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दोस्त की बहन प्रिया की चुदाई

Posted on:- 2024-09-27


चोदा पेली की कहानी म आप सब का हार्दिक अभिनंदन करता हु, मेरा नाम  राकेश  है और मेरे परिवार में हम तीन लोग है (में, मेरे पापा और माँ) में 23 साल का हूँ और फिलहाल बी.ए IInd ईयर में हूँ और में दिखने में ठीक-ठाक हूँ. मेरे एक खास दोस्त है जिसके घर मेरा काफ़ी आना जाना रहता है. उस दोस्त की दूसरे शहर में नौकरी लग गई है, तो अब वो बाहर ही रहता है. उस दोस्त की एक छोटी बहन प्रिया भी है, जो वैसे तो मुझे भैया ही कहती है, लेकिन उसकी ख़राब नियत हमेशा ही मुझ पर लगी रहती है. वो मेरे कॉलेज में ही पढ़ती है, वो अक्सर मुझे दूसरी लड़कीयों के साथ देखकर मुझसे नाराज़ हो जाती थी और कहती थी कि वो लड़की ठीक नहीं है, ये लड़की ऐसी है, वो लड़की वैसी है, मुझे उसका बर्ताव कई बार ठीक नहीं लगता था. मै एक नंबर का चुदकड़ लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है.


 

 वहा का माहौल बहुत अच्छा था  दोस्तों मैंने एक बार उससे साफ साफ कह दिया कि में इन लड़कीयों से दोस्ती कोई शादी करने के लिए थोड़ी ना करता हूँ, में तो बस मस्ती करना चाहता हूँ इसलिए काफ़ी लड़कीयों से दोस्ती कर लेता हूँ कि किसी ना किसी के साथ तो सेक्स करने का मौका मिल ही जायेगा. तो उसने नीचे निगाहें करते हुए कहा कि क्या आप सिर्फ़ सेक्स ही करना चाहते है, तो मैंने कहा कि हाँ. अभी हमारी उम्र शादी की जिम्मेदारीयों को लेने की नहीं है, लेकिन शरीर की ज़रूरत को भी तो पूरा करने का मन होता है. वहा जबरजस्त माल भी थी दोस्तों  ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा दोस्तों.

 

 उह क्या मॉल था दोस्तों गजब  मेरा तो मन ही ख़राब हो जाता था दोस्तों उसने कहा कि तो उन लड़कीयों में ऐसा क्या है जो मुझमें नहीं है, में सुनकर हैरान हो गया कि ये तो पागल हो रही है. मैंने कहा कि तुम मेरे दोस्त की बहन हो, में तुम्हारे साथ ये सब नहीं करना चाहता तो उसने कहा कि मुझे भी अपनी ज़रूरत को पूरा करने के लिए किसी ना किसी से दोस्ती तो करनी ही पड़ेगी और ना जाने कहीं वो मुझे बदनाम ना कर दे या बाद में मेरे भविष्य के साथ खिलवाड़ ना करे, इसलिए में आपकी प्रिया बनकर आपकी और अपनी सेक्स की ज़रूरत को पूरा करना चाहती हूँ और में जानती हूँ कि आप मेरा बुरा कभी नहीं चाहोगे और आप मेरा पूरा ख्याल भी रखोगे. कुछ भी  हो माल एक जबरजस्त था.

उसको देखकर  किसी का मन बिगड़ जाये

 

 उह भाई साहब की माल है उसकी चुत की बात ही कुछ और है उस दिन के बाद से हम कॉलेज में बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड की तरह रहने लगे और जब भी मौका मिलता तो हम उसका पूरा फ़ायदा उठाने की कोशिश करते थे. फिर 2 घंटे के बाद अक्सर कई क्लास रूम खाली हो जाते है जिसमें में अपनी प्रिया को ले जाता हूँ और फ्रेंच किस करते हुए बूब्स दबा दबा कर मज़े करता हूँ, कई बार तो उसकी पेंटी में भी हाथ घुसकर बूर में ऊगली डालकर का मज़ा लेता रहता हूँ. 

 

 ओह्ह उसके यह का चुम्बन की तो बात अलग है उस समय उसकी चूत पूरी गीली हो जाती है और मेरा लंड तो उसमें घुसने को तड़प जाता है, लेकिन मजबूरी है कि वहां में उसको चोद नहीं पाता हूँ और उसके घर जाकर उसको चोदना भी मुमकिन नहीं होता है और कॉलेज के आस-पास होटल या कही और जाने में भी ख़तरा होने के कारण बस तड़प तड़प कर ऊपर की ही मस्ती से काम चलाना पड़ रहा था. अच्छा चुदाई चाहे जितनी कर साला फिर भी लैंड नहीं मनता दोस्तों.

 

 दोस्तों मेरा तो मानना है जब भी चुत मारनी हो बिना कंडोम के ही मारो तभी ठीक नहीं सब बेकार फिर एक दिन कॉलेज में मैंने उसे मिलने बुला लिया, वहां पहुँच कर पता चला कि उस दिन किसी बात की छुट्टी थी जो मुझे पता नहीं था तो मौके का फायदा उठाते हुए उसे में कॉलेज के पीछे ले गया और उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया, वो भी पूरा मेरा सहयोग कर रही थी. फिर मैंने उसकी कमीज़ को ऊपर करके उसकी ब्रा के हुक खोलकर उसके बूब्स को पहली बार मुँह में भरकर चूसना शुरू किया. उसके बूब्स इतने मुलायम थे और चूसते हुए उसके निप्पल खड़े हुए थे और सच में एक हाथ से उसके बूब्स दबाने में और एक बूब्स को चूसने में जो मज़ा आ रहा था वो बताना बहुत मुश्किल है. उसके बूर की गहराई में जाने के बाद क्या मजा आया दोस्तों  जैसे उसके चुत में माखन भरा हो.


 

 उसको देखने बाद साला चुदाई भूत सवार हो जाता दोस्तों इस बीच उसका हाथ मेरे सिर से होता हुआ मेरे लंड पर आ चुका था, जिससे मुझे लंड को पेंट के अंदर रख पाना मुश्किल हो रहा था, क्योंकि लंड कुछ ज़्यादा ही टाईट हो गया था. फिर मैंने चैन खोलकर उसके हाथ में अपना लंड दे दिया, जिसे वो कुछ देर तो अपने हाथ से रगड़ती रही फिर नीचे घुटनों के बल बैठकर मेरे लंड को अपने मुँह में भरकर चूसने लगी. मैंने सिर्फ लंड चुसवाने के बारे में सुना था, लेकिन सच में इसका मज़ा जन्नत से बढ़ कर था, मेरे लिए सहन करना मुश्किल हो रहा था तो मैंने उससे चोदा पेलीकी बात कही, लेकिन वो दिन में इस खुली जगह में चोदा पेली का रिस्क लेना नहीं चाहती थी. 

 

फिर उसने मेरे लंड को चूस चूस कर ही सारा पानी निकाल दिया, ये एहसास मेरे लिए अद्भुत था, फिर भी उसको नहीं चोद पाने का थोड़ा मलाल रह गया. फिर 2 दिन हमारे ऐसे ही घर में रहकर बीत गये, क्योंकि कॉलेज की 15 दिनों की छुट्टीयां लग गई थी. हमसे सहन करना मुश्किल हो रहा था तो मैंने उसे उसकी एक सहेली के घर जाने को कहा, क्योंकि उसकी सहेली के घर में दिन में मम्मी पापा नहीं रहते है, क्योंकि वो जॉब करते है तो मैंने वहीं उसको मिलने का प्लान बनाया और उसकी सहली को भी बता दिया था कि हम आयेगें. तो उसने हँसते हुए अपना टेक्स माँगा, वो खुद भी चुदना चाहती थी तो मैंने उससे कह दिया कि पहले सर्विस तो लेने दो, बाद में टेक्स भी मिल जायेगा.

 

फिर दोपहर के 1 बजे के लगभग में उसके घर गया और उसकी सहेली को आँख मारते हुए बेडरूम में चलने को कहा, अब हम तीनों ही बेडरूम में थे. वहां हम तीनों ही एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे. फिर मैंने उसकी सहेली को इशारा करके थोड़ी देर के लिए बाहर जाने को कहा और उसके जाने के बाद में प्रिया को लेकर बिस्तर पर गया और उसके कपड़े उतारने लगा. उसने शर्माते हुए कहा कि थोड़ा तो सब्र करो और पहले दरवाजा लॉक कर दो.

 

फिर में जल्दी से दरवाजा लॉक करके उसके बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए चूसने लगा. उसके मुँह से काफ़ी तेज सिसकारी निकल रही थी. लेकिन मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ता था. में उसे जल्दी से जल्दी चोदना चाहता था. मैंने जल्द ही उसके सारे कपड़े उतार दिए, आज में पहली बार उसे पूरी नंगी देख रहा था. उसने भी मस्ती को बढ़ाने के लिए अपनी चूत को पूरा साफ किया हुआ था. में चूत चाटने और चूसने के बारे में पहले से ही जानता था तो झुककर उसकी चूत को चूसने लगा और अपनी जीभ को उसकी चूत में घुसाने लगा..

 

उसके मुँह से सिसकारी तेज तेज होती जा रही थी और उसका शरीर कांप सा रहा था. वो बहुत छटपटा रही थी और अपने हाथ से मेरे सिर को और अपनी चूत में दबा रही थी. मेरा लंड अब मुझे धक्के देने की मुद्रा में पूरा लाल मुँह करके खड़ा था, तो मैंने जल्दी से अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर लगाया और घुसाने लगा, लेकिन वो घुस ही नहीं रहा था. उसकी चूत का मुँह काफ़ी छोटा दिख रहा था मुझे मालूम था कि इस छेद में ये लंड घुसेगा, लेकिन छेद का आकार और लंड की मोटाई का कोई मुकाबला ही नहीं था, वो भी पागल सी होती हुई मुझे लंड को घुसाने को कह रही थी और फिर मैंने भी उसकी चूत के छेद पर लंड को एक हाथ से टिकाये रखा और उसके शरीर पर झुकते हुए दूसरे हाथ से उसकी एक चूची को दबाने लगा और अपने होंठो से उसके होंठो को चूमते हुए लंड के दबाव को बड़ाने लगा, वो बुरी तरह से छटपटाने लगी और अपने हाथों से मुझे ऊपर धकलने लगी, लेकिन अब मुझे रोक पाना उसके लिए मुश्किल था.

 

में उसी तरह उसके होंठो को अपने होंठो में दबाये हुए था और जब लंड थोड़ा अन्दर घुस गया तो एक ऐसा जोरदार धक्का मारा कि एक ही पल में उसके हाथों के नाख़ून मेरी पीठ में घुस गये और वो बुरी तरह से मुझे धकलते हुए छटपटाने लगी. लेकिन अब मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ उसकी चूत में पूरी तरह से घुस चुका था मुझे भी दर्द हो रहा था, लेकिन पहली बार  चोदा पेली  के सुख के आगे ये दर्द कुछ भी नहीं था.

 

 मुझे तो कभी कभी चुदाई का टाइफिड बुखार हो जाता है और जब तक चुदाई न करू    तब तक ठीक नहीं होता में थोड़ी देर तक उसे किस करते हुए दोनों हाथों से उसके बूब्स को सहलाता रहा और जब उसकी हालत थोड़ी ठीक लगी तो में फिर से उसकी चूत की चुदाई में लग गया. अब मैंने उसके होंठो को आज़ाद कर दिया था, तो हर शॉट में उसके मुँह से, आहहह्ह्ह्ह सस्स्स्स्स्सस्स उउउहह की आवाजें आ रही थी, जिससे मेरा जोश और बड़ता जा रहा था और में चुदाई की स्पीड धीरे धीरे तेज कर रहा था. उसकी चूत से काफ़ी पानी भी निकल रहा था तो अब कमरे में फक फक की आवाज़ आ रही थी. एक बात और दोस्तों चुत को चोदते समय साला पता नहीं क्यों नशा सा हो जाता बस चुदाई ही दिखती है.

 उह यह उसकी नशीली आँखे में एक दम  चुदकड़ अंदाज है मैंने जब उसकी चूत की तरफ देखा तो यकीन ही नहीं हुआ कि ये वही चूत है जो थोड़ी देर पहले कितनी छोटी थी और अब ये इतने मोटे लंड से चौड़ी हो चुकी है. उसकी चूत की लगातार चुदाई करते हुए हम दोनों ही काफ़ी थकते जा रहा थे, फिर हमने अपनी पोज़िशन को चेंज किया और फिर से चुदाई जारी रखी. दोस्तों देखने से लगता है की वो पका चोदा पेली का काम करती होगी.
 

 दोस्तों चुत को चाटेने के  समय उसके बूर के बाल मुँह में आ रहे थे करीब 36 मिनिट के बाद दरवाजे के बाहर से उसकी सहेली की आवाज़ आई कि अब तो ख़त्म करो और खाना खा लो, ये सुन कर प्रिया मुस्कुराई और मुझे देखने लगी. लेकिन में रुकने के मूड में बिल्कुल नहीं था और चुदाई जारी रखी. उसके मुँह से हर शॉट पर सिसकारियों का सिलसिला जारी था. अब हम पूरे पसीने पसीने हो चुके थे. फिर मुझे लगा कि अब मेरा लंड अपना पानी निकालने को तैयार है तो मैंने उससे कहा तो उसने कहा की ये मेरी पहली चुदाई है तो में तुम्हारे वीर्य को तो अपनी चूत में ही लेना चाहूँगी. दोस्तों मुझे तो कभी कभी चुत के दर्शन मात्र से खूब मजा आता क्योकि मई पहले बहुत बार अपने मौसी के लड़की  को बिना पैंटी के देखा था  वाह क्या मजा आया था.
 

 मन कर रहा था कब इसे चोद लू मेरा लंड समझने  को तैयार नहीं था फिर कुछ शॉट और उसकी चूत में मारते हुए मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में ही भर दिया और में निढाल होकर उसके उपर ही पड़ा रह गया. हमारी साँसे अब भी तेज थी और हम पूरे पसीने से भीगे हुए थे और बाहर से दरवाजा बार बार खटखटाया जा रहा था. फिर में उठकर बाथरूम गया और लंड को साफ करके, टावल में बेडरूम से बाहर आकर उसकी सहेली से बातें करने लगा, प्रिया अब भी उठने की स्थिती में नहीं थी. अब बिना चुदाई के रह नहीं सकता था दोस्तों मै पागल सा हो गया.


 ओह ओह ओह है कब लंड को घुसा दू ऐसा लग रहा था दोस्तों फिर उसकी सहेली ने कहा कि अब जल्दी से ख़ाना खाकर इसे घर छोड़ कर वापस आओ और मेरा भी टेक्स दो तो मैंने उसकी चूचीयों को दबाते हुए कहा कि तुम तो रोज ही दिन में अकेली रहती हो, कल तुम्हारा ही नंबर रहेगा. तो उससे कल आने का वादा किया और फिर हम खाना खाकर अपने घर चले गये. मैंने सोचा पेलुँगा जरूर  कभी न कभी  माल चुदाई के लिए तड़प रही थी दोस्तों दोस्तों मैंने ऐसी तरह न जाने कितने लड़कियों बूर में चोदा पेली किया है कितनो चुत का भोसड़ा तक बना दिया और न जाने कितनो का तो सील तोड़ कर खून निकाल दिया.

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