं हूँ।.

 क्या बताऊ मेरे मित्रगणों   उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये मैंने काव्या को ऊपर से नीचे तक देखा, चूँकि काव्या बहुत ही खूबसूरत लड़की है जिसके चूचे बहुत भारी, करीब 36 होंगे और व्यक्तित्व भी काफी शानदार है।

 मेरे मित्रगणों  मने बहुत सी भाभियाँ चोद राखी है मैंने कहा कि पहले मैं आपका घर देखना चाहती हूँ क्योंकि आपके घर में और कोई नहीं रहता इसलिए हम वहाँ बाकी सारी बातें कर सकते हैं।.

विवेक  अपनी गाड़ी में और काव्या मेरी कार में बैठी और मुझे अपने घर की तरफ ले गई, काव्या ने कार एक आलीशान घर के सामने रोकने को कहा, विवेक  पहले से वहाँ हमारा इन्तजार कर रहा था।

 मेरे मित्रगणों  क्या मलाई वाला माल लग रहा था     घर में घुसने के बाद हमारी बातें शुरू हुई, मैंने काव्या से पूछा- तुम मेरा सेक्स नेटवर्क क्यूँ ज्वाइन करना चाहती हो?.

 चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए तो उसने बताया कि वो हमेशा से अनजाने लोगों से चुदना चाहती रही थी मगर उसके परिवार की बन्दिशों के कारण नहीं कर पाई इसलिए उसने शादी के एक हफ्ते बाद ही विवेक  को अपनी यह इच्छा बताई, पहले तो विवेक  ने मन किया लेकिन बाद में मान गया।.

काव्या मेरी कहानियाँ काफी समय से पढ़ती आ रही है, इसलिए उसने मुझसे सम्पर्क किया।

 साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और ह चूँकि उनके घर में विवेक  और काव्या के आलावा और कोई नहीं था और दोनों को काव्या की चुदाई से कोई परेशानी नहीं थी इसलिए मैंने काव्या को हाँ कर दी। अब सुनिए चुदाई की असली कहानी.


 मेरे मित्रगणों  एक बार चोदते  चोदते  मेरा लंड घिस गया मैंने काव्या से पूछा कि क्या तुम काल गर्ल बनने के लिए तैयार हो?.

तो उसने कहा- दीदी, मैं बस रण्डी, वेश्या बनने के लिए मरी जा रही हूँ।

 वहा का माहौल बहुत अच्छा था  मेरे मित्रगणों   मैंने अपने पर्स से एक सिगरेट निकाली और काव्या की तरफ बढ़ाई और कहा- एक सुट्टा तो मार कर दिखाओ?

उसने फटाक से सिगरेट ले ली, इससे पहले वो सिगरेट जलाती उससे पहले मैंने उसे रोका और उसे अपने कपड़े उतारने को कहा।

विवेक  बैठे-बैठे सब तमाशा देख रहा था मगर कुछ बोल नहीं रहा था।

काव्या ने पूछा- कपड़े क्यूँ उतारने पड़ेंगे।

मैंने उसके गाल पर तमाचा मारा और कहा- बहन की लौड़ी रंडी बनने आई है और कपड़े उतारने में नखरे दिखा रही है।

 मेरे मित्रगणों  उस लड़की मैंने चुत का खून निकल दिया मैंने ही उठकर उसकी टी-शर्ट और स्कर्ट खोल दी। अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी, मेरे जोश को देख उसमें भी जोश आ गया और उसने अपने स्तनों को ब्रा की कैद से आजाद कर दिया और उसके बड़े-बड़े चूचे हवा में लहराने लगे।.

उसके चूचे देखकर मुझसे रहा न गया और मैंने अपने होंठ उसके स्तनों से चिपका दिए।

 वहा जबरजस्त माल भी थी मेरे मित्रगणों   मैं  कुछ आगे बढ़ती उससे पहले ही विवेक  बोला- काव्या तुम्हारा सेक्स नेटवर्क ज्वाइन करेगी और कभी किसी फीस की डिमांड भी नहीं करेगी मगर मेरी एक शर्त है।.

मैंने उससे पूछा- क्या शर्त है?

तो उसने कहा- मैं तुम्हें एक बार चोदना चाहता हूँ।

मैं तो खुद विवेक  से चुदना चाहती थी क्योंकि वो इतना हृष्ट-पुष्ट और स्मार्ट था।

 मेरे मित्रगणों  चोदते चोदते चुत का भोसड़ा बन गया मैंने उसे हाँ कह दिया मगर मैंने कहा- मैं अभी तुम से नहीं चुदूंगी, जब मेरा तुम से चुदने का दिल होगा तब मैं खुद तुमसे चुदने आ जाऊँगी।.

इस पर विवेक  सहमत हो गया।

 ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा मेरे मित्रगणों   काव्या बेड पर नंगी लेटी पड़ी थी और विवेक  का लौड़ा भी पूरे शबाब पर था, काव्या बेड पर लेटे-लेटे सिगरेट के कश ले रही थी।.

 मेरे मित्रगणों  एक बार मैंने अपने गांव के लड़की जबरजस्ती चोद दिया विवेक  का लौड़ा काफी बड़ा लग रहा था, मैंने विवेक  की तरफ बढ़ते हुए उसकी पैंट खोल कर उसका कच्छा उतारा और काव्या की तरफ इशारा करते हुए कहा- तुम्हारी बीवी तुम्हारा इन्तजार कर रही है।.

विवेक  बोला- काव्या मेरा लौड़ा मुँह में नहीं लेती।

मैंने कहा- जल्दी ही यह चुदक्कड़ लौड़े भी चूसने लगेगी।.

उह क्या मॉल था मेरे मित्रगणों  गजब  मैं ने विवेक  का लौड़ा अपने हाथ में पकड़ा, इस वजह से उसका लौड़ा सांप की तरह फनफना उठा। मैंने उसका लौड़ा अपने मुँह में रखा और लॉलीपोप की तरह चूसने लगी।

मुझे यह करते देख काव्या ने विवेक  को अपनी चूत की तरफ इशारा करके अपनी तरफ बुलाया लेकिन विवेक  मेरे ख्यालों में खोया हुआ था।.

 मेरा तो मन ही ख़राब हो जाता था मेरे मित्रगणों   विवेक  के फनफनाते हुए लौड़े को देखकर मुझे भी जोश आ गया, मैंने भी अपनी साड़ी उतार दी और ब्लाउस के हुक खोलकर उतार दिया और पेंटी और ब्रा में आ गई।

विवेक  का एक हाथ मेरी पीठ और दूसरा हाथ मेरे चूतड़ों पर आ गया और उसने मुझे अपने आगोश में समेट लिया।

 क्या बताऊ मेरे मित्रगणों  मैंने चुदाई हर लिमिट पार कर दिया फिर वो अपना मुँह मेरे चूचों की तरफ लाया, बिना ब्रा खोले ही ऊपर से जीभ फेरने लगा।.

 कुछ भी  हो माल एक जबरजस्त था  मेरी कामुकता बढ़ती जा रही थी, मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा खोल दी और पूरी तरह से विवेक  के रंग में रंग गई।.

काव्या भी अब तक कामुकता के सागर में तैरने को तैयार हो चुकी थी, उसने भी मेरा एक चुच्चा अपने मुँह में ले लिया।

विवेक  और काव्या दोनों मेरा एक-एक स्तन चूस रहे थे।

 उसको देखकर  किसी का मन बिगड़ जाये  मैंने अपनी पेंटी खोली और अपनी चूत में उंगली करते हुए विवेक  को अपनी चूत चाटने का हुक्म दिया, मैंने काव्या को भी शामिल करते हुए अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों का रसपान किया।.

 मेरे मित्रगणों  मैंने किसी भाभी को छोड़ा नहीं है इतने में विवेक  मेरी चूत अपनी जीभ से चाटने लगा, करीब 15 मिनट तक हम तीनों उसी पोज में लेटे रहे और काव्या मेरे होंठों और विवेक  मेरी चूत चाटता रहा।

मैंने विवेक  को अपने ऊपर आने और मेरी चूत का चोदन करने के लिए कहा। तब तक विवेक  का लंड बैठ चुका था।

इस बार मैंने काव्या से विवेक  का लौड़ा चूसने को कहा जिसे उसने नकार दिया।

मैंने उसे बालों से पकड़ते हुए जबरदस्ती विवेक  का लौड़ा काव्या के मुख में घुसा दिया और चूसने को कहा।.

 उह भाई साहब की माल है उसकी चुत की बात ही कुछ और है एक बार मुख में लेने के बाद काव्या को भी लौड़ा चूसने में मजा आने लगा और वो भी मजे लेकर विवेक  का लौड़ा चूसने लगी।.

 मेरे मित्रगणों  एक बार स्कूल में चुदाई कर दिया बड़ा मजा आया इतने विवेक  फिर से मेरे 38 इंच के उरोजों पर चिपक गया। काव्या के चूसने के कारण विवेक  का लौड़ा फिर से खड़ा हो गया।.

 मेरे मित्रगणों  चोदते  चोदते  कंडोम के चीथड़े मच गए फिर मैंने लौड़े की जिम्मेदारी लेते हुए विवेक  को लिटा कर उसके लौड़े के ऊपर सवार हो गई, विवेक  भी नीचे से झटके मारने लगा.

 ओह्ह उसके यह का चुम्बन की तो बात अलग है क्योंकि मेरी चूत का पहले से ही भोंसड़ा बना हुआ था तो एक ही झटके में विवेक  का पूरा लौड़ा मेरी चूत में आराम से घुस गया और वो झटके ले-लेकर मेरा चोदन करने लगा।.

करीब 20 मिनट की मेहनत के बाद विवेक  छुट गया और पानी पूरा बिस्तर पर गिर गया।

 एक बार मैंने अपने मौसी की लड़की को जबरजस्ती चोद दिया मैंने फिर से उसका लौड़ा चूसा और चूस-चूसकर लौड़ा साफ़ किया। थोड़ी देर में लौड़ा फिर फुफकारने लगा और चूत मांगने लगा, इस बार काव्या ने आगे आते हुए विवेक  से चुदवाया। है उसके गांड मेरा मतलब तरबूज क्या गजब भाई.


 मेरे मित्रगणों  कई बार जबरजस्ती शॉट मरने में चुत से खून निकल गया इसके बाद हम तीनों साथ में मिलकर नहाए और आपस में बदन रगड़-रगड़कर मजा किया। मुझे तो कभी कभी चुदाई का टाइफिड बुखार हो जाता है और जब तक चुदाई न करू    तब तक ठीक नहीं होता एक बात और मेरे मित्रगणों  चुत को चोदते समय साला पता नहीं क्यों नशा सा हो जाता बस चुदाई ही दिखती है.

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