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वर्जिन चूत का मजा

Posted on:- 2021-12-15


हेल्लो दोस्तों मेरा नाम तेजिन्द्र है. उन दिनों मेरी उम्र कुछ 21 की थी और मैं इंजीनियरिंग के दुसरे वर्ष में पढाई करता था. कोलेज जीवन में दारु और सिगरेट के अलावा कुछ काम था नहीं इसलिए मैं अपना साल बरबाद कर चूका था. मेरे निकम्मे दोस्तों की तरह मुझे भी 6 माह घर पर बिताने थे. मुझे घर पर रहेना वैसे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था. यहाँ गाय भेंस और गोबर था. मेरे पापा वैसे अनाज के बड़े व्यापारी थी और उन्हें इसी वजह से गाँव में रहना पड़ता था क्यूंकि फसल तो यहीं से आती यही इसलिए कम से कम दाम में अनाज यही से खरीदा जा सकता था. बुढा कमाता था लेकिन मुझ से पाई पाई का हिसाब लेता था. उन दिनों काफी बारिश के चलते मेरे पिता के मुनीम तुनील के घर की दिवार धंस गई थी और वोह अपनी बीवी ननसा और बेटी नदन्तिका के साथ मेरे पिता ने दिए रूम में रह रहे थे. नदन्तिका 19 साल की बिलकुल जवान लोंडिया थी जिसकी सेक्सी जवानी को देख मेरा लोहा कभी कभी पिगल जाता था. मैं मनोमन सोचता अगर यह चोदने के लिए दे दे तो चोदने का मजा कुछ और ही होगा. मैं मनोमन इस लौंडिया नदन्तिका को चोदने का प्लान बना रहा था, लेकिन वोह साली बहुत शर्मीली थी और मुझे देखती भी नहीं थी. लेकिन नदन्तिका की लंड की प्यासी चूत थी

 

 

एक दिन सुबह सवेरे मैं अपने पापा के पास बैठा था और हरी काका भी वही थे. हरी काका पापा से कुछ बात कर रहे थे जिसे सुन के मेरे काम चमके. वोह लोग नदन्तिका के गणित टयूशन के लिए बात कर रहे थे, क्यूंकि वह छ मासिक परीक्षा में गणित में फ़ैल हुई थी. वोह लोग कोई आनंद सर से उसके टयूशन लेने की बात कर रहे थे. मुझे लगा यही मौका है चोदने के लिए…हमने पापा को कहाँ आप लोग क्यूँ पैसा खर्च कर रहे हों. वैसे भी में उपर पढता हु रोज 4-5 घंटे शाम में. नदन्तिका को बोलो वोह गणित मुझ से सिख लें, और पापा आप को पता ही हैं मेरे गणित के नंबर पहेले से अच्छे हैं. पापा ने बात सुनी और वोह सोच में पड़ गए, शायद वो यह सोच रहे थे की मैं पहले कितना तेजस्वी थ और अभी साला पास ही नहीं होता था. पापा को पता था की मेरा गणित अच्छा हैं. और सच में मैं कोलेज के पहले तक ठीक ही था, कोलेज जा के खाने पिने और चोदने की लतें लग गई और मेरी पढाई की मम्मी चुद गई थी. हरी काका भी मान गया और उसने मुझे बोला की वोह शाम से ही नदन्तिका को मेरे रूम में भेज देगा.

 

मम्मी के मरने के बाद घर का ज्यादातर काम नौकर ही देखते थे और वोह लोग मुझ से काफी डरते थे क्यूंकि मैं गाली दे के ही बात करता था उन लोगो से. वोह मेरे कमरे में काम बगेर कभी नहीं घुसते थे और काम भी सिर्फ खाना देना ही तो था. सफाई वगेरह जब में घर नहीं होता था तब कामवाली ललिता कर लेती थी. शाम को नदन्तिका पिली सलवार और काली कमीज में आई. उसे देख के ही मेरा मन चोदने के लिए उत्सुक हो रहा था. वोह निचे बैठी और किताबे खोलने लगी. हमने उसे गणित के एक दो सम दिखाए और वोह उन्हें करने में मग्न हो गई. उसके भारी चुंचे मैं उसके कमीज के बटन के बिच के उपसे हुए भाग से देखने की नाकाम कोशिश करने लगा. नदन्तिका के चुंचे होंगे कुछ 32 की साइज़ के लेकिन सब से प्यारे थे उसके होंठ, बिना लिपस्टिक के भी वो एकदम लाल नजर आ रहे थे. हमने उसके बूब्स पर नजरे गड़ाई थी और वोह भी चुपके चुपके मुझे देखती थी.

 

नदन्तिका के साथ हमने बात चालू की और उसे कोलेज के बारे मे पूछने लगा, बात बात मे हमने उसे कहा की तुम्हारे कितने बॉयफ्रेंड हैं कोलेज में, नदन्तिका हंस पड़ी और बोली, कोई भी तो नहीं हैं…..! हमने कहा जूठ क्यों बोलती हो, ऐसे ही थोड़ी फ़ैल हो गई तुम. नदन्तिका बोली, सच में कोई नहीं हैं, सभी मेरे बाबूजी से डरते हैं, क्यूंकि मेरे चाचा बनवारी लाल खून के केस में जेल में हैं इसलिए हमसे सभी डरते हैं. पर मुझे हरिलाल से डर नहीं था, इसलिए हमने नदन्तिका से कहा, मैं तुम्हारे बाप से नहीं डरता, मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी. चोदने के अलावा दुसरे भी फायदे मिलेंगे. शहर घुमाऊंगा और वहाँ से तुम्हे शोपिंग भी करवाऊंगा. नदन्तिका कुछ बोली नहीं, मुझे लगा वोह शायद मना करेगी. लेकिन वो बोली, अगर किसीने देख लिया तो. हमने कहा, यहाँ तुम्हारे सिवा कोई नहीं आता और वैसे भी हम दरवाजा अंदर से बंध कर लेंगे. नदन्तिका कुछ बोली नहीं और हमने हाथ लम्बा कर के उसके होंठो के ऊपर फेरा, उसके होंठ मस्त रसीले थे. इधर मेरा लंड चोदने को बेताब हो रहा था, लेकिन मैं जल्दबाजी नहीं करना चाहता था.

 

नदन्तिका मेरे स्पर्श से उत्तेजित होती दिखी क्यूंकि उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसे दबाने लगी. हमने अपना दूसरा हाथ उसके स्तन पर रख दिया और उसकी कमीज के अंदर उसके चुंचे मसलने लगा. नदन्तिका की साँसे बढ़ रही थी और वोह आह आह ओह कर रही थी. अरे चोदने से पहले इतने आवाज निकाल रही है तो चोदुंगा तो क्या करेगी. नदन्तिका को हमने हाथ पकड़ के खड़ा किया और उसकी कमीज के दोनों बटन खोल डाले, हमने धीरे से उसके हाथ ऊँचे करवाएं और कमीज उतार दी. उसकी काली ब्रा में से उसके भारी स्तन जैसे की बहार आने को उत्सुक थे. हमने नदन्तिका का हुक खोला और उसके स्तन जैसे की मांस का लोथड़ा हो वैसे झूल पड़े. साली मस्त माल थी ये तो इसने क्या बनाये थे अपने चुंचे. देख के ही मन चोदने को हो जाए. हमने उसकी सलवार भी उतार दी और उसकी टाईट चूत के उपर हाथ घुमाते ही उसके मुहं से सीईईईईईईईईईईईस्सस्सस निकल पड़ा. हमने अपनी पेंट उतारी और मेरा 8 इंच लंबा लंड देख के नदन्तिका उछल सी पड़ी, वोह सोच रही थी यह आधा फुट से बड़ा लौड़ा कैसे उसकी चूत में समाएगा. लेकिन उसे पता नहीं था की चोदने के समय लंड अपनी जगह बना लेता हैं चूत तो चूत गांड के अंदर भी.

 

हमने अपना लंड नदन्तिका के मुहं में भरा और वो कुत्ते की तरह जीभ निकाल के उसे चाट रही थी. हमने उसे चाटने दिया दो मिनिट तक, उसने लौड़े के हरेक कोने में जबान चला दी और उसे थूंक वाला कर दिया. इसके बाद हमने उसका मस्तक पकड़ा और उसके सेक्सी होंठो के उपर लौड़ा घिसा. वोह मुहं खोल बैठी और लौड़ा सीधा उसके मुहं में घुस पड़ा. नदन्तिका मस्त तरीके से लौड़ा चूसने लगी, उसे भी चोदने की तलब लगी थी और वोह पुरे मजे से लौड़ा खा रही थी मेरा. हमने उसके भारी स्तन को मसला और मुझे उनके बिच में लौड़ा देने का मन हो चला. हमने उसे निचे लिटाया और मैं खुद उसके पेट के उपर आके बैठ गया. हमने अपने गिले लौड़े को उसके स्तन के बिच रखा और गचगच करके उसके चुंचे देसी तरीके से चोदने लगा. नदन्तिका भी आह आह कर के चुंचे चुदवा रही थी और लंड को चुंचो के बिच टाईट रखने के लिए उसे दोनों स्तन को साइड से दबा दिए थे. मेरे झटके बढ़ते चले और साथ में मजा भी दुगुना हो रहा था. तभी मेरे लंड ने फव्वारा मार  दिया और नदन्तिका के स्तन के उपर पूरा माल निकल गया. हमने अपने रूम से उसे कपडा दिया जिस से उसने अपने स्तन और गले को साफ़ किया. वोह साफ़ कर के उठी और हमने उसे अपने फ्रिज से एपल ज्यूस दिया. ज्यूस पिनेके बाद हमने सिगरेट जलाई और कस लेने लगा.

 

सिगरेट ख़त्म होते ही मेरा लंड फिर से चोदने के लिए तैयार हो गया था. हमने नदन्तिका को एक बार और अपना लंड मुहं में दिया और उसने पहेले से भी ज्यादा प्यार से उसे चूस दिया. हमने इस बार लंड ज्यादा नहीं चुसाया क्यूंकि मुझे गुलाबी चूत को चोदने के मजे भी तो लेने थे. नदन्तिका भी अपने एक हाथ से चूत को मसल रही थी. उसे भी चोदना था बिलकुल मेरी तरह. हमने लौड़ा नदन्तिका के मुहं से बहार निकाला और उसे टाँगे फैला के अपना लंड चूत के छेद पर रख दिया. नदन्तिका के लिए शायद लंड की गर्मी नई थी इसलिए वह बहुत उत्तेजित हो गई, उसने मुझे होंठ पर अपने होंठ दे के एक सेक्सी किस दे दिया. हमने भी उसकी जबान को चूस डाला. इधर मेरा लंड उसके छेद में थोडा घुसा था की इस देसी लड़की की चीख निकल पड़ी. उसे चोदने का अनुभव नहीं था इसलिए उसे बहुत दर्द होने लगा, हमने अभी तो आधा ही लंड अंदर किया था. हमने एक मिनिट तक बिना हिले उसके स्तन को पिए और उसके गले में चुम्मे दिए. अभी नदन्तिका थोड़ी स्वस्थ हुई थी और उसे दर्द काफी कम हो रहा था. हमने दुबारा उसकी जबान से अपनी जबान लगाई और कस के और एक झटका दिया. उसके चूत से झकड़.. झकड़.. झकड़.. झप.. झप... की आवाजें आ रही थी. 

 

दोस्तों, ऊऊईईइ उई मा….आह आह्ह्हह्ह ओह्ह्ह उई उई उई….नदन्तिका के मुहं से अजीब अजीब आवाज निकलने लगे, उसके चूत में आखा लंड घुसा दिया था हमने इसलिए उससे रहा नहीं जा रहा था. उसके चूत से थोडा खून भी निकल आया था जो मेरे लंड के सुपाड़े पे लगा हुआ था. हमने थोड़ी देर रुक के उसे दो चार हलके झटके दिए, वो फिर स्वस्थ हुई. हमने जल्दी से कपड़े से खून साफ़ किया और लंड को अंदर बहार करना चालू कर दिया. इस वर्जिन चूत की सख्ताई मेरे लौड़े के लिए नई थी, कोलेज की मेरी गर्लफ्रेंड्स तो इस चूत के सामने कुआं थी. हमने भी इस वर्जिन चूत को चोदने का पूरा मजा लेते हुए उसे पहले हलके हलके और फिर थोडा कस के चोदा. नदन्तिका थोड़ी देर के बाद बिलकुल स्वस्थ हो गई और उसकी गांड भी मेरे लंड के संगीत पर हिलने लगी. वोह आगे पीछे हो के मुझ से चुदवाने लगी और मैं भी उसकी चूत के अंदर फचफच लौड़ा अंदर बहार करने लगा. चूत काफी गीली हो चुकी थी और मुझे बहुत मजा आ रहा था नदन्तिका को चोदने में.

 

नदन्तिका की गांड आगे पीछे हो के लंड का चूत में स्वागत करती जा रही थी. हमने उसके स्तन जोर जोर से दबा दिए और उन्हें मुह में भर के चूस डाला. नदन्तिका के मस्तक पे पसीना छूटने लगा था और वोह थक सी गई थी. हमने चोदने की झडप अब एकदम से बढ़ा दी थी और लौड़ा और भी जोर जोर से इस चूत के अंदर बहार हो रहा रहा. नदन्तिका से अब रहा नहीं जा रहा था. उसने मुझे गले लगाया और मेरे कान के आगे होंठ ला के बोली, आई लव यु, इतना कहते ही उसकी चूत ने मेरे लंड को दबाव दे के कस लिया. नदन्तिका एक बड़ी आह के साथ झड गई. हमने अपने चोदने का काम जारी रखा और नदन्तिका को उतनी ही तीव्रता से चोदता रहा. नदन्तिका मेरे होंठो पर किस करने लगी और उसने मेरे कमर पे हाथ दे के मुझे अपनी तरफ खिंच लिया, मेरा लंड इतना बदाव नहीं सह सका और मेरे लंड से आज दूसरी बार वीर्य का फव्वारा निकल गया. सार वीर्य इस वर्जिन चूत के अंदर निकल गया और जैसे हमने लौड़ा बहार निकाला थोडा वीर्य मेरे लौड़े पर चिपका हुआ था. चोदने का बहुत मजा आया था आज मुझे. एक बार मैंने जोश में आकर 7 इंच लंड भोसड़ी के बजाय गांड में धंसा दिया.

नदन्तिका को विज्ञानं का तो पता नहीं लेकिन चोदने का एक बहुत अच्छा सबक मिल गया था, उसकी चूत का आज ओपनिंग भी हो गया था. नदन्तिका को मैं अपने उसी रूम में लगातार चार महीने चोदता रहा, मेरा लंड बार बार झांटों को चीर के उसकी बुर को भेदने लगा.

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