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चचेरी बहन को बीवी बनाकर खूब चोदा

Posted on:- 2023-01-05


नमस्कार मेरे मित्रगणों  और सुनाइए कैसे आप सब , मेरा नाम संदीप  है और में 26 साल का हूँ. मेरी दूर की चचेरी बहन का नाम दिपिका  है, वो 19 साल की है और उसका फिगर तो ऐसा था कि पूछो मत, वो बहुत ही सुंदर है, एकदम गोरी, लम्बे-लम्बे काले बाल, हाईट करीब 5 फुट 4 इंच और फिगर 36-26-38 है, उसका फिगर बहुत मस्त है. मोटी गांड वाली लड़कियों की बात ही कुछ और है.


 मेरे मित्रगणों  क्या मॉल थी उसकी चुची पीकर मजा आ गया हम दोनों घर में एक ही रूम में रहकर पढ़ते थे, मैंने रूम में पढ़ने के लिए कुछ गंदी किताबें रखी हुई थी जो एक दिन दिपिका  के हाथ लग गयी इसलिए में अपने लंड और वो अपनी चूत की प्यास नहीं रोक सकी. फिर वो बोली में ही तुम्हारी वाईफ बन जाती हूँ और मुझे अपनी ही समझो और मेरे साथ सेक्स करो. फिर वो जींस-शर्ट में आई और बोली कि चलो शुरू हो जाओ. अब उसने मुझे किस करना शुरू कर दिया था, अब वो मेरे लिप्स को बुरी तरह से किस करने लगी थी. अब में भी जोश में आ गया था और उसको किस करने लगा था और उसको अपनी बाहों में दबाने लगा था. मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला  लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है.


 मेरे प्यारे दोस्तो चुची पिने का मजा ही कुछ और है फिर मैंने उसको खींचकर बेड पर लेटा दिया और में उसके ऊपर आ गया और उसको चूमना शुरू कर दिया और 10 मिनट तक उसको चूमता रहा. फिर मैंने उसकी शर्ट को खोल दिया और उसके बाद मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी. फिर जैसे ही मैंने उसकी ब्रा खोली, तो उसके बूब्स उछलकर बाहर आ गये, तो में उसे देखकर उसको दबाने लगा. ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना  लड खड़ा ही हो . 


 मेरे मित्रगणों  चुत छोड़ने के बाद सुस्ती सी आ जाती है     मुझे बहुत दिनों के बाद उसके पूरे के पूरे बूब्स दिखने को और दबाने को मिले थे. फिर मैंने उसकी निपल को अपने मुँह में रख दिया और चूसने लगा, अब वो आआआहाआहह कर रही थी, लेकिन में उसे चूसता ही रहा. फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसकी जींस खोलकर उसको पेंटी में ला दिया, उसकी चूत बहुत गर्म हो गयी थी, अब उसकी पेंटी गीली हो चुकी थी. फिर में उसकी पेंटी को निकालकर उसकी चूत को फैलाकर चाटने लगा. अब वो सिसकारी मार रही थी अहा, आआहसशहस्स्स, आहहहहहह, आअहह, आहहहह. क्या बताऊ मेरे मित्रगणों   उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये.


 साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और है अब वो मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर खींच रही थी और कसकर दबा रही थी. फिर दिपिका  ने अपनी कमर को ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जाँघो के बीच लेकर रगड़ने लगी. अब वो मेरी तरफ करवट लेकर लेट गयी थी, ताकि वो मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सके. मेरे मित्रगणों  एक बार चोदते  चोदते  मेरा लंड घिस गया.


 वहा का माहौल बहुत अच्छा था  मेरे मित्रगणों   अब उसकी चूची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और में उन्हें कस-कसकर दबा रहा था. फिर अचानक से उसने अपनी एक चूची मेरे मुँह में पेलते हुए कहा कि इनको अपने मुँह में लेकर चूसो. फिर मैंने उसकी लेफ्ट चूची को अपने मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा. मेरे मित्रगणों  उस लड़की मैंने चुत का खून निकल दिया.


 वहा जबरजस्त माल भी थी मेरे मित्रगणों   फिर थोड़ी देर के लिए मैंने उसकी चूची को अपने मुँह से बाहर निकाला और बोला कि में हमेशा तुम्हारी कसी चूची को सोचता था और हैरान होता था, मेरी इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हें मुँह में लेकर चूसूं और इनका पूरा रस पीऊँ, लेकिन डरता था पता नहीं तुम क्या सोचो? और कही मुझसे नाराज़ ना हो जाओ, तुम नहीं जानती दिपिका  कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कितना परेशान किया है? मेरे मित्रगणों  चोदते चोदते चुत का भोसड़ा बन गया.


 ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा मेरे मित्रगणों   दिपिका  बोली कि अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भरकर दबाओ, चूसो और मज़े लो, में तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ जैसा चाहे वैसा ही करो. फिर क्या था? अब दिपिका  की हरी झंडी पाकर में दिपिका  की चूची पर टूट पड़ा. अब मेरी जीभ उसके खड़े निपल को महसूस कर रही थी. मेरे मित्रगणों  एक बार मैंने अपने गांव के लड़की जबरजस्ती चोद दिया.


 उह क्या मॉल था मेरे मित्रगणों  गजब  मैंने अपनी जीभ हटाकर उसके उठे हुए खड़े निपल पर घुमाई, अब में उसके दोनों अनारों को कसकर पकड़े हुए था और बारी-बारी से उन्हें चूस रहा था. अब में ऐसे कसकर उसकी चूचीयों को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूँगा. अब दिपिका  भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, अब उसके मुँह से ओह, ओह, आह, आह की आवाजे निकल रही थी. अब मुझसे पूरी तरफ से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थी. मेरा तो मन ही ख़राब हो जाता था मेरे मित्रगणों  .

 क्या बताऊ मेरे मित्रगणों  मैंने चुदाई हर लिमिट पार कर दिया फिर उसने अपनी लेफ्ट टांग को मेरे टांग के ऊपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को अपनी जांघो के बीच में रख लिया. फिर मुझे उसकी जाँघो के बीच में एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ, यह उसकी चूत थी. दिपिका  ने पेंटी नहीं पहन रखी थी और मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी झांटों में घूम रहा था, अब मेरा सब्र का बाँध टूट रहा था. कुछ भी  हो माल एक जबरजस्त था .


 उसको देखकर  किसी का मन बिगड़ जाये  में दिपिका  से बोला कि दिपिका  मुझे कुछ हो रहा और में अपने आपे में नहीं हूँ, प्लीज़ मुझे बताओ में क्या करूँ? तो दिपिका  बोली कि करो क्या? मुझे चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत को. अब में चुपचाप उसके चेहरे को देखते हुए उसकी चूची को मसल रहा था. अब उसने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया था और फुसफुसा कर बोली कि अपनी दिपिका  को चोदो. अब दिपिका  अपने हाथ से मेरे लंड को निशाने पर लगाकर रास्ता दिखा रही थी और रास्ता मिलते ही मेरा लंड एक ही धक्के में अंदर चला गया. मेरे मित्रगणों  मैंने किसी भाभी को छोड़ा नहीं है


 उह भाई साहब की माल है उसकी चुत की बात ही कुछ और है अब इससे पहले कि दिपिका  संभले या आसन बदले मैंने दूसरा धक्का लगाया तो मेरा पूरा का पूरा लंड मखन जैसी चूत की जन्नत में दाखिल हो गया. फिर दिपिका  चिल्लाई उईईईईईई, हाईईईईईई, हाईईईई, माआआ, ओह संदीप , ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नहीं, हाईईईईई तुम्हारा लंड बड़ा जालिम है, मार ही डाला तुमने मुझे मेरे राजा. मेरे मित्रगणों  एक बार स्कूल में चुदाई कर दिया बड़ा मजा आया.


 मेरे मित्रगणों  चोदते  चोदते  कंडोम के चीथड़े मच गए अब दिपिका  को काफ़ी दर्द हो रहा था, पहली बार जो इतना मोटा और लम्बा लंड उसकी चूत में घुसा था. अब में अपना लंड उसकी चूत में घुसाकर चुपचाप पड़ा था. अब दिपिका  की चूत फड़क रही थी और अंदर ही अंदर मेरे लंड को मसल रही थी. अब उसकी उठी-उठी चूचीयाँ काफ़ी तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी. फिर मैंने अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर उनकी दोनों चूचीयों को पकड़ लिया और अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. ओह्ह उसके यह का चुम्बन की तो बात अलग है.


 एक बार मैंने अपने मौसी की लड़की को जबरजस्ती चोद दिया दिपिका  को कुछ राहत मिली और उसने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी और मुझसे बोली कि संदीप  अब चोदना शुरू करो. फिर मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर चला गया. फिर दिपिका  बोली कि अब अपने लंड को बाहर निकालो, लेकिन में मेरा लंड धीरे-धीरे दिपिका  की चूत में अंदर-बाहर करने लगा. है उसके गांड मेरा मतलब तरबूज क्या गजब भाई.


 मेरे मित्रो मामा की लड़की की चुदाई में बड़ा मजा आया फिर दिपिका  ने स्पीड बढ़ाकर करने को कहा, तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा. अब दिपिका  को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से अपनी कमर उठा-उठाकर मेरे हर शॉट का जवाब देने लगी थी. अब उसने अपनी रसीली चूची मेरी छाती पर रगड़ते हुए अपने गुलाबी होंठ मेरे होंठ पर रख दिए थे और मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी थी. मेरे मित्रगणों  कई बार जबरजस्ती शॉट मरने में चुत से खून निकल गया.


उसका भोसड़ा का छेड़ गजब का था मेरे मित्रगणों   अब उसकी चूत में मेरा लंड समाए हुए तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहा था. अब मुझे ऐसा लग रहा था कि में जन्नत में पहुँच गया हूँ. अब जैसे जैसे वो झड़ने के करीब आ रही थी, उसकी रफ़्तार बढ़ती जा रही थी. अब पूरे कमरे में फच-फच की आवाज़ गूँज रही थी. अब में दिपिका  के ऊपर लेटकर दनादन शॉट लगाने लगा था. अब दिपिका  ने अपनी टांगो को मेरी कमर पर रखकर मुझे जकड़ लिया था और ज़ोर-ज़ोर से अपने चूतड़ उठा-उठाकर चुदाई में साथ देने लगी थी. उसकी बूब्स  देखते ही उसको पिने की इच्छा हो गयी  .


 मेरे मित्रगणों  मै सबसे पहले उसकी गांड मरना चाहता हु  अब में भी दिपिका  की चूची को मसलते हुए टकाटक शॉट लगा रहा था. अब कमरा हमारी चुदाई की आवाज़ से भरा पड़ा था. अब दिपिका  अपनी कमर हिलाकर अपने चुत्तड उठा-उठाकर चुदा रही थी और बोले जा रही थी आह, आअहह, उनह, ऊओह, ऊऊहह, हाआआ मेरे राजा, में मर गययययी रे, जोर से चोद रे, उईईईईईई मेरी माआअ, फट गयी रे, शुरू करो, मुझे चोदो, लेलो मज़ा जवानी का मेरे राजा और अपनी गांड हिलाने लगी. उसको पेलने की इच्छा दिनों से है मेरे मित्रगणों .


 अच्छा चुदाई चाहे जितनी कर साला फिर भी लैंड नहीं मनता मेरे मित्रगणों     फिर मैंने लगातार 30 मिनट तक उसे चोदा, अब में भी बोल रहा था ले मेरी रानी, ले ले मेरा लंड अपनी चूत में, तूने मुझे बहुत तड़पाया है, ले ले, यह लंड अब तेरा ही है, आहह, उहह क्या जन्नत का मज़ा सिखाया है तूने? में तो तेरी गुलाम हो गयी. अब दिपिका  अपनी गांड उछाल-उछालकर मेरा लंड अपनी चूत में ले रही थी और में भी पूरे जोश के साथ उसकी चूचीयों को मसल-मसलकर अपनी जूली को चोदे जा रहा था. मेरे मित्रगणों  मेरा तो मानना है जब भी चुत मारनी हो बिना कंडोम के ही मारो तभी ठीक नहीं सब बेकार.


 उसके बूर की गहराई में जाने के बाद क्या मजा आया मेरे मित्रगणों   जैसे उसके चुत में माखन भरा हो अब दिपिका  मुझको ललकार कर कहती लगाओ शॉट मेरे संदीप  और में जवाब देता यह ले मेरी रानी, ले ले अपनी चूत में जरा और ज़ोर से सरकाओ अपना लंड मेरी चूत में मेरे संदीप , यह ले मेरी रानी यह लंड तो तेरे लिए ही है, देखो संदीप  मेरी चूत तो तेरे लंड की दीवानी हो गयी और ज़ोर से और ज़ोर से आआईईईई मेरे राजा, में गयी रे कहते हुए मेरी दिपिका  ने मुझको कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया. उसको देखने बाद साला चुदाई भूत सवार हो जाता मेरे मित्रगणों .
 मुझे तो कभी कभी चुदाई का टाइफिड बुखार हो जाता है और जब तक चुदाई न करू  तब तक ठीक नहीं होता अब तक मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था तो में बोला कि में भी आया मेरी जान और फिर मैंने भी अपना लंड का पानी छोड़ दिया और फिर में हांफते हुए उसकी चूची पर अपना सिर रखकर कसकर चिपककर लेट गया. तो दोस्तो ये थी मेरी दिपिका  की चुदाई की जबरदस्त कहानी जो मैंने आपके साथ शेयर की और खूब मजा किया. एक बात और मेरे मित्रगणों  चुत को चोदते समय साला पता नहीं क्यों नशा सा हो जाता बस चुदाई ही दिखती है मेरे मित्रगणों  मुझे तो कभी कभी चुत के दर्शन मात्र से खूब मजा आता क्योकि मई पहले बहुत बार अपने मौसी के लड़की  को बिना पैंटी के देखा था  वाह क्या मजा आया था.

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