नमस्कार मेरे साथियो आइये एक बात आपको बताता हु यदि मुझे कोई पूछे की राची और उत्तर प्रदेश में सब से बड़ा अंतर क्या हैं. तो मैं कहूँगा राची में लोग घर से भागते हैं और उत्तर प्रदेश में लोग घर की और भागते हैं. अफरीद चाचा मुझे यहाँ ले के आये आज पूरा 7 महिना हो गया हैं. जब वो उत्तर प्रदेश आते हैं तो लोग उन्हें जैसे की कोई मैनेजर हो वैसे देखते है; लेकिन यहाँ पर वो एक कंपनी में नाईट वाचमेन हैं और एक कमरे की खोली में जिन्दगी बिता रहे हैं. यहाँ पर खाने पिने, हगने, चोदने, मरने का काम सब यही खोली में निपट जाता हैं. खेर अफरीद चाचा के तो फेमिली थी नहीं; लेकिन मैं सोचता हूँ जिसके घर में लोगो की शादी होती हैं वो बहु को कहाँ सुलाते हैं. और बहु क्या अपनी बूर ऐसे में ही मरवाती हैं क्या..? खेर मैं ज्यादा सोचता था उतना ही मनोमन हंसता था; मुझे 19 साल की उम्र में राची देखने मिल गया, वह एक बिहारी गाँव के लड़के के लिए सौभाग्य जैसा था. लेकिन सही सौभाग्य तो मुझे राची आये उसके 5 महीने में ही मिला था जब मैंने एक मोटी आंटी की बूर मारी थी. कैसे मैं इस आंटी से मिला और कैसे उस की मोटी बूर मैंने मारी अब आगे पढ़ें….!!!उह यह उसकी नशीली आँखे में एक दम चुदकड़ अंदाज है.
मित्रों देखने से लगता है की वो पका चोदा पेली का काम करती होगी वैसे अफरीद चाचा मुझे राची में ताले चाबी का कम करवाने के लिए ले के आये थे. मैं उत्तर प्रदेश में वही काम करता था. लेकिन जब 2 महीने तक में सफल नहीं हुआ तो चाचा ने कहा के दिन में ताले बनाओ और रात में कोई और काम देखो. मैंने कहा, चाचा सोना कब हैं. चाचा गुस्सिया गया; भोसड़ी वाले ताले बनाने में तू कौन सा बीजी होता हैं, जब ग्राहक ना हो सो जाया कर. मैंने चाचा को मनोमन गालियाँ देते हुए कहा, ठीक हैं चाचा. मैंने काम देखना चालू कर दिया. और मुझे एक बार के अंदर रात को 9 से 1:30 तक वेटर का काम मिल गया. यह बार बहुत बड़ा नहीं था; लेकिन यहाँ पर अच्छे अच्छे लोग आते थे क्यूंकि यह शांत और कम गर्दी वाला था. उपर से बार का मालिक मुल्ली अन्ना सफाई का पक्का ध्यान रखता था. मेरी सही कट रही थी. काम का काम मिल रहा था और सोने से पहले एकाद पेग गटकने को मिल जाता था. यहाँ पर रात में अक्सर एक मोटी आंटी शराब पिने आती थी; वो हमेंशा अकेली ही आती थी. एक दिन की बात हैं. रात के कुछ 12 के करीब वो आई. मैंने उस से ऑर्डर लिया, उसने बियर और बोइल्ड सिंग मंगाई. मैंने उसे किंगफिशर की बोतल चेक कराई और उसने कहा सही हैं. मैंने बोतल फोड़ी और सिंग की प्लेट भी रख दी. इस औरत को मैं पहली बार सर्व कर रहा मित्रों चुत को चाटेने के समय उसके बूर के बाल मुँह में आ रहे थे था. उसकी उम्र होंगी कुछ 36 के करीब. भरे हुए गाल, चौड़ा सीना, काले बाल और उस से भी काली आँखे. आंटी कुछ देर तक मुझे बार बार देखती रही. उसने आधी बोतल ही पी थी और मुझे हाथ किया. मैंने पूछा, यस मेम. उसने कहा बिल ले आओ. मैंने उसे 269 रूपये का बिल दिया. उसने 1000 का नोट निकाल के रखा. मित्रों मुझे तो कभी कभी चुत के दर्शन मात्र से खूब मजा आता क्योकि मई पहले बहुत बार अपने मौसी के लड़की को बिना पैंटी के देखा था वाह क्या मजा आया था
अब चुदाई करने को १००% तैयार थी मैं काउन्टर से बाकी के पैसे ले के आया. आंटी खड़ी हुई थी, उसने मुझसे पैसे लिए और फिर पैसो के साथ एक पर्ची रख के मुझे दे दिए. 235 का टिप, साला दिन अच्छा लग रहा था. आंटी ने मुझे पूछा कितने बजे ख़तम करोंगे काम. मैंने कहा डेढ़ बजे लेकिन साफ़ सफाई के बाद दो बज ही जाते हैं. उस ने बियर के नशे को और चढाने के लिए सिगारेट जलाई और कस लेते हुए मुझे कहा, अगर 2000 रूपये कमाने हो तो पर्ची में लिखे मोबाइल के उपर मुझे निकल के फोन करना. मैंने पर्ची खोली, उसके ऊपर सही में कुछ नंबर लिखा था. मन कर रहा था कब इसे चोद लू मेरा लंड समझने को तैयार नहीं था .
अब बिना चुदाई के रह नहीं सकता था मित्रों मै पागल सा हो गया मेरा दिल जोर जोर से धडक रहा था की कही यह मोटी आंटी कही मुझे किसी उलझन में ना फसा दे. अफरीद चाचा ने मुझे पहले ही आगाह किया था की यहाँ राची में लोग दुसरे को नशे वाली चीजों वगेरह में फसा देते हैं. मैंने सोचा की नहीं करूँगा फोन. फिर मैंने सोचा की चल के देख तो लूँ की वो कहती क्या हैं; काम करना या ना करना फिर देख लेंगे. रात को 2 बज के ऊपर कुछ 3 मिनिट हुई थी. मुल्ली अन्ना ने दूकान बंध की और हम लोग बहार आये. रोज मैं मूसा और रमेश के साथ पटरी वाले रास्ते जाता था लेकिन मैंने आज उन्हें कहा की मुझे काम हैं इसलिए में बस से जाऊँगा. जैसे ही वो लोग गए मैंने अपना मोबाइल निकाला. वोह तो साली जैसे मेरे फोन की ही वेट कर रही थी. उसने कहा, वही रुको मैं आती हूँ. तीसरी मिनिट ही गाडी के टायर की चूऊउऊँउनऊँ वाली आवाज आई और एक लाल ररंग की गाडी मेरे पास आके रुकी. वही गाडी चला रही थी. उसने आगे का दरवाजा खोला और मुझे अंदर बेठने के लिए इशारा किया. मैंने देखा की उसके अलावा गाडी में कोई और नहीं था. मैं जैसे ही बैठा आंटी ने गाडी को विरार फाटक वाले रास्ते पे चला दिया. मैंने उसको पूछा की कहिएँ क्या काम हैं. उसने कहा, मुझे तुम से चुदवाना हैं. मेरे तो तोते उड़ गए…मैंने पूछा, क्या??? ओह ओह ओह है कब लंड को घुसा दू ऐसा लग रहा था मित्रों.
मॉल था चुदाई के लायक उस मांसल महिला ने दुबारा कहा, मुझे तुम से चुदवाना हैं. एक रात के 5000 दूंगी, हर महीने कम से कम 5-6 बार. मैंने ऊँगली के उपर गिनती की, यह तो मेरे बार के काम से लगभग तिनगुना था.मैंने कहा, क्यों मजाक कर रही हैं. आंटी ने अपना हाथ गाडी के गियर से हटा के मेरे लंड के उपर रख दिया और बोली, ये ले अब भी मजाक लग रहा हैं क्या. बहार हलकी हलकी ठंड थी इसलिए मेरा लंड तो सोया हुआ था; लेकिन उसके ऊपर हाथ आते ही जैसे की खलबली मच गई. मेरे रौंगटे खड़े हो गए. मैंने आंटी की तरफ देखा, उसने गाडी अब स्लो कर दी थी. वो बोली, अरे चल 200-300 ज्यादा ले लेना. मुझे तेरा भारी शरीर भा गया हैं. मैंने सोचा 1000 की बढ़ोतरी हुई…!!!मैंने सोचा पेलुँगा जरूर कभी न कभी.
माल चुदाई के लिए तड़प रही थी मित्रों मैंने आंटी की तरफ देख के कहा, लेकिन कुछ प्रॉब्लम हुई तो. उसने गाडी को सडक के किनारे लगाते हुए कहा अरे कुछ भी नहीं होगा तू घबरा मत. ये ले आज के पैसे, उसने अपने पर्स से 2300 रूपये निकाल के मुझे थमा दिए. आज मैंने 2500 रूपये ऐसे ही कमा चुका था. वो बोली अरे कुछ नहीं होगा रे तू घबरा मत. मैंने कहा ठीक हैं. उसने मुझ से मेरा अड्रेस पूछा और कहा की वो चुदाई के बाद मुझे वहाँ ड्राप कर देंगी. वो मुझे गाडी में बिठा के ड्राइव करने लगी. मुझे लगा की वो किसी होटल या गेस्ट हाउस में ले के जायेंगी. लेकिन वो तो मुझे ले के एक 3 मंजिला पार्किंग स्टेशन में आई. यह एक ओटोमेटिक पार्किंग था जिस में गाडी की पर्ची, पेय सब कुछ कम्प्यूटर से होता था. केवल एक चौकीदार बहार मेईन गेट पे होता था. उसने हाथ निकाल के चौकीदार को 100 का नोट थमा दिया. वो मुझे ले के दूसरी मंजिल में एक कौने पे आई. उसने गाडी बंध की और गाडी के सभी शीशे उपर चढ़ा दिए. वो मुझे बोली के पीछे की सिट पे चले जाओ. उसने गाडी का एसी ओन कर दिया और वो भी पीछे की और आ गई. साली आंटी पक्की होंशियार थी, 1000 रूपये किराया और होटल में पुलिस रीड का डर उसने कुछ 100-200 रूपये में निपटा दिया था. पीछे आते ही उसने अपने टी-शर्ट और घुटने तक की जींस निकाल दी. आंटी बहुत मोटी थी और उसकी काली ब्रा के अंदर उसका एक एक चुंचा कुछ 2 किलो का था. उसने अपनी ब्रा और बड़ी सी पेंटी भी उतार फेंकी. वो एक मिनिट के भीतर ही नग्न हो गई और उसने मुझे कह के मेरी पतलून और शर्ट उतरवा दिया. चोदने के बाद थोड़ा रिलेक्स हुआ भाइयो क्या गजब मजा जब माल अच्छा हो तो कौन नहीं चोदना चाहेगा है न मित्रों आया.
सेक्स करते समय बहुत मजा आया था मित्रों आंटी बोली, आखरी चुदाई कब की थी. मैंने कहा 6 महीने पहले उत्तर प्रदेश में अपनी फूफी की लड़की की चुदाई की थी. उसने फिर पूछा, तुम्हे कोई बिमारी तो नहीं हैं ना. मैंने कहा नहीं तो. वो बोली ठीक हैं. अभी मैं कुछ बोलू उसके पहले तो उसने अपने स्तन मेरे मुहं में घुसेड दिए और जोर जोर से उन्हें दबाने लगी. मैंने उसके दो दो इंच बड़े निपल्स मुहं में लिए और जैसे की दूध पीना हो वैसे उन्हें चूसने लगा. आंटी ने मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और वो उसे सहलाने लगी. मेरा लौड़ा तन के पूरी लम्बाई का हो गया. 8 इंच का लौड़ा देख के वो भी बहुत खुश हो गई. वोह अपने हाथ में थूंक लगा के अब मेरे लौड़े को मसल रही थी. मैंने दोनों हाथ उसके चुंचो के .उसके ओठ रसीले थे मित्रों मॉल गजब था मित्रों उपर रख दिए और उन्हें दबाते दबाते हुए उन्हें जोर जोर से चूसने लगा. आंटी की आह आह ह ओह ओह ओह्ह्ह्ह निकलने लगी. मैंने अब एक हाथ निचे ले जा के उसकी बूर के उपर रख दिया. आंटी की बूर के उपर एक भी बाल नहीं था. उसने बूर आजकल ही ब्लेड से साफ़ की होंगी. मैंने हलके से सहलाते हुए उसकी बूर के अंदर एक ऊँगली दे दी. वो मुझ से लपट गई. मैंने अब उसकी बूर के अंदर अपनी ऊँगली को अंदर बहार करने लग. उसके मुहं से आह आह ओह ओह आअह्ह्ह्ह ओह निकलने लगा. मैंने आंटी को सिट के उपर लिटा दिया. मैंने घुटनों के बल पाँव रखने की जगह पे आके बैठ गया. उसके लिप्स की चूसै यू ही चलती रही मित्रों.
आंटी की टांगो की फैला के मैं चुदाई की जगह बना रहा था. लेकिन अभी मैं खड़ा हो के अपना लंड उसके बूर के उपर मारू उसके पहले तो उसने मेरे माथे को पकड़ के अपनी बूर के उपर खिंच लिया. मेरा मुहं उसकी बूर पे सट गया. मैंने आज से पहले कभी बूर नहीं चाटी थी. लेकिन क्यूंकि यह 2500 रूपये का सवाल था मैंने अपनी जबान हलके से बूर के उपर घुमा डाली. आंटी बोली, अंदर डाल अपनी जीभ. मैंने बूर के होंठो को अपने हाथो से खोला और अंदर की मुलायम जगह पे धीरे से अपनी जबान लगाई. आंटी की बूर का पसीना छुट चूका था. वो बोली, आह आआआ ओहोऊ ह्ह्ह्हह्ह आआआ…..डाल दे अंदर तक. मैंने बूर को फाड़ा और अपनी जबान को बूर के दाने के उपर फेरने लगा. आंटी ने अपनी टाँगे और भी फैला दी और वो मेरी चुसाई का मजा लुटने लगी. मैंने कुछ 10 मिनिट तक बूर के दाने को जबान से हिलाया और फिर आंटी ने मुझे कहा, बस करो अब, बूर में अपना औजार डाल दो, अब मुझ से नहीं रहा जा रहा…..आह्ह आह्ह्ह्ह ओह ओह जल्दी करो. मित्रों वो मदहोस थी चुदाई के लिए.
उसके बूब्स क्या मस्त थे मित्रों अब मै क्या कहु मित्रों जैसे ही मैं लंड को बूर में देने वाला था, आंटी ने मेरा पेट पकड़ के मुझे रोका. उसने उठ के डेशबोर्ड से निरोध लिया और खोल के मुझे लंड के उपर पहना दिया. मैंने अब निरोध के आवरण में सज्ज अपने लौड़े को आंटी की बूर में डाला और आंटी आह आह करती हुई अपनी गांड हिलाने लगी. आंटी अपनी गांड और पेट के मसल हिला हिला के मुझ से चुद रही थी और मैंने घुटनों के बल बैठे बैठे कार के अंदर ही उसकी बूर को ठेल रहा था. आंटी की बूर मस्त गरम थी और मुझे चुदाई का असीम आनंद आ रहा था. मैंने उसके कंधे पकड़ लिए और और भी जोर जोर से उसकी बूर में लौड़ा देता रहा. आंटी ने भी अपनी मोटी जांघे मस्त फैला के मुझे अंदर तक लंड देने के लिए मनाया था. उसके कंधे को मैं जोर जोर से खींचने लगा औ उसकी बूर की गहराई तक लंड देने लगा. उसकी बूर से झाग निकल के मेरे लंड पे लगने लगा. मैंने त य किया की चोद कर ही दम लूंगा.
लेकिन पेलुँगा जरूर अब मैंने आंटी को उल्टा किया. वो सिट के उपर अपने घुटने रख के सिट की बैठक को पकड़ के बैठ गई. अब मैंने पीछे से उसकी बूर को खोला और अपना लौड़ा अंदर डाल दिया. आंटी की गीली बूर के अंदर मेरा लौड़ा फट से घुस गया. मैंने उसके गांड को हाथ में पकड़ा और जोर जोर से उसकी बूर बजने लगा. आंटी भी अपनी गांड को आगे पीछे कर के चुदाई का मजा लेने लगी. मै चुदाई के लिए बिल्कुल बेताब था मित्रों.
मुझे तो बस चुदाई की धुन सवार थी मित्रों कुछ 10 मिनिट उसकी ठुकाई के बाद मेरे शरीर का अंग अंग जैसे की फडकने लगा. मेरी सारी शक्ति जैसे के मेरे लंड को केंद्र में रख के एकजुट होने लगी. आंटी की गांड अब भी वैसे ही हिल रही थी. मैंने एक जोर का झटका दिया और आंटी की बूर के गहराई में लंड को दबा दिया…आः आह्ह्ह आह मेरे मुहं से निकला और उसने अपनी बूर को टाईट कर दी. लंड से ढेर सारा वीर्य निकल के निरोध में भर गया. मैंने हलके से अपने लंड को बूर से बहार निकाला. आंटी वही ढेर हो के सिट पे लेट गई. मैंने कपडे पहने उसके बाद उसने भी खड़े हो के कपडे पहन लिए. हम लोग अब आगे की सिट पे थे और गाडी को फाटक पे रोक के चौकीदार को 100 का नोट देते हुई आंटी ने गाडी को भगा दिया. उसने मुझे घर के सामने छोड़ दिया और वो अँ धेरे में कार को ले के गायब हो गई. मुझे बूर की मादक खुसबू आ रही थी जो मुझे पागल कर रहे थे.
दिन रात बस चुदाई ही चुदाई ख्याल मित्रों और कुछ नहीं अफरीद चाचा आज भी अचम्बे में हैं की मुझे साली ऐसी कौन सी नौकरी मिली हैं की मैं हर महीने घर पे 8000 का मनी-ऑर्डर करता हूँ. उनको क्या पता मेरे पास आंटी नाम का एक एटीएम हैं जिस में निचे लंड डालो तो पैसे निकलते हैं……….!!!मेरा लंड उसकी बूर को चिर कर आगे निकाल रहा था इस प्रकार हमने मस्त चुत की ताबड़ तोड़ चुदाई की और मजा लिया और आप.