मुख्य पृष्ठ » बीवी की चुदाई » पड़ोसन के साथ होली में बीवी की बदली


पड़ोसन के साथ होली में बीवी की बदली

Posted on:- 2024-04-19


नमस्कार मेरे मित्रगणों  और सुनाइए कैसे आप सब , मेरा नाम आदेश आसुतोष  है और मेरी उम्र 30 साल है और मेरी बीवी अनन्या   की उम्र 22 साल है मेरा एक बेटा है जिसकी उम्र 7 महीने की है. दोस्तों अनन्या   मेरी पत्नी बहुत ही अच्छे फिगर की है उसके फिगर का साईज 32-30-34 है और वो बहुत चुदकड़ मॉल  है और जो कोई भी उसे देखता है तो बस देखता ही रह जाता है क्योंकि वो दिखने में भी बहुत हॉट चुदकड़ मॉल  लगती है. मेरे मित्रगणों  क्या मॉल थी उसकी चुची पीकर मजा आ गया.


दोस्तों में एक मुल्टिनॅटिनल कम्पनी  कंपनी में नौकरी करता हूँ और हमारा फ्लेट तीसरी मंजिल पर है और मेरे फ्लेट के ठीक नीचे दूसरी मंजिल पर मेरी कंपनी में ही काम करने वाला अरसद आरसी  (उम्र करीब 30 साल) रहता है. दोस्तों वो दिखने में जितना अच्छा है उतना ही झगड़ालु भी है और उसका उसकी बीवी से आए दिन किसी ना किसी छोटी छोटी बातों पर झगड़ा होता रहता है, वैसे उनका एक लड़का भी है जिसकी उम्र एक साल है और हमारा रिश्ता एक दूसरे के साथ बहुत अच्छा है. किरन हमेशा अपने पति अरसद आरसी  से और पड़ोसियों से मेरे और अनन्या   के रिश्ते को लेकर बात करती रहती थी और कहती थी कि इन दोनों की जोड़ी कितनी अच्छी है जिसमें कभी भी लड़ाई झगड़ा नहीं होता और यह एक दूसरे का कितना ख्याल रखते है और वो यह बात भी कहती थी कि मेरी तो भगवान से यही प्रार्थना है कि अगले जन्म में मुझे भगवान आदेश आसुतोष  भाई साहब जैसा पति दे. मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला  लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है.


 मेरे प्यारे दोस्तो चुची पिने का मजा ही कुछ और है अब में आप सभी को अपनी असली कहानी के बारे में बताता हूँ यह घटना करीब एक साल पहीले की है और वो मार्च का महीना था और होली आने वाली थी. किरन अक्सर हमारे बेटे को खिलाने के लिए अपने घर पर ले जाया करती थी और में उसे वापस लेने के लिए कभी कभी उसके घर पर चला जाता था, लेकिन आज कल कुछ दिनों से मैंने किरन को गौर करके देखा था कि वो मेरी तरफ कुछ अलग नज़र से देखती है, वो मेरी तरफ मुस्कुराती, वो उसकी नज़रें बहुत देर तक मेरे ऊपर ही टिकाए रखती है और जब में उससे अपने बेटे को उसकी गोदी से लेता तो वो मेरे हाथ को अपने चूचिया  पर खुद जबरदस्ती छूने का प्रयास करती थी. मुझे उसका व्यहवार भी मेरे लिए बहुत बदला बदला सा लगने लगा था. ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना  लड खड़ा ही हो जायेगा .


 मेरे मित्रगणों  चुत छोड़ने के बाद सुस्ती सी आ जाती है     एक दिन मैंने भी मन ही मन सोच लिया कि चलो में भी देखता हूँ कि इसका इरादा क्या है? उस दिन जब मैंने अपने बेटे को उसकी गोदी से लेने के लिए जैसे ही अपना हाथ आगे की तरफ बढ़ाया तो मैंने भी जानबूझ कर अपने बेटे को अपनी तरफ नहीं लिया. में बस किरन का मेरे बेटे को छोड़ने का इंतजार करता रहा और मेरा हाथ कम से भी कम दस सेकेंड तक उसके 32 के चूचिया  को स्पर्श करता रहा, लेकिन उनके नहीं दिया, अब मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई थी और फिर मैंने अपना हाथ हटा लिया. अब में अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए उनसे बोला कि भाभी जी बेटा दो में घर ले जाता हूँ. तो इस पर किरन मुस्कुराते हुए शरारती अंदाज़ में मुझसे बोली कि हाँ ले लो आपको कौन मना कर रहा है? तो में अब समझ गया कि वो आज अलग मूड में है, मैंने फिर से अपना हाथ आगे बढ़ाया तब भी उसने बेटा नहीं दिया और दो कदम पीछे हो गई और फिर से चिड़ते हुए बोली कि ले लो अपना बेटा. क्या बताऊ मेरे मित्रगणों   उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये.


 मेरे मित्रगणों  मने बहुत सी भाभियाँ चोद राखी है में फिर से आगे की तरफ बढ़ा और मैंने उससे इस बार छीना झपट करने की कोशिश की और इस छीना झपट में मैंने जानबूझ कर उसके चूचिया  को बहुत बार छुआ, दबाया, सहलाया और उस दिन के बाद से आए दिन जब भी अरसद आरसी  घर पर नहीं होता था तो वो मेरे बेटे को मुझे ऐसे ही देती, मुझे भी अब इस काम में बहुत मज़ा आने लगा था और में समझ गया था कि वो अब मुझसे चुदना चाहती है. फिर एक दिन तो हद ही हो गई उसने मुझे मेरे होंठो पर किस कर दिया, लेकिन में भी यही चाह रहा था कि कुछ उसकी तरफ से ऐसा हो क्योंकि में खुद आगे होकर पहल नहीं करना चाहता था. फिर जैसे ही उसने मुझे किस किया तो मैंने उसको अपनी बाहों में ज़ोर से जकड़ लिया और फिर उसने मौका देखकर मेरे बेटे को पास ही पड़ी एक चारपाई पर लेटा दिया और फिर मुझसे चिपक गई. मेरे मित्रगणों  क्या मलाई वाला माल लग रहा था.    


 चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए तभी मैंने उससे कहा कि बाहर का दरवाजा खुला हुआ है और अगर कोई आ अंदर गया तो तुम उससे क्या कहोगी? अब वो तुरंत मुझे छोड़कर बाहर चली गई और फिर उसने दरवाजा बंद कर दिया और इस बार मैंने उसको बेड पर पटक दिया और उसकी साड़ी को खोल दिया, उसका गदराया हुआ बदन बहुत मस्त था. उसकी कमर बहुत पतली थी, लेकिन फिर भी उसके चूचिया  खड़े खड़े और 32 साइज़ के थे. अब मैंने उसका ब्लाउज उतार दिया और उसके एक एक चूचिया  को चूसता रहा. मेरे पास ज्यादा समय नहीं था और में उसके घर पर ज्यादा समय रुक भी नहीं सकता था. मैंने उसको बोला कि किरन अभी डर है कि कोई भी यहाँ पर आ सकता है और अनन्या   भी सोचेगी कि में इतनी देर यहाँ पर कैसे रुक गया, हम इसके आगे फिर कभी करेंगे और में जल्दी से वहाँ से अपने बेटे को लेकर बाहर निकल गया. साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और है.


 अब सुनिए चुदाई की असली कहानी फिर इसके बाद अगले दिन में अपने प्लान के मुताबिक अपने ऑफिस से जल्दी घर पर आ गया और सीधे किरन के घर में चला गया और मैंने उसको पहले से ही बता दिया था कि में ऑफिस से सीधे तुम्हारे पास आ जाऊंगा. मेरे मित्रगणों  एक बार चोदते  चोदते  मेरा लंड घिस गया.


 वहा का माहौल बहुत अच्छा था  मेरे मित्रगणों   फिर बेडरूम के अंदर पहुँचते ही वो बेड पर लेट गई और मैंने भी तुरंत अपने सारे कपड़े उतार दिया और साथ में उसके भी कपड़े उतार दिए. अब हम दोनों के बदन पर अब कोई कपड़ा नहीं था और उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपने मुहं में लेकर बुरी तरह से चूसने लगी जैसे कि वो कब से इसकी बहुत प्यासी है और थोड़ी देर बाद मैंने उसको बिस्तर पर पटक दिया और उसके चूचिया  पर टूट पड़ा और जब उनसे मेरा दिल भर गया तो फिर मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया वो अब बहुत गरम हो चुकी थी और इसके बाद वो मुझसे बोली कि आदेश आसुतोष  अब आ जाओ थोड़ा जल्दी करो और अब में उसके ऊपर चढ़ गया और मैंने अपना 7.5 इंच लंबा लंड उसकी चूत में डाल दिया, उसने मुझे बुरी तरह से चूमना चाटना शुरू कर दिया और फिर मुझसे बोली कि आदेश आसुतोष  तुम बहुत अच्छे हो और में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ और में हमेशा से चाहती थी कि मुझे तुम्हारे जैसा पति मिलता, लेकिन अब कोई बात नहीं मैंने आज तुम्हारा प्यार तो पा ही लिया है और उसने मुझे फिर से जकड़ लिया वो नीचे से उछल उछलकर ज़ोर लगा रही थी जिसकी वजह से में बहुत गरम हो गया था और थोड़ी देर बाद मैंने अपनी धक्कों की स्पीड को बढ़ा दिया था और अपना सारा वीर्य उसकी चूत के अंदर डाल दिया और अब हम दोनों करीब 10-15 मिनट ऐसे ही एक दूसरे को सहलाते रहे. मेरे मित्रगणों  उस लड़की मैंने चुत का खून निकल दिया.


 वहा जबरजस्त माल भी थी मेरे मित्रगणों   यह सब काम ऐसे ही लगातार दो तीन दिन तक चलता रहा और यह शायद पांचवे दिन की बात होगी, में उस दिन किरन की चुदाई करने के बाद उसके जिस्म को सहला रहा था और वो मुझसे बातें कर रही थी. तो बातों ही बातों में उसने मुझे बताया कि उसके पति अरसद आरसी  को सेक्स के अलावा और कुछ नहीं सूझता और सेक्स खत्म होने के बाद उसे मुझसे कुछ मतलब नहीं और वो मेरी कोई परवाह नहीं करता है और वो आए दिन मेरी पिटाई भी करता है, वो दूसरों की पत्नियों के बारे में ख़ासकर मेरी पत्नी अनन्या   के बारे में कुछ ना कुछ गलत बातें बोलता रहता है. मेरे मित्रगणों  चोदते चोदते चुत का भोसड़ा बन गया.


 ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा मेरे मित्रगणों    मैंने उससे पूछा कि वो क्या बोलता है? तो किरन बोली कि बस ऐसे ही तो मैंने उससे फिर से ज़ोर डालकर पूछा वो क्या बोलता है बताओ तो सही? फिर किरन बोली कि वो कहता है कि तुम्हारी पत्नी बहुत अच्छा माल है मुझे एक रात के लिए मिल जाए तो मुझे मज़ा ही आ जाए और वो आपकी बीवी अनन्या   के लिए तो अक्सर बोलता रहता है और वो मुझसे कहता है कि अगर इससे (अनन्या   से ) बदली हो जाए तो में तुझ जैसी को आज ही बदली कर लूँ. अब तुम ही बताओ कि में ऐसे पति के साथ कैसे गुज़ारा करूँ? मैंने बोला कि यार वो बहुत बेकार आदमी है कम से कम कोई भी अपनी बीवी के सामने ऐसा तो नहीं बोलता है और वैसे तुम में ऐसी क्या कमी है? में तो कहता हूँ कि अगर में शादीशुदा नहीं होता तो में अभी तुमसे शादी कर लेता और तुम्हे उससे तलाक़ दिला देता. मेरे मित्रगणों  एक बार मैंने अपने गांव के लड़की जबरजस्ती चोद दिया.


 उह क्या मॉल था मेरे मित्रगणों  गजब  फिर वो बोली कि क्या तुम सही में सच कहते हो? अब में बोला कि हाँ में बिल्कुल सच कह रहा हूँ और इतनी ही देर में अरसद आरसी  मेरे सामने आकर खड़ा हो गया. दोस्तों वो शायद इसी बात का इंतजार कर रहा था कि में कुछ बोलूं उसने अपनी दूसरी चाबी से दरवाजा खोला और अंदर आकर चुपके से हमारी सभी बातें सुन रहा था. अब वो मुझसे बिल्कुल अलग लहजे में आवाज बदलते हुए बोला तो आप इन मेडम से शादी करोगे कर लो और में तो इनको कब से छोड़ने के लिए तैयार हूँ, लेकिन मुझे भी तो कोई चाहिए में आपकी बीवी से काम चला लूँगा आप अपने पास हमेशा ले लिए इस चुदक्कड़ को रख लो और फिर अरसद आरसी  अपने कदम आगे की तरफ बढ़ाते हुए बोला कि में तुम्हारे घर पर जा रहा हूँ अनन्या   के पास ठीक है. मेरा तो मन ही ख़राब हो जाता था मेरे मित्रगणों.  

 क्या बताऊ मेरे मित्रगणों  मैंने चुदाई हर लिमिट पार कर दिया फिर में उससे बोला कि रूको, क्या तुम्हारा दिमाग़ तो ठीक है? इस बात पर अरसद आरसी  बोला कि हाँ मेरा दिमाग बिल्कुल ठीक है, तुम मेरी बीवी की चूत को चोदोगे तो में किसकी चूत को चोदूंगा. दोस्तों में अब बहुत डर गया था, क्योंकि में आज रंगे हाथों पकड़ा गया था और इस पर में उससे बोला कि तुम पहले मेरी बात सुनो अभी ऐसे कुछ नहीं होगा और में तुम्हें अनन्या   की चूत दिलवाने की पूरी पूरी कोशिश करूँगा, लेकिन मुझे उसके लिए थोड़ा सा समय दो. तो उसने बोला कि ठीक है, लेकिन कब तक का समय? कुछ भी  हो माल एक जबरजस्त था .


 उसको देखकर  किसी का मन बिगड़ जाये  मैंने उससे कहा कि मुझे करीब 10 -15 दिन चाहिए और फिर उसने बोला कि ठीक है. फिर कुछ दिनों के बाद मुझे मालूम हुआ कि मुझे जानबूझ कर अरसद आरसी  ने अपनी बीवी किरन से फंसवाया था. अरसद आरसी  ने अपनी बीवी से बोला था कि तू आदेश आसुतोष  को फँसा ले और उसके साथ मज़े कर, अगर तू मुझे इसकी बीवी की चूत दिलवा देगी तो में तुझसे अच्छा व्यहवार करूँगा, बस एक बार मुझे उसकी चूत दिलवा दे और किरन ने जानबूझ कर अरसद आरसी  की बातों में आकर मुझे फंसाया था. मेरे मित्रगणों  मैंने किसी भाभी को छोड़ा नहीं है.

 उह भाई साहब की माल है उसकी चुत की बात ही कुछ और हैअब कुछ दिनों के बाद होली आने वाली थी और होली के लिए ही मैंने एक प्लान बनाया था. किरन ने होली से एक दिन पहीले ही मेरी बीवी अनन्या   को कहा कि कल का दिन का खाना और रात का खाना किरन के घर पर होगा और होली वाले दिन अरसद आरसी  ने प्लान के मुताबिक घर पर एक बड़ा सा ड्रम रंग से भरकर बाथरूम में रखा हुआ था. फिर होली वाले दिन करीब 11 बजे में और अनन्या  , अरसद आरसी  के घर पर पहुँच गए. उन्होने हमें अपने कमरे में बैठाया और अरसद आरसी  एक रंग का डब्बा लेकर आया और बोला कि भाभी जी पहले कुछ नाश्ता हो जाए या फिर होली खेले? तो अनन्या   बोली कि देखो भाई साहब में तो होली बहुत ही कम खेलती हूँ, आप इनके ही यह पूरा रंग लगा दो. मेरे मित्रगणों  एक बार स्कूल में चुदाई कर दिया बड़ा मजा आया.


 मेरे मित्रगणों  चोदते  चोदते  कंडोम के चीथड़े मच गए फिर इस बात पर में जानबूझ कर तुरंत बोला कि अनन्या   तुम होली खेलो या ना खेलो, में तो इन दोनों के साथ आज होली ज़रूर खेलूँगा क्योंकि एक साल बाद होली का त्योहार आता है और फिर भी ना खेले तो क्या फ़ायदा? अरसद आरसी  में तो आज किरन भाभी के साथ बहुत होली खेलूँगा, अब यह तुम्हारी सरदर्दी है कि तुम अनन्या   को होली खेलने के लिए तैयार करो. अब अनन्या   मेरी तरफ आँख निकाल रही थी कि में अरसद आरसी  को क्यों भड़का रहा हूँ? तो अरसद आरसी  बोला कि अब तो मुझे आदेश आसुतोष  की तरफ से भी हाँ हो गई है और में तो भाभी जी आपके साथ आज होली ज़रूर खेलूँगा, अब आप यह बताओ कि हम होली अभी खेलें या कुछ खाने के बाद? दोस्तों अनन्या   को बहुत अच्छी तरह से पता था कि अरसद आरसी  बहुत जिद्दी किस्म का है और यह अब नहीं मानेगा. फिर अनन्या   बोली कि भाई साहब में तो वैसे कभी खेलती नहीं हूँ, लेकिन आप प्लीज़ थोड़ा ही रंग लगाना में यह बात सुनते ही बोला कि भाई पहले थोड़ा कुछ खा लो इतने में ही किरन भांग डली हुई लस्सी लेकर आ गई और फिर हम सबने एक एक ग्लास पिया, किरन ने अनन्या   को जो ग्लास दिया था उसमे भांग कुछ ज़्यादा डाली हुई थी, उसके बाद उसने आज जो भी आइटम खाने के लिए घर पर बनाए थे उनमे भांग डाली हुई थी. ओह्ह उसके यह का चुम्बन की तो बात अलग है.


 एक बार मैंने अपने मौसी की लड़की को जबरजस्ती चोद दिया अब में थोड़ी देर बाद बोला कि क्यों अरसद आरसी  अब होली खेलना शुरू हो जाए? तो वो बोला कि ठीक है हो जाए, इस पर किरन बोली कि यहाँ खेलकर क्या मेरा पूरा घर खराब करोगे, रंग बड़ी मुश्किल से साफ होता है तुम बाथरूम में चलो हम वहाँ पर खेलेंगे. तो इस बात पर अरसद आरसी  मुझसे बोला कि आदेश आसुतोष  पहले तुम किरन के साथ होली खेलो, उसके बाद में भाभी के साथ खेलूँगा. अब मैंने किरन की कलाई पकड़ी और उसको बाथरूम की तरफ़ ले गया, उनके रूम से बाथरूम साफ साफ दिखाई देता था मैंने जैसे ही बाथरूम का दरवाजा खोला तो उसमे एक बड़ा सा ड्रम रंग से भरा हुआ रखा था उसे देखते ही अनन्या   रूम से बोली कि अरे यह क्या इतना बड़ा रंग से भरा हुआ ड्रम? आप लोगों ने तो पहले से ही पूरी तैयारी कर रखी है में तो होली नहीं खेलूँगी. फिर विनोद बोला कि भाभी जी आज तो खेलना ही पड़ेगा या तो प्यार से नहीं तो ज़बरदस्ती और इतनी ही देर में मैंने किरन को उठाकर ड्रम में डाल दिया और खुद भी उसमे कूद गया में अब उसके चेहरे और गले पर रंग लगा रहा था और वो भी जानबूझ कर बहुत मज़े ले लेकर खेल कर रही थी ताकि अनन्या   भी यह देखे कि उसका पति मेरे साथ कैसे मज़े से होली खेल रहा है. फिर विनोद भी उसके साथ ऐसे ही होली खेलेगा और अब मैंने जानबूझ कर अनन्या   को दिखाने के लिए उसके चूचिया  के नीचे झुककर रंग लगाया और रंग लगाते लगाते मैंने किरन का कुर्ता आगे से पकड़कर फाड़ दिया था और अब उसका ब्रा वाला पूरा हिस्सा आगे से दिख रहा था और में उसके साथ करीब 20-25 मिनट तक ऐसे ही इधर उधर हाथ घुसाकर रंग लगाकर होली खेलता रहा और जब हम दोनों ड्रम से बाहर निकले तब तक अनन्या   को नशा होने लगा था और फिर हम दोनों ड्रम से बाहर निकलकर वहीं बाथरूम में ही बैठ गये ताकि बाहर के कमरों का फर्श खराब ना हो. है उसके गांड मेरा मतलब तरबूज क्या गजब भाई.


 मेरे मित्रो मामा की लड़की की चुदाई में बड़ा मजा आया फिर इसके बाद मैंने विनोद और अनन्या   को आवाज़ लगाई आ जाओ अब तुम दोनों, मेरी इस बात पर अनन्या   कमरे से ही बोली कि क्यों आदेश आसुतोष  तुमको मैंने इतनी बुरी तरह से होली खेलते कभी नहीं देखा? तो मैंने कहा कि तो आज देख लिया ना, प्लीज अब आ जाओ. दोस्तों उस समय अनन्या   थोड़ा गुस्से में थी क्योंकि उसको अच्छी तरह से पता था कि अब अरसद आरसी  भी उससे बुरी तरह से होली खेलेगा. मेरे मित्रगणों  कई बार जबरजस्ती शॉट मरने में चुत से खून निकल गया.


 उसका भोसड़ा का छेड़ गजब का था मेरे मित्रगणों   अब विनोद अनन्या   की कलाई पकड़ते हुए बोला कि चलो ना भाभी जी और फिर उसकी इस बात पर अनन्या   उससे कि बोली अरसद आरसी  भाईसाहब प्लीज आप बाहर ही मेरे चेहरे पर रंग लगा लो में इतना होली कभी नहीं खेलती, लेकिन उसने कुछ नहीं सुना और उसने अनन्या   को गोदी में उठाकर ड्रम में डाल दिया और खुद भी उसके अंदर कूद पड़ा. अब अनन्या   चुपचाप सीधी खड़ी हो गई और वो बड़े ही प्यार से अनन्या   के बदन पर रंग लगाने लगा फिर उसने बड़े ही प्यार से बोला कि भाभी जी आपके गाल तो बहुत ही गुलाबी है, में आज इनको और भी गुलाबी कर देता हूँ और उसने अनन्या   के गालों को सहलाते हुए रंग लगाया और वो साथ साथ अनन्या   की तारीफ़ भी कर रहा था और रंग भी लगा रहा था. उसकी बूब्स  देखते ही उसको पिने की इच्छा हो गयी.  

 उसको पेलने की इच्छा दिनों से है मेरे मित्रगणों  फिर कुछ देर बाद वो उसके गले पर रंग लगाकर और अब अरसद आरसी  अनन्या   का कुर्ता भी मेरी तरह फाड़ने लगा, लेकिन अनन्या   ने गुस्सा होने का नाटक किया, लेकिन फिर भी अरसद आरसी  ने आख़िरकार उसका कुर्ता फाड़ ही दिया और उसके बदन से पूरा अलग कर दिया. अनन्या   को अब नशा होने लगा था और अब में भी किरन को लेकर उस ड्रम में कूद गया, लेकिन उसमें जगह थोड़ी कम थी इसलिए हम एक दूसरे से बिल्कुल चिपक गये थे और अब मैंने अपनी बीवी को पकड़ा और उसकी ब्रा को कंधो से पूरा नीचे उतार दिया. अच्छा चुदाई चाहे जितनी कर साला फिर भी लैंड नहीं मनता मेरे मित्रगणों   . 


 मेरे मित्रगणों  मेरा तो मानना है जब भी चुत मारनी हो बिना कंडोम के ही मारो तभी ठीक नहीं सब बेकार अब अनन्या   मेरे ऊपर बहुत ज़ोर से चिल्लाई और फिर वो मुझसे बोली कि आदेश आसुतोष  प्लीज इन लोगों के सामने तो कम से कम कुछ शरम करो. फिर मैंने उससे मुस्कुराते हुए कहा कि किस बात की शर्म? आज होली है और इसमे कोई शर्म नहीं होती और फिर में उसके चूचिया  को रगड़ने लगा और इधर अरसद आरसी  ने भी किरन के साथ ठीक वैसा ही किया जैसा मैंने अनन्या   के साथ किया और अब अरसद आरसी  अनन्या   को बहुत बुरी तरह से घूरकर देख रहा था. फिर मैंने अपनी बीवी को और भी गरम करने के लिए उसकी चूत में हाथ डाल दिया, वो मेरा हाथ बाहर निकालने के लिए नीचे की तरफ झुककर अपना पूरा ज़ोर लगाकर बहुत प्रयास करने लगी, लेकिन मैंने उसकी चूत में से अपनी उंगली को बाहर नहीं निकाला और इधर किरन को अरसद आरसी  ने पकड़ा और किरन की सलवार पानी के अंदर ही उतार दी किरन अब सिर्फ़ पेंटी में थी. उसके बूर की गहराई में जाने के बाद क्या मजा आया मेरे मित्रगणों   जैसे उसके चुत में माखन भरा हो.


 उसको देखने बाद साला चुदाई भूत सवार हो जाता मेरे मित्रगणों  तभी अनन्या   को मेरे बेटे के रोने की आवाज़ सुनाई दी तो अनन्या   मुझसे बोली कि आदेश आसुतोष  बेटा रो रहा है प्लीज अब तो छोड़ो मुझे बहुत हो चुकी होली, अब बच्चों का भी कुछ ख्याल करो. फिर मैंने मन ही मन सोचा कि अभी तो मौसम बना है और बच्चा भी रोने लगा, तो में उससे बोला कि अभी तो हमारी होली शुरू हुई है तुम यहीं रुको में बच्चे को चुप करवाता हूँ. तो में ड्रम से बाहर निकला और मैंने अरसद आरसी  को बोला कि जब तक में ना आ जाऊँ तब तक तुम अनन्या   को देखना कहीं वो इस ड्रम से बाहर ना निकल जाए. मुझे तो कभी कभी चुदाई का टाइफिड बुखार हो जाता है और जब तक चुदाई न करू    तब तक ठीक नहीं होता.


 एक बात और मेरे मित्रगणों  चुत को चोदते समय साला पता नहीं क्यों नशा सा हो जाता बस चुदाई ही दिखती है फिर मैंने एक टावल में अपने बेटे को गोद में ले लिया और उसे सुलाने की कोशिश करने लगा और फिर मैंने बाथरूम की तरफ देखा कि अनन्या   वहां से भागने की फिराक में थी और में अरसद आरसी  को चिल्लाते हुए बोला कि देखो अरसद आरसी , अनन्या   बचकर भागना चाहती है और इतने में अरसद आरसी  ने अनन्या   को पीछे से अपनी बाहों में ज़ोर से जकड़ लिया. अब अनन्या   के दोनों चूचिया  अरसद आरसी  के हाथ में थे और उसका तनकर खड़ा हुआ लंड अनन्या   की गांड में था. वो ऐसे नाटक करते हुए मेरी तरफ आवाज़ लगते हुए बोला कि आदेश आसुतोष  जल्दी आओ भाभी जी भागना चाहती है. उह यह उसकी नशीली आँखे में एक दम  चुदकड़ अंदाज है.


 मेरे मित्रगणों  देखने से लगता है की वो पका चोदा पेली का काम करती होगी फिर में उससे बोला कि जब तक में ना आ जाऊँ तब तक तुम उसे छोड़ना नहीं और अब किरन अनन्या   को आगे से पकड़ने लगी और अरसद आरसी  अनन्या   के चूचिया  को हाथ से रगड़ने लगा और बोला कि क्यों भाभी जी बहुत जल्दी है भागने की अभी तो होली शुरू हुई है? अब मैंने कुछ देर बाद अपने बेटे के सोते ही उसे दोबारा से अरसद आरसी  के बेटे के पास ही सुला दिया और अब मैंने अरसद आरसी  से बोला कि अरे यार तुम्हारे पास और कोई रंग नहीं है क्या? इन लोगों को सिर्फ़ गुलाबी कलर से ही रंगना है क्या? मेरे मित्रगणों  चुत को चाटेने के  समय उसके बूर के बाल मुँह में आ रहे थे.

What did you think of this story??






अन्तर्वासना इमेल क्लब के सदस्य बनें


हर सप्ताह अपने मेल बॉक्स में मुफ्त में कहानी प्राप्त करें! निम्न बॉक्स में अपना इमेल आईडी लिखें, फिर ‘सदस्य बनें’ बटन पर क्लिक करें !


* आपके द्वारा दी गयी जानकारी गोपनीय रहेगी, किसी से कभी साझा नहीं की जायेगी।