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प्यासी जवानी- cousin sex story

Posted on:- 2024-03-01


नमस्कार साथियों मैं एक मस्त मौला लड़का हूँ, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मुझे खूबसूरत लड़कियाँ बेहद भाती हैं, उन्हें देखकर इस दुनिया के सारे गम दूर हो जाते हैं। मैं एक प्राइवेट स्कूल में टीचर था। हमारे स्कूल में जो कि शहर का नामी स्कूल था अच्छे घरों के बच्चे पढ़ने आते थे। हमारे स्टाफ में भी अच्छे खानदान की सुन्दर बहुएँ और बेटियाँ भी पढ़ाने आती थी। वह समय आज भी मुझे बखूबी याद है.

मैं एक मध्यम वर्ग का लड़का था, मुझे घर चलने और अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए टीचर बनना पड़ा था। खैर मैं पढ़ाने में अच्छा था और प्रिंसिपल मुझसे खुश था, मुझे स्कूल में थोड़ी आजादी भी मिल गई थी, मैं अपने खाली समय में स्कूल की बाउंडरी के बाहर एक दुकान में चलाता था।

एक दिन मैं दुकान गया तो दुकान में कोई नहीं था। हमने मालिक को आवाज़ लगाई तो परदे के पीछे कुछ हड़बड़ाने जैसी आवाजें आई और थोड़ी ही देर में दुकानदार लुंगी पहने आया। उसके चेहरे से मुझे पता चल गया कि मैं कबाब में हड्डी बन चुका था। खैर मैं थोड़ी देर बात करने के बाद वापस आ गया और स्कूल के दरवाजे के सामने वाले कमरे में छुप गया। कुछ देर में उसी दुकान से हमारे स्कूल की आया सुनीता चेहरा पोंछते हुए निकली।

मैं समझ गया कि माजरा क्या है। हमने उससे खुलने के लिए सामने आकर पूछा- कहाँ गई थी?

तो उसने सर झुका कर जवाब दिया- कुछ सामान लाना था।

हमने पूछा- कहाँ है सामान?

तो वो हड़बड़ा कर अन्दर भाग गई।

मित्रगणों, उस दिन के बाद मैं उसे देख के मुस्कुरा देता और वो मुझे देख कर भाग जाती। मैं उसके बारे में सोच कर अपने लंड को सहलाता था। उसकी उम्र 25 के आसपास थी और उसके दोनों अनार उसके ब्लाऊज में से तने हुए क़यामत दीखते थे। उसके होंठों के ठीक ऊपर एक तिल था जो उसे और मादक बना देता था पर उस भोसड़ी वाले दुकानदार को यह चिड़िया कैसे मिली, यह सोच कर मेरा दिमाग गर्म हो जाता था। खैर उस हसीना के ब्लाऊज में झांकते हुए हमारे दिन कट रहे थे कि इतने में 15 अगस्त आ गया, स्कूल में रंगारंग कार्यक्रम था, स्कूल की बिल्डिंग के बाहर मैदान में पंडाल और स्टेज लगा था, स्कूल की बिल्डिंग सूनी थी, हमने राऊंड लगाने की सोची कि शायद हसीना दिख जाये।

हमने चुपचाप अपने कदम लड़कियों वाले बाथरूम की तरफ बढ़ाये, बाथरूम में से हमारे स्कूल की एक मैडम की आवाज आई। हमने दीवार की आड़ लेकर झाँका तो देखा हमारे स्कूल की एक मस्त मैडम जिसका नाम कवलजीत था, बारहवीं क्लास की एक लड़की माया से अपने दूध चुसवा रही थी।

हाय क्या नज़ारा था !

पीले रंग की साड़ी और उस पर अधखुला ब्लाऊज ! उस ब्लाऊज से निकला हुआ कवलजीत का कोमल दूधिया स्तन ! माया ने दोनों हाथ से उसके स्तन को थाम रखा था और अपने पतले होठों से निप्पल चूस रही थी। मैं उन दोनों को देखने में मस्त था कि अचानक कवलजीत की नजर मुझ पर पड़ गई। उसने हटने की कोई कोशिश नहीं की और मुझे हाथ से जाने का इशारा किया और आँख मार दी। मैं वहाँ से हट गया और बाजू वाले कमरे में जाकर छुप गया।

पाँच मिनट बाद माया वहाँ से निकल गई, कवलजीत ने मुझे आवाज दी- मनुजी…!!

मैं- हह…हाँ?

कवलजीत- बाहर आइए !

मैं चुपचाप बाहर निकल आया।

मुझे देख कर वो बोली- क्यों मनुजी? लड़कियों के बाथरूम में क्या चेक कर रहे थे?

मैं बोला- यही कि कोई गड़बड़ तो नहीं हो रही, आजकल के बच्चे सूनेपन का फायदा उठा लेते हैं ना !

कवलजीत- हाय… सूनेपन का फायदा तो टीचर भी उठा सकते हैं।

मैं उसके करीब जाकर सट गया और उसके होंठ चूमने लगा, वो भी हमारे होंठ चूसने लगी। फिर हमने उसके बदन को अपने बदन के और करीब खींचा तो वो कुनमुनाने लगी, हमने उसके स्तन अपने हाथों में भर लिए और मसलने लगा। कुछ मिनट बाद वो बोली- ऐसे तो हमारे कपड़े ख़राब हो जायेंगे और सब शक करेंगे।

हमने उसे कहा- स्कूल के बाद गेट पर मिलना !

वो हमारे लंड को मुट्ठी में मसल कर भाग गई।

हमने योजना बनाई, मैं स्कूल के बाहर दुकान पर गया और दूकान वाले को बोला- राजू, तेरे और सुनीता के खेल के बारे में प्रिंसिपल को पता चल गया है, तेरे खिलाफ पुलिस में शिकायत जाएगी।

दुकानवाले की गांड फट गई, वो हमारे पैरों पर गिर गया।

हमने उसे कहा- प्रिंसिपल ने मुझे कहा है शिकायत करने को ! मैं उसे दबा सकता हूँ पर मेरी शर्त है।

दुकान वाला खड़ा हुआ और बोला- जो आप कहें सरकार !

हमने बोला- हमारे को तेरी दुकान का अन्दर वाला कमरा चाहिए, जब मैं चाहूँगा तब !

दुकान वाला बोला- ठीक है मालिक ! आप जब चाहो कमरा आपको दूँगा पर मुझे छुप कर देखने को तो मिलेगा ना?

मैं बोला- भोसड़ी के ! अगर तूने देखने की हिम्मत की तो तेरी गांड की फोटो निकाल कर तेरी बीवी को गिफ्ट करूँगा।

दुकानवाला माफ़ी मांगते हुए बोला- अरे, मैं तो मजाक कर रहा था ! ही…ही…ही…

स्कूल का कार्यक्रम ख़त्म होने के बाद मैं स्कूल के गेट के बाहर खड़ा हो गया। कवलजीत आखिर में बाहर आई। हमने उसे दुकान की तरफ बढ़ने को कहा। मैं दुकान में पहुँचा, दो कोल्ड ड्रिंक मंगाए और कवलजीत को लेकर अन्दर के कमरे में चला गया। कवलजीत अन्दर आते ही बोली- मनुजी, मुझे घबराहट हो रही है !

मैं बोला- कमसिन लड़कियों से चुसवाते वक़्त नहीं होती? असली मजा ले लो, फिर याद करोगी।

कवलजीत- हाय मनुजी ! मैं क्या करती? साली ने बाथरूम में मेरी चूचियाँ दबा दी तो मैं गर्म हो गई, आप तो समझदार हो !

हमने कहा- कवलजीत जी, आपका ज्यादा समय नहीं लूँगा !

और हमने उसके हाथ पकड़ कर हथेली चूम ली, उसके होठों से सिसकारी निकल गई। फिर हमने उसे बिस्तर पर बिठाया और उसकी साड़ी का पल्लू हटा कर उसके ब्लाऊज के ऊपर चुम्मा लिया। उसके बाद एक हाथ से उसके मम्मे दबाता हुए उसके होठो को अपने होठों से सहलाने लगा। कवलजीत के मुँह से ‘हाय मनु !’ निकला और वो मेरी बाहों में पिघल गई।

उसके बाद हमने इत्मिनान से उसका ब्लाऊज खोला, उसके संतरों को प्यार से आज़ाद किया और उसके निप्पल मसलते हुए उसके नितम्बों को नंगा किया। उसकी प्यारी सी चूत हमारे हाथों में आते ही रस से भर गई और मैं खुद को उसकी जांघों के बीच घुसने से नहीं रोक पाया। हमने बेझिझक खुद को पूरा नंगा किया और कवलजीत के सारे कपड़े उतारे। उसके बदन के हर हिस्से को चूमते हुए मैं उसके कटिप्रदेश में उतर गया। मेरी जुबान ने जैसे ही उसकी भगनासा को छुआ, वो पागल हो गई और अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को दबाने लगी। हमने उसको और मस्ताने के लिए अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी।

“हाय मनु जी… स्स्स्स… हाय अब करो न… प्लीज़… हाय मनु… अब आ जाओ न ऊपर… !! हाय लंड दे दो… मनु… मैं तो मर गई !!”

मैं भी अब गरमा चुका था… हमने अपना लंड उसको दिया उसने अधखुली आँखों से हमारे लंड को निहारा और शर्म-हया भूलकर उसके मुहँ से अपना मुँह मिला दिया, उसके होंठ हमारे लंड के छेद को रगड़ रहे थे। हमारे लंड का टोपा पूरी तरह गुलाबी होकर फूलने लगा, हमारे मुँह से निकला- हाय मादरचोद ! कहाँ से सीखा ये जादू?

हमारे मुँह से गाली सुन कर मेरी गोलियों को मुट्ठी में भर कर बोली- अरे जानू ! तुम्हारा हथियार देख कर रहा नहीं गया और खुद ही कर डाला हमने ! अब तो मेरी मारो न… !?!

कवलजीत के स्वर में एक नशीली बात थी कि मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके होठों को अपने होठों से मसलने लगा। उसने हमारे लंड को खुद ही अपने छेद में सेट किया और हमारे हल्के धक्के से ही मेरा पूरा लंड कवलजीत की चूत में फिसल गया। हाय क्या मजा था !

हमने पूछा- रानी शादी तो तुमने की नहीं? फिर यह मखमली चूत कैसे?

कवलजीत बोली- हाय राजा ! हमारे बड़े भाई के एक दोस्त ने मुझे भाई की शादी में शराब पिला कर मेरी रात भर ली, मैं तब से अब तक सेक्स के नशे में रहती हूँ ! मैं खुद चाहती थी कि कोई मुझे कस कर चोदे ! आह… जोर से पेलो न… हमारे भाई के दोस्त से हमने कभी बात नहीं की पर उस रात का नशा और मेरी चूत की सुरसुराहट हमेशा याद आती रही… म्मम्म… तुम्हारा लंड मेरी चूत… हाय… !!! और अन्दर आओ… स.स्स्स्स… हाय राजाजी… मेरी पूरी ले लो… मैं पूरी नंगी हूँ… तुम्हारे लिए… हाय… जब बोलोगे… सस…मैं तुमसे चुद जाऊँगी… हाय पेलो न… !!

मैं उसकी गर्म बातों से उत्तेजित हो रहा था… मेरी गोलियाँ चिपक रही थी… वीर्य निकलने को बेताब हो रहा था… हमने उसकी चूत से लंड निकाला और कवलजीत का पलट दिया और उसकी गांड को मसलते हुए अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया… अब तो वो भी धक्के मारने लगी…

“हाय… इस मजे का क्या कहूँ ! हाय कवलजीत रानी ! आज से मैं तेरा गुलाम हो गया रे… तेरी चूत का रस पिला दे… ”

“हाय… आह… सस… स्स्स्स…ले लो न मेरी आज… हाय… मैं गई…” कहकर कवलजीत हमारे लंड को अपनी चूत में दबाये हुए सामने की ओर लुढ़क गई और मैं भी उसके ऊपर लेटे हुए अपने लंड से निकल रही पिचकारियों को महसूस करता रहा। उसके चूत से झकड़.. झकड़.. झकड़.. झप.. झप... की आवाजें आ रही थी. 

पाँच मिनट के बाद कवलजीत ने मुझे बगल में लेटाया और मेरी बाहों में चिपक कर मुझे चूमने लगी… हम काफी देर तक चूमते रहे… फिर हम दोनों कपड़े पहने और अपने घर चले गए… कवलजीत मेरी काफी अच्छी दोस्त बन गई, हमने उसे सारे सुख दिए, उसने भी मुझे बहुत माना ! फिर उसकी शादी हो गई… शादी से पहले उसने मुझे कहा- …मनुजी, आपने मुझे बहुत सुख दिए हैं… पर शादी घर वालों की मर्जी से करना… फिर मैं तो आपके लंड का स्वाद चख चुकी, अब दूसरा खाऊँगी ! आप भी किसी कुंवारी मुनिया को चोद कर अपने लंड को नया मजा देना…

हमने उसके होंठ चूम कर उसे विदा कर दिया…

मुझे उसके बाद सिर्फ शादीशुदा औरतों में ही मज़ा आता है, जिनके पति उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाते उनकी मदद करने में मुझे सुख मिलता है। उसके गद्देदार चूतर अलग से दिखाई देते है.

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