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लिपिका ने चुदाई का इन्तजार किया

Posted on:- 2021-07-26


नमस्कार साथियो, मैं सुरेंद्र  26  साल का हूँ, मेरा कद 6.6 फिट है। मैं एक कारखाना में काम करता हूँ, इसलिए घर से दूर अकेला रहता हूँ। ऑफिस से घर, घर से ऑफिस बस यही साधारण सी ज़िंदगी जीता था, कभी किसी लड़की को घूर के देखना, लाइन मारना, फ्लर्ट करना, यह चीजें मैंने कभी सोची भी नहीं थी। यह घटना घटे हुए अभी सिर्फ 5 महीने हुए हैं, पहले पहल तो एक घटना ही थी, पर पता ही नहीं चला कि कैसे हमारी दिनचर्या में बदल गई। अच्छा चुदाई चाहे जितनी कर साला फिर भी लैंड नहीं मनता दोस्तों.

  मै एक नंबर का चुदकड़ लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है  मैं एक किराए के कमरे में रहता हूँ, ऊपर छत पर मेरा बाथरूम था। चूंकि यह कमरे से अलग है यानि जरूरत होने पर कमरे से बाहर आना पड़ता है। नीचे मेरे मकान-मालकिन रहते हैं, मेरा जो कमरा है उसके बाजू में मेरे मकान-मालकिन का कंप्यूटर क्लास चलता है। वो स्टूडेंट्स भी उसी बाथरूम का इस्तेमाल करते थे। हुआ यूँ, एक दिन मैं जब कमरे में था, सुबह के 8-9 के करीब मैं नींद से उठा और चूँकि मुझे लघुशंका लगी थी, तो मैं सीधे ही जाने के लिए बाहर आया। बाहर आकर मैं सीधे बिना सोचे गुसलखाने का दरवाजा धकेल कर अन्दर घुस गया, तो अन्दर से एक लड़की ज़ोर से चीखी। ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना   .


 चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए  दरअसल दरवाजे की कड़ी अन्दर से खराब हो गई थी इसलिए वो कड़ी नहीं लगा पाई। पर जब तक हम दोनों को कुछ समझ में आता, बहुत कुछ हो चुका था। वो तो अन्दर बैठ कर मूत रही थी, मुझे उसकी चूत के दर्शन हो चुके थे। गुलाबी सी गोरी-गोरी टांगों के बीच और चूंकि मुझे बहुत ही ज़ोर से पेशाब लगी थी सो मैंने भी दरवाज़े से अन्दर आते-आते अपना लंड पैन्ट से बाहर निकाल लिया था, जिसके दर्शन भी उसने कर लिए थे। उफ्फ… फिर क्या, वो सब जल्दी समेट कर वहाँ से भाग गई। अब सुनिए चुदाई की असली कहानी

यह थी हमारी पहली मुलाकात।.

उस दिन से जब भी हम एक-दूसरे के सामने आते, एक अजब सी फीलिंग आती। शरम, हँसी और लालसा एक साथ चेहरे पे सिमट आती थी। वो लड़की हमारे मकान-मालकिन के पहचान की थी इसलिए उसका उनके घर आना-जाना रहता था और बाद में पता चला कि वो उनके रिश्तेदारी में है और वहीं एक घर छोड़ कर पड़ोस में रहती है। मेरे मकान-मालकिन अक्सर मुंबई अपनी बेटी के यहाँ जाते रहते हैं। तब एक बार उन्होंने मेरी उस लड़की से पहचान करवाई। उसका नाम लिपिका था और उन्होंने मुझे बोला कि अगर उन्हें आने में देर होती है तो मकान का किराया लिपिका के पास जमा कर देना। वहा जबरजस्त माल भी थी दोस्तों.
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 ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा दोस्तों उन्होंने उनकी क्लास का ध्यान भी लिपिका को रखने के लिए बोला और अगर कुछ मदद की जरूरत लगे तो मुझे लिपिका की मदद करने को कहा। फिर महीने की 30 तारीख को वो मेरे कमरे पर किराया लेने के लिए आई, मैंने किराया दिया और बोला- सॉरी, उस दिन के लिए मेरा ध्यान नहीं रहा नहीं तो ऐसा नहीं होता। उसने मेरी बात को काटा और हँसते हुए बोली- कोई बात नहीं… इसमें आपकी क्या ग़लती है जो होना था वो हो गया। उह क्या मॉल था दोस्तों गजब.

दो दिन बाद वो फिर आई और बोली- इस महीने का बिजली का बिल तो आपने दिया ही नहीं।

मैंने बोला- मुझे ध्यान नहीं रहा, अभी देता हूँ।

 मेरा तो मन ही ख़राब हो जाता था दोस्तों  मैंने उसे थोड़ी देर बैठने के लिए कहा क्योंकि मुझे पैसे बैग से निकालने थे। वो बिस्तर पर बैठ गई। मेरे कमरे में बैठने के लिए सिर्फ़ बिस्तर ही था। मैं बिस्तर के नीचे से बैग निकालने लगा। शायद बैग का बेल्ट बिस्तर के पैरों में फंस गया था इसलिए मैंने ज़ोर से बैग खींच कर देखा बैग तो निकल आया, पर चूँकि लिपिका ठीक से बिस्तर पर बैठी नहीं थी, उस झटके से वो मेरे ऊपर आ गिरी। मैं उसे संभालने के लिए मुड़ा, तो मेरा चेहरा उसके वक्षस्थल पर था। उसको देखकर  किसी का मन बिगड़ जाये.

 उह भाई साहब की माल है उसकी चुत की बात ही कुछ और है  मुझे बहुत अजीब सा आनन्द आया। उसकी चुनरी भी सरक सी गई थी और उसकी छाती की गहराई ठीक से दिख रही थी। फिर मैंने उठने की कोशिश की, पर अचानक उसे क्या हुआ पता नहीं… वो एकदम से मुझे बांहों में कसने लगी और मेरे चेहरे का चुम्बन लेने लगी। मैंने खुद को .उससे दूर करने की कोशिश की पर वो तो मानने को तैयार ही नहीं थी। अभी मैं कुछ मैं सोच ही पाता कि वो मेरे शर्ट के चार बटन खोल चुकी थी। ओह्ह उसके यह का चुम्बन की तो बात अलग है.

 है उसके गांड मेरा मतलब तरबूज क्या गजब भाई  उसका इतना मादक बदन और उसकी तड़प देख कर मैं उसकी बाँहों में डूब गया। मैंने हल्के से उसकी चुनरी अलग की और उसको बिस्तर पर लिटाया, उसके पेट और नाभि को चुम्बन किया वो कसमसा उठी। फिर मैं उसके ऊपर लेट गया, उसकी आँखों में देखा और फिर उसके मदमस्त होंठों का चुम्बन लिया। धीरे से बार-बार चुम्बन किया, फिर ज़ोर से लिया। उसका भोसड़ा का छेड़ गजब का था दोस्तों

 उसकी बूब्स  देखते ही उसको पिने की इच्छा हो गयी तभी उसका मुख खुला और हमारी जीभ एक-दूसरे से लिपट कर प्रेम करने लगीं, एक-दूसरे के होंठों को हम चूसने लगे। मानों यह लम्हा कभी फिर मिले ना मिले। पर अचानक मैं रुका और उसकी तरफ देख कर बोला- यह ग़लत है… तुम यह क्यों करना चाहती हो? दोस्तों मै सबसे पहले उसकी गांड मरना चाहता हु.

 उसको पेलने की इच्छा दिनों से है दोस्तों उसने सिर्फ़ मेरी तरफ देखा और फिर मुझे चूमने लगी। थोड़ा और एक-दूसरे का मुख चुंबन करने के बाद वो बोली- तुम्हें क्या फ़र्क पड़ता हैं, क्या तुम्हें मस्त नहीं लग रहा? अच्छा चुदाई चाहे जितनी कर साला फिर भी लैंड नहीं मनता दोस्तों.

मैंने बोला- मेरा भी यह पहली बार है, मुझे तो सेक्सी ही लगेगा रंडी साली..!

यह सुनकर वो कुछ गुस्सा हुई। मैंने बोला- नाराज़ मत होना मुझे सेक्स के समय गाली देना अच्छा लगता है, मेरी रांड.. दोस्तों मेरा तो मानना है जब भी चुत मारनी हो बिना कंडोम के ही मारो तभी ठीक नहीं सब बेकार.

इस पर लिपिका बोली- कुत्ते, तुझे इसकी सजा तो ज़रूर मिलेगी। उसके बूर की गहराई में जाने के बाद क्या मजा आया दोस्तों  जैसे उसके चुत में माखन भरा हो.
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उसने अचानक से मेरा शर्ट अपने दोनों हाथों से फाड़ दी, उसके बटन भी टूट गए। फिर उसने बिस्तर पर लेटने को कहा और ज़ोर से मेरा बनियान भी फाड़ कर अलग कर दिया और फिर अचानक से अजीब सा मुस्कुरा कर उसने मेरी नाभि के आस-पास चाटना शुरू किया। उसने मेरी पैन्ट की चैन से जीभ सीधी फिराते हुए मेरे पेट, नाभि, सीने से होकर मेरे होंठों पर एक लंबा चुम्बन लिया, फिर से वो मुझे चाटने लगी। मुझे तो कभी कभी चुदाई का टाइफिड बुखार हो जाता है और जब तक चुदाई न करू    तब तक ठीक नहीं होता.

 एक बात और दोस्तों चुत को चोदते समय साला पता नहीं क्यों नशा सा हो जाता बस चुदाई ही दिखती है इस बार कमर से होकर मेरी थोड़ी सी पैन्ट और चड्डी सरका कर मेरे कूल्हों को चाटने लगी। फिर उसने मेरी तरफ देख कर एक कातिल सी मुस्कान फेंकी और अचानक से मेरे कूल्हे के बगल में ज़ोर से अपने दाँत से कट्टू कर लिया। मैं थोड़ा सा चिल्लाया, वो बोली- यह थी तेरी सज़ा भड़वे और तू जानना चाहता है ना… कि मैं यह क्यूँ करना चाहती हूँ.. क्योंकि मैंने तय कर लिया था कि जो लड़का सबसे पहले मेरी चूत देखेगा उसी के साथ मैं यह सब करूँगी। चूत में ऊँगली डाल-डाल कर मैं बोर हो गई थी, इसलिए रोज़ जानबूझ कर मूतने ऊपर ही आती थी, कितने किराएदार आए और गए, पर क़िसी को मौका नहीं मिलता। उह यह उसकी नशीली आँखे में एक दम  चुदकड़ अंदाज है.

फिर मैंने जानबूझ कर गुसलखाने की कड़ी ही तोड़ दी, पर उसके बाद भी इंतज़ार करना पड़ा तुम्हारा.. मेरे हरामी। दोस्तों देखने से लगता है की वो पका चोदा पेली का काम करती होगी .

यह कह कर उसने मेरी पैन्ट पूरी उतार दी, अब मैं उसके सामने सिर्फ़ चड्डी में पड़ा था। दोस्तों चुत को चाटेने के  समय उसके बूर के बाल मुँह में आ रहे थे.

 दोस्तों मुझे तो कभी कभी चुत के दर्शन मात्र से खूब मजा आता क्योकि मई पहले बहुत बार अपने मौसी के लड़की  को बिना पैंटी के देखा था  वाह क्या मजा आया था  लंड उठने के कारण चड्डी के अन्दर तंबू बन गया था और जो उसने मुझे कूल्हे पर काटा था, उसका दर्द अभी भी हो रहा था। कुतिया साली… वो उस तंबू को देख कर उसे चड्डी के ऊपर से चाटने लगी, इतना चाटा कि चड्डी उसके मुख-रस से गीली हो गई। वो मेरे बदन को चूसते-चाटते हुए मुझे पूरा मज़ा दे रही थी। हमने फिर से एक-दूसरे की तरफ देखा और फिर से एक गहरा चुम्बन लिया। अब बिना चुदाई के रह नहीं सकता था दोस्तों मै पागल सा हो गया.

 मैंने सोचा पेलुँगा जरूर  कभी न कभी  इसी के साथ मैं उसे नीचे करके उस पर चढ़ गया, उसका बदन कुत्ते की तरह चाटने लगा। मैंने उसका कुर्ता ऊपर किया और उसकी नाभि को खूब चूमा। साथ ही अपने हाथों को उसके दोनों वक्षों पर रख करके उन्हें मसलता रहा। फिर मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए, पहले उसका कुर्ता उतारा, फिर उसकी ब्रा को खोल कर फेंक दिया, फिर उसके कूल्हों को ऊपर करते हुए उसकी सलवार नीचे खींची। उसकी पैन्टी पूरी गीली हो गई थी। ओह ओह ओह है कब लंड को घुसा दू ऐसा लग रहा था दोस्तों.

मैंने बोला- मूत देगी क्या यहीं पर साली..!

वो बोली- हाँ.. और तू पिएगा और नहाएगा साले…!

मैंने उसे जोर से चूमा और बोला- जैसी तेरी मर्ज़ी।

मैं उसकी पैन्टी नीचे करके उसकी चूत निहारने लगा।

 जब माल अच्छा हो तो कौन नहीं  चोदना चाहेगा  है न दोस्तों  क्या चूत थी लाल, मस्त और रसभरी..! उस पर तो कोई भी मर जाए। मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत चाटने के काम पर लगा दिया। ‘आहा.. नर्म-गर्म थी।’.

 चोदने के बाद थोड़ा रिलेक्स हुआ भाइयो क्या गजब मजा आया उस पर अपनी जीभ घुमाने लगा, अन्दर-बाहर करने लगा, वो ‘आउहह’ करने लगी थी। फिर मैं उसके कूल्हों को चाटने लगा, मस्त थे रसगुल्ले की तरह। उसकी टाँगों का स्वाद भी उठाने लगा, ख़ास करके उसके कूल्हे और चूत के बीच के हिस्से को मैंने अपनी जीभ से गीला कर दिया। फिर मैं उसकी पीठ को चाटने और चूमने लगा। सेक्स करते समय बहुत मजा आया था दोस्तों.

 उसके ओठ रसीले थे दोस्तों मॉल गजब था दोस्तों  चूमते-चूमते ही उसे सीधा करके उसकी छाती में अपना मुख लगा कर उसे सुशोभित करने वाले उसके दो उठे हुए पहाड़ों को और उन पर सजे हुए मुकुटों को चूसने लगा। वो मेरे सर को .अपने हाथ से दबाने लगी ताकि दबाव बढ़े। क्या पल था… उसके सुंदर और गोरे-गोरे मम्मों को मैं हाथों और होंठों से मसल रहा था।.

हम एक-दूसरे में खो गए थे, एक-दूसरे की बांहों में लिपट कर एक-दूसरे का मज़ा ले रहे थे। हम इतने खो गए थे कि पता ही नहीं चला कब मेरी चड्डी उतर गई थी और हम पूरे नंगे एक-दूसरे के गुप्तांगों का स्वाद लेने लग गए थे। फिर हम 69 जैसी अवस्था में चले गए और वो मेरा लंड चूसने लगी। उसके बूब्स क्या मस्त थे दोस्तों अब मै क्या कहु दोस्तों मेरा मन चुदाई का था दोस्तों..

 मैंने तय किया की चोद कर ही दम लूंगा  आह.. क्या चूस रही थी वो.. बिल्कुल किसी रंडी की तरह..! मेरा मुख उसकी रसीली चूत को चाट रहा था, मानो किसी शराब के मटके से अपनी प्यास बुझा रहा होऊँ। इस बीच मैंने उससे पूछा- आज तूने अपनी गाण्ड ठीक से धोई थी ना..? मुझे तो बस चुदाई की धुन सवार थी दोस्तों.

वो बोली- हाँ बे.. चोदू साले.. क्यूँ पूछ रहा है? खूब साबुन लगा-लगा कर धोई थी।.

 मुझे बूर की मादक खुसबू आ रही थी जो मुझे पागल कर रहे थे  यह सुनते ही अगले पल में उसकी गाण्ड का स्वाद ले रहा था। उसकी गाण्ड की गुफा को अपनी जीभ से चाट रहा था। दिन रात बस चुदाई ही चुदाई ख्याल दोस्तों और कुछ नहीं.


वो बोली- लगता नहीं कि यह तेरा पहली बार है..!.

 फर्स्ट टाइम चुदाई में सील टूटती है तो थोड़ा तो दर्द होगा ही  फिर वो पल आया, जिसके लिए हमने इतनी मेहनत की थी। अब तक मैं उसकी चूत में अपना लंड डाल कर उसे औरत बनाने वाला था। वो मेरी तरफ देख शरमाई, मैं अपना लौड़ा उसकी चूत पर घुमा रहा था। इतने में उसने मुझे उसके पास पड़ा हुआ मोबाइल दे कर कहा। पहले मेरी कुँवारी चूत की आखरी फोटो तो खींच लो, बाद मैं तो यह दिखने वाली नहीं। मैंने उसकी चूत के होंठ अलग करके .उसकी चूत के सील पैक गुलाबीपन का फोटो खींचा और उसे दिखाया। लंड घुसाने में लग रहा था बस चुत फैट ही जाएगी दोस्तों .

 लड़कियों की चुत मरने का मजा ही कुछ और है  दोस्तों  वो हँस पड़ी, फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत में घुसेड़ना चालू कर दिया, थोड़ा धक्का दिया, पर वो फिसल कर बाहर आ गया। फिर से अन्दर डाला ज़ोर का धक्का दिया, वो चिल्ला उठी, उसकी आँखों से आँसू निकल आए, हमारा संगम हो गया था। मैं धीरे-धीरे धक्के दे रहा था। उसको चूम रहा था, मसल रहा था। हम पसीना-पसीना हो गए थे, पर आग अभी बुझी नहीं थी। मेरा लंड चुत में घुसने को तैयार था दोस्तों..

फिर मैंने उसे अपने ऊपर बिठाया और लंड उसकी चूत में डाल कर चोदने लगा। वो मज़े लेने लगी, उसकी चूत काफ़ी कसी हुई थी इसलिए मुझे मज़ा आ रहा था। खाली कमरे में दो जिस्मों के पहले संगम की आवाजें गूँज रही थीं। हमारा पलंग तो ऐसा हिल रहा था, मानो अभी टूट जाएगा। अब वो समय आ गया जब मुझे उसकी चुदाई करनी थी.

उसने बोला- मेरा पानी छूटने वाला है।.

मैंने उसे कहा- थोड़ा रूको, मेरा लंड भी छूटने वाला है।.

 अब वो समय आ गया जब मुझे उसकी चुदाई करनी थी  फिर मैंने उसकी चूत में 5-6 जम कर झटके लगाए, वो चिल्ला उठी, मैंने कहा- छोड़ो अपना पानी..! उसी समय मेरे भी लंड से वीर्य निकल पड़ा, उसकी चूत भर कर बहने लगी, वो निढाल होकर मेरी छाती पर गिर गई और मुझसे लिपट गई। मैंने उसे कस कर चूमा, फिर हम दोनों एक-दूसरे के पास लेट गए। वो गुसलखाने में जाने के लिए उठी, तो मैंने कहा- भूल गई क्या? दोस्तों वो बुल्कुल मादक शराब जैसी लग रहे थी मन कर रहा अभी पी  लू.

वो बोली- क्या?

मैंने बोला- तू तो मुझे मूत पिला कर नहलाने वाली थी ना.. अब शर्मा मत यहीं पर मूत दे.. मैं भी तुझे अपना मूत देता हूँ।

फिर एक बार फिर 69 में जाकर एक-दूसरे पर मूतने लगे। हम दोनों पूरी तरह भीग गए, हमारे मुख मूत्र से भर गए थे।

  उसकी बूर मदमस्त हो गयी दोस्तों उह उह उह उह  फिर हमने उसी मूत भरे मुख से एक-दूसरे का चुंबन लिया। एक-दूजे के मूत का स्वाद लिया। यह पढ़ने में तो काफ़ी गंदा लगता है, पर उस पल यह सब करने का जो मज़ा है, वो तभी समझ में आता है। जो भी हो हम दोनों को बड़ा मज़ा आया। मैंने उसकी तरफ देखा, तो वो हँसने लगी और फिर उसने मेरा एक प्यारा सा मुख चुम्बन लिया।.

हम दोनों शाम होने तक ऐसे ही नग्न अवस्था में एक-दूसरे के पास पड़े रहे।

 उसकी चूची क्या कड़क थी दोस्तों  वो जो कुँवारी चूत और लंड के फोटो खींचे थे, उन्हें हम दोनों देख कर मुस्कुरा रहे थे। दोस्तों वो बुल्कुल मादक शराब जैसी लग रहे थी मन कर रहा अभी पी  लू.


उसके आगे भी हम दोनों ने कई बार संभोग किया, हर समागम में एक नई चाहत, नई हवस और नई कहानी थी। दोस्तों मैंने ऐसी तरह न जाने कितने औरतो और लड़कियों बूर में चोदा पेली किया है कितनो चुत का भोसड़ा तक बना दिया और न जाने कितनो का तो सील तोड़ कर खून निकाल दिया और न जाने कितनी को तो कुवारी में ही माँ बना दिया  और मैं चोदा पेली करने के लिए कही भी और किसी भी हद तक जा सकता हु और तो और मैंने अपने गांव के किसी भी औरत और छोड़ा नहीं है जो नहीं मानती थी उनके साथ जबरजस्ती चोदा पेली किया हु  सोचिये मैं ऐसा हरामी चोदूबीर आदमी हु दोस्तों.


आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर बतायें।

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